'पार्टी तोड़ने में विश्वास नहीं रखते...', पंजाब में AAP विधायकों को लेकर कांग्रेसी नेताओं के अलग-अलग सुर
Punjab Politics पंजाब में आम आदमी पार्टी विधायकों के कांग्रेस और भाजपा से संपर्क की खबरों के बीच कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी (कांग्रेस) अन्य पार्टियों को तोड़ने में विश्वास नहीं रखती है। हालांकि उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस का राज्य नेतृत्व पंजाब में राजनीतिक स्थिति पर नजर रख रहा है।
एएनआई, चंडीगढ़। दिल्ली चुनाव परिणाम के बाद पंजाब की सियासत गरमा गई है। मंगलवार को आप संयोजक और दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने पंजाब के विधायकों के साथ बैठक भी की। जहां एक ओर पंजाब में कांग्रेस के नेता और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष प्रताप सिंह बाजवा ने दावा किया है कि आप के 30 विधायक कांग्रेस के संपर्क में हैं। वहीं, कांग्रेस सांसद प्रमोद तिवारी की भी इस मामले पर प्रतिक्रिया सामने आई है।
मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों के भाजपा और कांग्रेस के संपर्क में होने के दावों को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी (कांग्रेस) अन्य पार्टियों को तोड़ने में विश्वास नहीं रखती है।
हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि कांग्रेस का राज्य नेतृत्व पंजाब में राजनीतिक स्थिति पर नजर रख रहा है। तिवारी ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनका खरीद-फरोख्त और पार्टियां तोड़ने का इतिहास रहा है। उन्होंने महाराष्ट्र, गोवा और मणिपुर का उदाहरण दिया।
'बीजीपी का खरीद-फरोख्त का रहा इतिहास'
एएनआई से बात करते हुए कांग्रेस सांसद तिवारी ने कहा, भारतीय जनता पार्टी का खरीद-फरोख्त और पार्टियों को तोड़ने का इतिहास रहा है। हमने महाराष्ट्र, गोवा, मणिपुर में भी ऐसा देखा है। वे पंजाब में भी ऐसा करने की कोशिश करेंगे। जहां तक कांग्रेस का सवाल है, हम पार्टियों को तोड़ने में विश्वास नहीं रखते हैं। हमारी पार्टी का राज्य नेतृत्व वहां की स्थिति पर नजर रख रहा है।
इससे पहले आज, पंजाब में विपक्ष द्वारा लगाए गए आरोपों के बीच कि मुख्यमंत्री भगवंत मान के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी सरकार कभी भी गिर सकती है, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि पंजाब में किसी भी तरह की राजनीतिक अस्थिरता के राष्ट्रीय स्तर पर बहुत गंभीर परिणाम होंगे।
'दिल्ली ने कभी पंजाब को नहीं समझा'
एएनआई से बात करते हुए, तिवारी ने कहा कि यह एक त्रासदी है कि दिल्ली ने कभी पंजाब को नहीं समझा और दुर्भाग्य से कभी पंजाब को नहीं समझ पाएगी क्योंकि राज्य की एक अलग प्रकृति, एक अलग संस्कृति, एक अलग समन्वय है और यह एक अलग लय में काम करता है।
उन्होंने यह भी कहा कि पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है, इसलिए इसे बहुत सावधानी से संभालने की जरूरत है और केंद्र को सीमावर्ती राज्यों के लिए एक 'सीमा नीति बनाने की जरूरत है।
पंजाब में किसी भी तरह की राजनीतिक अस्थिरता का राष्ट्रीय स्तर पर बहुत गंभीर असर होगा। पंजाब एक सीमावर्ती राज्य है। हमारा पश्चिमी पड़ोसी हमेशा पंजाब की शांति को नष्ट करने की कोशिश में अति सक्रिय रहता है। इसलिए, कुछ सीमावर्ती राज्य हैं जिन्हें बहुत सावधानी से संभालने की आवश्यकता है।
दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने जीती 48 सीट
भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में 70 विधानसभा सीटों में से 48 पर जीत हासिल करते हुए आरामदायक अंतर से जीत हासिल की। आप को भारी झटका लगा, उसे केवल 22 सीटें मिलीं।
साल 2020 के चुनावों में इसकी पिछली 62 सीटों से बहुत बड़ी गिरावट। इस ऐतिहासिक जनादेश के साथ भाजपा 27 साल बाद राष्ट्रीय राजधानी में सत्ता में लौट रही है।
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