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परनीत की BJP में एंट्री से पटियाला के गढ़ को बचाना कांग्रेस के लिए चुनौती, आखिर कौन देगा महारानी को टक्कर?

Lok Sabha Election 2024 पटियाला से सांसद रहीं परनीत कौर ने आज भारतीय जनता पार्टी का हाथ थाम लिया। ऐसे में अब यह सीट कांग्रेस के लिए बड़ी चुनौती बन गई है। पूर्व सीएम कैप्टन अमरिंदर के कांग्रेस छोड़ने के बाद से ही यह तस्वीर स्पष्ट हो गई थी कि कांग्रेस के लिए यह सीट अब आसान नहीं रहने वाली है।

By Kailash Nath Edited By: Prince Sharma Published: Thu, 14 Mar 2024 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 14 Mar 2024 10:00 PM (IST)
परनीत की BJP में एंट्री से पटियाला के गढ़ को बचाना कांग्रेस के लिए चुनौती

कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पटियाला की सांसद परनीत कौर ने वीरवार को भाजपा की सदस्यता ले ली। परनीत कौर की भाजपा में एंट्री से पटियाला लोक सभा सीट पर कांग्रेस की चुनौतियां बढ़ना तय है। क्योंकि पटियाला सीट हमेशा से कांग्रेस का मजबूत गढ़ रहा है।

इस सीट के अस्तित्व में आने के बाद से 16 बार लोक सभा चुनाव हुए है। इसमें से 6 बार शाही घराना (कैप्टन परिवार) जीता है। हालांकि 4 बार कैप्टन परिवार को हार का भी सामना करना पड़ा है। इसके बावजूद यह सीट शुरू से कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जाती रही है।

परनीत कौर को कर दिया गया था सस्पेंड

कैप्टन अमरिंदर सिंह के कांग्रेस छोड़ने के बाद से ही यह तस्वीर स्पष्ट हो गई थी कि कांग्रेस के लिए यह सीट अब आसान नहीं रहने वाली है। क्योंकि कैप्टन के भाजपा में जाने के बाद ही कांग्रेस ने परनीत कौर को भी सस्पेंड कर दिया था। लोक सभा की सदस्यता बचाने के लिए परनीत कौर ने भाजपा ज्वाइन नहीं की थी। चूंकि अब लोक सभा का कार्यकाल लगभग खत्म हो रहा है इसलिए परनीत कौर ने वीरवार को भाजपा ज्वाइन कर ली। राजनीतिक रूप से इस सीट पर शाही परिवार हमेशा ही हावी रहा है।

1977 में पहली बार इस सीट से चुनाव लड़े थे कैप्टन

शाही घराने की तीसरी पीढ़ी जय इंदर कौर भी अब इस सीट पर सक्रिय हो गई है। पटियाला सीट पर 1967 में शाही घराने की एंट्री हुई। इस चुनाव में मोहिंदर कौर (कैप्टन की मां) विजयी रही। 1977 में कैप्टन अमरिंदर सिंह पहली बार इस सीट से लड़े लेकिन उन्हें अकाली दल के कद्दावर नेता गुरचरण टोहड़ा के हाथों हार का सामना करना पड़ा लेकिन 1980 के चुनाव में उन्होंने विजय हासिल की।

अहम बात यह है कि 1992 के बार पहली बार इस सीट पर भगवा रंग का जोर होगा। क्योंकि 16 चुनावों में 1962 में पहली बार जनसंघ (भाजपा से पहले) के बंसीलाल यहां से चुनाव लड़े थे। वहीं, 1992 में अकाली दल द्वारा चुनाव का विरोध करने के कारण भाजपा के दीवान सिंगला चुनाव में उतरे थे।

पांच लोकसभा चुनाव में चार बार परनीत कौर जीत चुकी हैं

परनीत कौर के भाजपा में आने से जहां पटियाला सीट भाजपा का जनाधार बढ़ेगा। क्योंकि इस लोक सभा सीट के तहत आने वाले 9 विधान सभा सीटों में से राजपुरा ही एक मात्र सीट रही है जहां पर भाजपा चुनाव लड़ती थी। गठबंधन में रहते हुए अकाली दल ही इस सीट पर चुनाव लड़ता था। 1999 से 2019 तक के पांच लोक सभा चुनाव में 4 बार परनीत कौर जीत चुकी है।

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सिद्धू ने अमृतसर छोड़ पटियाला में वापसी कर ली है

जबकि 2014 में वह आम आदमी पार्टी के धरमवीर गांधी से हार गई थी। वहीं, इस सीट पर कांग्रेस के लिए चुनौती बढ़ सकती है। क्योंकि पांच दशकों से कांग्रेस की राजनीति मोती महल (कैप्टन का घर) के इर्द-गिर्द ही घूमती रही है।

कैप्टन के कांग्रेस से जाने के बाद से ही नवजोत सिंह सिद्धू ने अमृतसर छोड़ पटियाला में वापसी कर ली। अब कांग्रेस के पास इस सीट पर सिद्धू की एक मात्र मजबूत विकल्प है। पंजाब कांग्रेस खुद भी सिद्धू का नाम प्रस्तावित कर रही है। ऐसा करना प्रदेश कांग्रेस की मजबूरी भी है।

कांग्रेस यह नहीं चाहती कि सिद्धू को खुला छोड़ा जाए क्योंकि सिद्धू का प्रदेश कांग्रेस के साथ छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है। सिद्धू इस सीट पर खड़े होते हैं तो वह दूसरी सीटों पर कांग्रेस के लिए परेशानी नहीं खड़ी कर पाएंगे। हालांकि सिद्धू के लिए भी इस सीट पर परनीत कौर का सामना करना आसान नहीं होने वाला है। बता दें कि इस सीट पर 4 बार अकाली दल, एक बार आप और 1 बार आजाद प्रत्याशी जीता है।

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