Punjab Politics: अध्यादेश पर कांग्रेस में मत भिन्नता, अधिकांश नेताओं ने कहा, नहीं देना चाहिए AAP को समर्थन
दिल्ली में अधिकारियों के तबादला व पोस्टिंग के लिए केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश का समर्थन किया जाए इसके विरोध को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के नेताओं के साथ विचार विमर्श किया जिसमें पंजाब के कई नेताओं ने कांग्रस को समर्थन देने से इनकार किया है।

चंडीगढ़, कैलाश नाथ । दिल्ली में अधिकारियों के तबादला व पोस्टिंग के लिए केंद्र सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश का समर्थन किया जाए इसके विरोध को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने पंजाब के नेताओं के साथ विचार विमर्श किया।
समर्थन करने से किया इनकार
कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व प्रधान राहुल गांधी और महासचिव केसी वेणुगोपाल के साथ हुई इस बैठक में पंजाब कांग्रेस के नेताओं में मत भिन्नता तो दिखी लेकिन अधिकांश नेता इस बात पर एकजुट थे कि कांग्रेस के नेताओं को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ न तो बैठक करनी चाहिए और न ही अध्यादेश का समर्थन करना चाहिए।
पंजाब में AAP ने संविधान का किया था उल्लंघन
हालांकि, एक वर्ग ने संवैधानिक ढांचे को मजबूत करने के लिए अध्यादेश का विरोध करने की बात कही। नई दिल्ली में करीब एक घंटे तक चली बैठक के दौरान पंजाब कांग्रेस के अधिकांश नेता इस बात को लेकर एक राय थे कि कांग्रेस को राज्य सभा में जब बिल आए तो उसका विरोध नहीं करना चाहिए। क्योंकि अरविंद केजरीवाल जब संविधान की दुहाई दे रहे हैं तो पंजाब में वह संविधान का खुल कर उल्लंघन कर रहे हैं।
दिया गया संविधान की भावना का हवाला
कांग्रेस के नेताओं ने यहां तक कहा कि अगर पार्टी अध्यादेश का विरोध करती हैं तो वहीं गलती दोहराई जाएगी जैसा की दिल्ली में आप पार्टी का समर्थन करके सरकार बनाने को लेकर की गई थी। हालांकि बैठक में पार्टी के एक नेता ने संविधान की भावनाओं का हवाला देते हुए अध्यादेश का विरोध करने की बात भी की।
जल्दी बताया जाएगा फैसला
पार्टी नेताओं इस संबंध में फैसला लेने का अधिकार पार्टी हाईकमान पर छोड़ दिया। कांग्रेस के प्रदेश प्रधान अमरिंदर सिंह राजा वड़िंग ने बैठक के उपरांत कहा, ‘गेंद अब आलाकमान के पाले में है कि वह अध्यादेश का समर्थन करे या विरोध। पार्टी ने जो जानकारी मांगी हमने दे दी। अब वह निर्णय लेंगे। फैसला जल्द ही बता दिया जाएगा।
सिद्धू की राय बंद दरवाजे में
बता दें कि अध्यादेश, जिसे अंततः बिल के रूप में संसद में लाया जाएगा, दिल्ली के लेफ्टिनेंट-गवर्नर को राज्य सरकार के बजाय सिविल सेवकों के तबादले और पोस्टिंग पर अंतिम निर्णय देगा। पीपीसीसी के पूर्व प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा, “मेरी राय बंद दरवाजे में थी।
मेरी राय संघीय ढांचे पर थी। मैं सत्य के मार्ग पर चलता हूं। मेरे अपने नैतिक मूल्य हैं। बंद दरवाजे के अंदर अगर कुछ चल रहा है, तो मैं उसे बाहर नहीं बता सकता हूं। जबकि पंजाब के प्रदेश प्रभारी हरीश चौधरी ने कहा कि यह एक आंतरिक बैठक थी।
AAP को समर्थन करने से बाच रही कांग्रेस
कांग्रेस के नेता भले ही खुले मंच पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हों लेकिन सूत्र बताते हैं कि पंजाब के नेताओं ने पार्टी को यह जानकारी दे दी कि अगर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं को अरविंद केजरीवाल के साथ बैठक भी नहीं करनी चाहिए। क्योंकि इससे भी पार्टी के कार्यकर्ताओं में संदेश अच्छा नहीं होगा।
बजवा ने हाईकमान से परामर्श लेने को कहा
बता दें कि विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने आप का समर्थन करने का फैसला करने से पहले हाईकमान से पंजाब कांग्रेस के नेताओं से परामर्श करने का आग्रह किया था, क्योंकि आप ने कांग्रेस नेताओं के खिलाफ साजिश रची थी। बाजवा ने ट्वीट किया था, आम आदमी पार्टी और अरविंद केजीरवाल किसी समर्थन या सहानुभूति के लायक नहीं हैं।
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