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    Punjab Politics: पंजाब भाजपा में फेरबदल की तैयारी, जाखड़ ने की नड्डा से विचार-विमर्श

    पंजाब भाजपा में जल्द ही फेरबदल होने जा रहा है। संगठन में बदलाव को लेकर प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ लंबी बातचीत की है। हालांकि इस बैठक के दौरान भाजपा के प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी मौजूद नहीं थे। माना जा रहा हैं कि 10 सितंबर के बाद भाजपा कभी भी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर सकती है।

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi VinodiyaUpdated: Fri, 08 Sep 2023 10:39 PM (IST)
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    पंजाब भाजपा में फेरबदल की तैयारी, जाखड़ ने की नड्डा से विचार-विमर्श

    चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। पंजाब भाजपा (Punjab BJP) में जल्द ही फेरबदल होने जा रहा है। संगठन में बदलाव को लेकर प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ (Sunil Jakhar) ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ लंबी बातचीत की है। हालांकि इस बैठक के दौरान भाजपा के प्रदेश प्रभारी विजय रूपाणी मौजूद नहीं थे। माना जा रहा हैं कि 10 सितंबर के बाद भाजपा कभी भी प्रदेश कार्यकारिणी का गठन कर सकती है।

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    बता दें कि पंजाब भाजपा की टीम का गठन 3 दिसंबर 2022 को हुआ था। जब प्रदेश की कमान अश्वनी शर्मा के हाथों में थी। 4 जुलाई 2023 को भाजपा ने अश्वनी शर्मा को हटाकर प्रदेश की कमान सुनील जाखड़ के हाथों में सौंप दी थी। तब से यही यह चर्चा चल रही है कि जाखड़ अपनी टीम का गठन करना चाहते है।

    कार्यकारिणी में बड़े बदलाव के हक में नहीं है जाखड़

    प्रदेश कार्यकारिणी में 11 प्रदेश उपाध्यक्ष, 5 प्रदेश महासचिव और 11 प्रदेश सचिव है। सूत्र बताते हैं कि जाखड़ प्रदेश कार्यकारिणी में कोई बड़ा बदलाव करने के हक में नहीं है। क्योंकि जाखड़ खुद ही कांग्रेस से भाजपा में आए है। ऐसे में वह बड़े बदलाव की जगह छोटे-मोटे फेरबदल के हक में है। इस संबंध में जाखड़ की पहले ही प्रदेश प्रभारी विजय रुपाणी के साथ बैठक हो चुकी है।

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    दोनों ही नेताओं में सहमति भी बन चुकी है। यही कारण है कि जाखड़ ने अब इस संबंध में जेपी नड्डा के साथ मुलाकात की। दोनों नेताओं के बीच करीब 35 मिनट तक बैठक हुई। आगामी लोक सभा चुनाव की चुनौतियों को देखते हुए जाखड़ अपनी टीम में ‘युवा व अनुभव’ और ‘नए व पुराने’ का संतुलन बनाने के हक में है।

    ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले नेताओं को भी तवज्जों देनी होगी

    भाजपा को पता हैं कि 2024 की चुनौतियों को देखते हुए ग्रामीण क्षेत्रों से आने वाले नेताओं को भी तवज्जों देनी होगी। क्योंकि ग्रामीण और खास तौर से मालवा बेल्ट पर फोकस करना अति आवश्यक है। मालवा पंजाब का सबसे बड़ा राजनीतिक क्षेत्र है। यहां पर 67 विधान सभा क्षेत्र है। अकाली दल के साथ गठबंधन में रहते हुए भाजपा का ज्यादा फोकस हमेशा ही दोआबा व माझा पर रहा है। स्वर्गीय कमल शर्मा के बाद भाजपा में प्रदेश की कमान हमेशा ही माझा या दोआबा के नेताओं के हाथ में रही है। जाखड़ खुद भी मालवा क्षेत्र से आते है।