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    पंजाब में भीख नहीं, शिक्षा है बच्चों का नया भविष्य; मान सरकार के 'प्रोजेक्ट जीवनज्योत' ने बदला राज्य का बचपन

    Updated: Fri, 19 Sep 2025 07:11 PM (IST)

    मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार प्रोजेक्ट जीवनज्योत के माध्यम से बाल भिखारियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव ला रही है। इस परियोजना के अंतर्गत सड़कों से बचाए गए बच्चों को शिक्षा और पुनर्वास प्रदान किया जा रहा है जिससे उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ा जा सके। सरकार ने बच्चों के शोषण को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए हैं।

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    पंजाब में प्रोजेक्ट जीवनज्योत बच्चों के जीवन में एक नई उम्मीद

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। जहां कभी पंजाब की गलियों और चौक-चौराहों पर मासूम बच्चे कटोरा लेकर खड़े दिखाई देते थे, आज वहीं बच्चे किताबों, सपनों और सम्मान के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यह बदलाव मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की दूरदर्शी सोच और "प्रोजेक्ट जीवनज्योत" की वजह से संभव हुआ है, जो 'रंगला पंजाब' के सपने को साकार करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।

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    पंजाब सरकार ने जुलाई 2024 में इस ऐतिहासिक परियोजना की शुरुआत की थी। इसका पहला चरण जून 2025 तक चला। इस दौरान 753 छापेमारी अभियान चलाए गए और 367 बच्चों को भीख मांगने की स्थिति से बाहर निकाला गया। इनमें से 350 बच्चों को उनके माता-पिता के पास सुरक्षित लौटाया गया और 17 बच्चों को बाल देखभाल संस्थानों में रखा गया। लगभग 183 बच्चों को स्कूलों में दाखिला मिला, 30 को प्रायोजन योजना से जोड़ा गया और 8 छोटे बच्चों को आंगनवाड़ी भेजा गया। यह आंकड़े यह साबित करते हैं कि सरकार ने सिर्फ तात्कालिक राहत नहीं दी, बल्कि बच्चों को स्थायी रूप से समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का बड़ा कदम उठाया।

    पहले चरण की सफलता के बाद, जुलाई 2025 को "प्रोजेक्ट जीवनज्योत 2.0" शुरू किया गया। सिर्फ एक महीने के भीतर, 25 अगस्त 2025 तक, 523 छापे मारे गए और 279 बच्चों को बचाया गया। इनमें से 137 बच्चों को उसी दिन परिवारों के पास भेजा गया, जबकि 142 बच्चों को बाल देखभाल संस्थानों में रखा गया**। इस बार 15 बच्चों के डीएनए सैंपल भी लिए गए ताकि उनकी सही पहचान सुनिश्चित की जा सके। यह दिखाता है कि सरकार बच्चों की सुरक्षा के लिए आधुनिक तकनीक और ठोस नीति उपाय अपना रही है।

    इस नीति का सबसे बड़ा पहलू यह है कि पंजाब सरकार ने समस्या की जड़ को भी पहचाना—गरीबी, नशा और दूसरे राज्यों से लाकर बच्चों का शोषण। इन परिवारों को रोज़गार योजनाओं, पोषण कार्यक्रमों और शिक्षा से जोड़कर न सिर्फ बच्चों को नया जीवन दिया जा रहा है बल्कि पूरे परिवार को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। यह केवल बचाव नहीं, बल्कि एक 360-डिग्री मॉडल है जिसमें बचाव, पुनर्वास, शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और परिवारों को आत्मनिर्भर बनाना शामिल है।

    अब पंजाब सरकार ने त्योहारों और बड़े आयोजनों पर भी सख्त कदम उठाने शुरू किए हैं। कपूरथला में होने वाले वार्षिक जोड़ मेले के लिए विशेष बचाव दल तैनात किए गए हैं, जो लगातार ड्यूटी पर रहेंगे ताकि कोई बच्चा भीख मांगने के लिए मजबूर न हो। सामाजिक सुरक्षा, महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा है—“बच्चों का बचपन सड़कों पर नहीं, स्कूलों में होना चाहिए। प्रोजेक्ट जीवनज्योत 2.0 हमारे सपनों के पंजाब की ओर बड़ा कदम है।”

    अब तक 311 बच्चों को पुनर्वासित किया गया है और उन्हें शिक्षा, पोषण, काउंसलिंग और सामाजिक समर्थन के साथ मुख्यधारा से जोड़ा गया है। इस सफलता के पीछे जनता का सहयोग भी बहुत बड़ा है क्योंकि लोग अब चाइल्ड हेल्पलाइन 1098 पर भीख मांगते बच्चों की सूचना दे रहे हैं।

    इसके साथ ही पंजाब सरकार बच्चों को भीख मांगने से रोकने के लिए एक नई और बेहतर कानूनी व्यवस्था लागू करने जा रही है, जो पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल पेश करेगा। यह कानून बच्चों का शोषण करने वालों पर कड़ी कार्रवाई करेगा और हर बच्चे को शिक्षा, इलाज और सम्मान का अधिकार दिलाएगा। पंजाब सरकार का यह प्रयास न सिर्फ बच्चों को भीख मांगने से रोक रहा है, बल्कि पूरे देश के लिए एक आदर्श मॉडल पेश कर रहा है। यह दिखाता है कि सही नीतियां, जन सहयोग और मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति मिलकर समाज में असली बदलाव ला सकती हैं।

    हर हाल में जनता की जान बचाने के लिए तत्पर

    पंजाब में भगवंत मान सरकार ने एक बार फिर साबित किया है कि जनहित से बढ़कर उनके लिए कुछ नहीं है। आपात स्थिति हो या आपदा, पंजाब की एम्बुलेंस सेवा हर समय लोगों की जिंदगी बचाने के लिए तैयार है।पिछले वर्ष से अब तक सरकार ने राज्य में बड़ी संख्या में आधुनिक, जीपीएस युक्त एम्बुलेंसों को सेवा में उतारा है। जुलाई 2024 में मुख्यमंत्री भगवंत मान ने 58 नई हाई-टेक एम्बुलेंसों को हरी झंडी दिखाई थी और इसी वर्ष जून 2025 में 46 और बेहद अत्याधुनिक एम्बुलेंस राज्य के बेड़े में जोड़ी गई। इससे पंजाब में कुल 371 सरकारी एम्बुलेंसें हर ज़िले और कस्बे में मरीज़ों को तुरंत मदद पहुंचा रही है।

    सरकार ने तय समय सीमा भी सख्ती से लागू की है—शहरी क्षेत्रों में 15 मिनट और ग्रामीण क्षेत्रों में 20 मिनट के भीतर एम्बुलेंस की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। केवल जनवरी से जुलाई 2024 के बीच ही एक लाख से अधिक मरीज़ों को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया गया, जिनमें 10,737 दिल के मरीज़ और 28,540 गर्भवती महिलाएं शामिल थी। इन एम्बुलेंसों में 80 बच्चों का सुरक्षित जन्म भी हुआ।

    लेकिन मान सरकार की संवेदनशीलता और दूरदर्शिता का सबसे बड़ा उदाहरण हाल ही में आए बाढ़ संकट के दौरान देखने को मिला। जब पानी ने सड़कों और गांवों को डुबा दिया, तब सरकार ने नावों, ट्रैक्टरों और अस्थायी फ्लोट्स को भी “बोट एम्बुलेंस” में बदल दिया। इनसे गांव-गांव तक दवाइयां पहुंचाईं गई और ज़रूरतमंद मरीज़ों को सुरक्षित अस्पताल पहुंचाया गया। इन कठिन हालातों में भी चार बच्चों का जन्म सुरक्षित तरीके से हुआ और कईं लोगों की जान समय रहते बचाई गई।

    यह सब केवल इसलिए संभव हो सका क्योंकि मान सरकार ने स्वास्थ्य सेवाओं को अपनी प्राथमिकता बनाया है। जीपीएस आधारित आधुनिक एम्बुलेंस, सड़क सुरक्षा बल और 108 हेल्पलाइन के साथ मिलकर अब पंजाब वासियों को हर आपात स्थिति में तुरंत और भरोसेमंद सेवा मिल रही है।

    मुख्यमंत्री मान ने कहा है कि “हमारी सरकार का मकसद एक ही है—हर पंजाबी की जान की रक्षा। चाहे सड़क दुर्घटना हो, दिल का दौरा पड़े या फिर बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा, पंजाब की एम्बुलेंस सेवा हर कठिन घड़ी में जनता के साथ है।”

    मान सरकार की कोशिशों ने यह विश्वास दिलाया है कि पंजाब में अब कोई भी मरीज़ या उसका परिवार अकेला नहीं है और हर आपदा में सरकार उसके साथ खड़ी है।