पंजाब में धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने पर मिलेगी मौत की सजा? 10 जुलाई को मान सरकार ला सकती है बिल
पंजाब सरकार धार्मिक ग्रंथों के अपमान करने (Punjab religious desecration law) वालों के लिए सज़ा-ए-मौत या उम्रकैद का प्रावधान करने की तैयारी में है। इसके लिए कानूनी विशेषज्ञों से राय ली जा रही है ताकि विधेयक को विधानसभा सत्र में पेश किया जा सके। पहले कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने भी ऐसा विधेयक पारित किया था लेकिन केंद्र ने इसे वापस कर दिया था।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। Punjab News: श्री गुरु ग्रंथ साहिब सहित धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को सजा-ए-मौत की सजा दी जा सकती है या उम्रकैद...। इसको लेकर सरकार कानूनी विशेषज्ञों की राय ले रही है, ताकि सात जुलाई को होने वाली कैबिनेट की बैठक में इसे पारित कर 10 जुलाई से शुरू होने वाले विधानसभा के सत्र में बिल को पेश किया जा सके।
हालांकि, इससे मिलता जुलता एक विधेयक कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने 28 अगस्त, 2018 को पारित करके राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा था। इसे केंद्र सरकार ने यह कहकर लौटा दिया था कि अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारत न्याय संहिता लागू कर दी गई है और उसमें धार्मिक ग्रंथों को लेकर जो सजाओं का प्रविधान किया गया है, उसके तहत सरकार अपना एक्ट बना ले।
कैप्टन सरकार ने अगस्त 2018 में आइपीसी की धारा 295 में संशोधन करते हुए 295ए बिल पारित किया था। इसमें धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने वालों को आजीवन कारावास जैसी कठोर सजा का प्रविधान किया गया था। लंबे समय तक इस बिल पर कोई फैसला नहीं हुआ।
2023 में शाह को लिखा था पत्र
इसके बाद आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार बनी और मुख्यमंत्री भगवंत मान ने विधेयक पर राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त करने के लिए 2023 में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा। इसी बीच केंद्र सरकार ने आइपीसी को खत्म कर भारतीय न्याय संहिता लागू कर दी और राज्य सरकार को विधेयक लौटाते हुए इसे देखकर अपना एक्ट पारित करने को कहा।
अब पटियाला के समाना में एक पूर्व सैनिक गुरजीत सिंह श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी करने पर मौत की सजा की मांग को लेकर बीएसएनएल के टावर पर चढ़ा हुआ है। उसकी स्थिति को देखते हुए आप सरकार ने यह बिल पारित करने के लिए अचानक विधानसभा का सत्र बुला लिया है।
भारतीय न्याय संहिता 2023 में ये हैं प्रविधान
- धारा 298 (धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना): यदि कोई व्यक्ति धार्मिक स्थल या पवित्र वस्तु को जानबूझकर नुकसान पहुंचाता है या अपवित्र करता है तो उसे दो साल तक सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से किया गया जानबूझकर अपमान): यदि कोई व्यक्ति किसी समुदाय की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के उद्देश्य से कोई शब्द कहता है, लिखता है, प्रतीक दिखाता है या इलेक्ट्रानिक माध्यम से कोई अपमानजनक सामग्री साझा करता है, तो उसे तीन साल तक की सजा, जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
- धारा 300 (धार्मिक पूजा या धार्मिक समारोह में बाधा) : यदि कोई व्यक्ति जानबूझकर किसी कानूनी रूप से आयोजित धार्मिक कार्यक्रम में बाधा उत्पन्न करता है, तो उसे एक वर्ष तक की सजा, जुर्माना या दोनों का दंड मिल सकता है।
भारतीय न्याय संहिता में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने पर धारा 298, 299 और 300 लगाई गई है।
इसलिए ली जा रही सलाह मुख्यमंत्री भगवंत मान भी धार्मिक ग्रंथों का अपमान करने पर मौत की सजा का प्रविधान करवाना चाहते हैं।
पार्टी में बड़ा वर्ग मानता है कि मौत की सजा का प्रविधान किया जाता है तो बिल टिक नहीं पाएगा। इसलिए सरकार बिल पेश करने से पूर्व सभी कानूनी पेचिदगियों से पार पा लेना चाहती है जिसके चलते गृह विभाग ने बिल को कानूनी विशेषज्ञों के पास भेज दिया है।

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