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    पंजाब राजभवन का नाम अब लोक भवन पंजाब हुआ, MHA के पत्र के बाद नोटिफिकेशन जारी

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Fri, 05 Dec 2025 11:13 AM (IST)

    पंजाब सरकार ने गृह मंत्रालय से पत्र मिलने के बाद राजभवन का नाम बदलकर लोक भवन पंजाब कर दिया है। इस फैसले के संबंध में आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी कर दि ...और पढ़ें

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    केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद ही पंजाब राजभवन को लोक भवन पंजाब नाम दिया गया है।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब राजभवन को अब से लोक भवन पंजाब के नाम से जाना जाएगा। मिनिस्ट्री आफ होम अफेयर्स की ओर से पंजाब राजभवन को नाम बदलने को लेकर 25 नवंबर को पत्र प्राप्त हुआ था। प्रिंसिपल सेक्रेटरी टू गवर्नर पंजाब विवेक प्रताप सिंह की ओर से इस संबंध में वीरवार को नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है।

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    पंजाब के राज्यपाल और यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने वीरवार शाम पंजाब राजभवन में आयोजित कई राज्यों के स्थापना दिवस समारोह में भी इस बदलाव को लेकर मेहमानों को जानकारी दी थी। केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में दिल्ली में प्रधानमंत्री आवास सहित कुछ अन्य आवास के नाम बदलने का फैसला लिया है। केंद्र सरकार के निर्देशों के बाद ही पंजाब राजभवन को लोक भवन पंजाब नाम दिया गया है।

    पंजाब लोक भवन ने उत्तराखंड, झारखंड, असम और नागालैंड का स्थापना दिवस मनाया

    लोक भवन पंजाब, चंडीगढ़ में वीरवार शाम “एक भारत, श्रेष्ठ भारत” पहल के तहत उत्तराखंड, झारखंड, असम और नागालैंड का स्थापना दिवस मनाया गया। राज्यपाल  गुलाब चंद कटारिया ने “राज भवन” से “लोक भवन” में देशभर में हो रहे परिवर्तन का स्वागत किया

    उन्होंने कहा कि ऐसा नामकरण भारत की लोकतांत्रिक भावना और जनता की भागीदारी की आत्मा को दर्शाता है। उन्होंने सरदार वल्लभभाई पटेल की 562 रियासतों के एकीकरण और भारत को विभाजित करने की औपनिवेशिक साजिशों को विफल करने में उनकी ऐतिहासिक भूमिका को याद किया।  

    उन्होंने इस मौके पर उत्तराखंड, झारखंड, असम विशेषकर पावन कामाख्या मंदिर और नागालैंड की सामाजिक, सांस्कृतिक, भौगोलिक और ऐतिहासिक विशेषताएं भारत की पहचान और विकसित भारत 2047 के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं। चारों राज्यों उत्तराखंड, झारखंड, असम और नागालैंड के राज्यपालों के वीडियो संदेश भी कार्यक्रम के दौरान साझा किए गए।

    संबंधित राज्यों के प्रतिनिधियों ने अपने-अपने राज्यों के सामाजिक विकास, आर्थिक प्रगति, भौगोलिक विशिष्टता, सांस्कृतिक समृद्धि, विरासत विविधता और कृषि क्षमता के बारे में संक्षिप्त जानकारी दी, जिससे भारत की विशाल क्षेत्रीय विविधता की गहरी समझ प्राप्त हुई।

    उत्तराखंड ने प्रसिद्ध नंदा देवी पालकी नृत्य और लोकगीत “बेड़ू पाको बारामासा” प्रस्तुत किए, जो पर्वतीय जीवन और प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाते हैं। झारखंड ने जनजातीय और कृषक परंपराओं पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किए। असम की ओर से जीवंत बिहू और पारंपरिक बंगुरुंबा नृत्य की प्रस्तुति हुई।

    नागालैंड की ओर से बांस नृत्य, रंग-बिरंगी जनजातीय प्रस्तुतियां और विभिन्न नागा जनजातियों की वीरता दर्शाने वाले वारियर डांस प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम में असम और नागा नृत्य शैलियों का एक विशेष फ्यूजन भी शामिल था, जो सांस्कृतिक सौहार्द का प्रतीक रहा।


    कार्यक्रम में भारत के अतिरिक्त सालिसिटर जनरल सत्य पाल जैन,चीफ सेक्रेटरी एच. राजेश प्रसाद,राज्यपाल के प्रमुख सचिव विवेक प्रताप सिंह, गृहसचिव मनीप सिंह बराड़, वित्त सचिव दिप्रवा लाकड़ा, डीजीपी डाॅ. सागर प्रीत हुड्डा सहित अन्य अधिकारी भी मौजूद थे।