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    'PU में 28 अक्टूबर की अधिसूचना किसी भी हालत में लागू नहीं होगी', सीनेट चुनाव मामले में भाजपा का कड़ा विरोध

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 03:19 PM (IST)

    चंडीगढ़ स्थित पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट को लेकर केंद्र की अधिसूचना वापस होने के बाद भी राजनीति जारी है। भाजपा ने आप सरकार पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का आरोप लगाया है। भाजपा ने पीयू के बकाया 250 करोड़ रुपये पर पंजाब सरकार से जवाब मांगा है। भाजपा ने विद्यार्थियों को भरोसा दिलाया कि 28 अक्टूबर की अधिसूचना लागू नहीं होगी।

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    पंजाब यूनिवर्सिटी फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। केंद्र सरकार ने भले ही चंडीगढ़ स्थित पंजाब विश्वविद्यालय के सीनेट को लेकर जारी की अधिसूचना को वापस ले लिया हो लेकिन इस पर राजनीति जारी है। पंजाब भाजपा ने पंजाब में सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी पर राजनीतिक रोटियां सेंकने का आरोप लगाया है।

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    भाजपा के प्रदेश उप प्रधान डा. सुभाष शर्मा ने कहा, वीरवार को वित्तमंत्री हरपाल चीमा के नेतृत्व में आप का एक शिष्ट मंडल राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया से मिला। मुख्यमंत्री भगवंत मान लोकतांत्रिक व्यवस्था की हत्या की बात कर रहे हैं। पंजाब सरकार को बताना चाहिए कि पीयू के 250 करोड़ रुपये जो बकाया है, उसे वो कब दे रहे हैं।

    पंजाब भाजपा कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए डॉ. सुभाष शर्मा ने कहा, पीयू को लेकर 28 अक्टूबर को जो केंद्र ने अधिसूचना जारी की, जिसे 4 नवंबर को वापस भी ले लिया गया, इसे कभी भी लागू नहीं किया जाएगा। क्योंकि यह अध्याय अब बंद हो गया है। साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री भगवंत मान से सवाल किए कि लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए सीनेट जरूरी है तो यह व्यवस्था केवल पीयू में ही क्यों।

    क्या यह अधिकार पंजाब के अन्य युनिवर्सिटी के छात्रों को नहीं मिलना चाहिए। वहां पर यह व्यवस्था क्यों नहीं हैं। डा. सुभाष ने सवाल उठाया, मु्ख्यमंत्री भगवंत मान, शिक्षा मंत्री हरजोत बैंस और स्पीकर द्वारा नामित किए गए दो विधायक पंजाब यूनिवर्सिटी के सीनेट के एक्स आफिसो मेंबर है। मुख्यमंत्री बताएं कि आज तक उन्होंने सीनेट की कितनी बैठकों में हिस्सा लिया। मुख्यमंत्री व्यस्त हो सकते हैं तो शिक्षा मंत्री या विधायकों ने कितनी बार हिस्सा लिया। उन्होंने कहा, केंद्र सरकार ने जो रिफार्म्स किए उसकी शुरूआत कांग्रेस के कार्यकाल में हुई थी। जिसकी लिए बाकायदा एक कमेटी बनी थी।

    इस कमेटी ने तीन साल पहले अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। तीन सालों के दौरान पंजाब सरकार ने कितनी बार इस रिपोर्ट पर अपनी आपत्ति जताई। तीन साल तक मुख्यमंत्री ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया। उन्होंने कहा, पंजाब युनिवर्सिटी से हरियाणा ने जब अपनी हिस्सेदारी खत्म की तो केंद्र और पंजाब सरकार के बीच 60:40 के अनुपात में समझौता हुआ था।

    केंद्र 60 फीसदी देगा और पंजाब सरकार 40 फीसदी। 2014 से अब तक केंद्र सरकार ने पीयू को 3229 करोड़ रुपये का अनुदान दिया। जबकि पंजाब सरकार ने मात्र 538 करोड़ रुपये दिए। जिसका अनुपात 20 फीसदी के करीब है। पंजाब सरकार को अभी भी 250 करोड़ रुपये पीयू को देने हैं। वह कब देंगे। 129 करोड़ रुपये तो पेंशन और एरियर के हैं और 32 करोड़ रुपये पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप के बकाया है। डा. सुभाष ने विद्यार्थियों को भरोसा दिलवाया कि 28 अक्टूबर की अधिसूचना कभी भी लागू नहीं होगी। इस मौके पर उनके साथ पूर्व आईएएस अधिकारी व पार्टी प्रवक्ता एसएस चन्नी और विनीत जोशी मौजूद थे।