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    Punjab News: सेना ज्वाइन करते समय मनप्रीत ने कहा था- मौत के डर को पीछे छोड़कर जा रहा हूं...

    By Paras PandeyEdited By: Paras Pandey
    Updated: Thu, 14 Sep 2023 04:30 AM (IST)

    मोहाली के मुल्लांपुर स्थित गांव भारंजियां में बुधवार शाम से सन्नाटा पसरा है। गांव के सभी लोग एक घर के बाहर जमा हैं। यह घर है यहां रहने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह का जो जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग में बुधवार शाम आतंकियों से मुठभेड़ में बलिदान हो गए। फिर शाम को कर्नल के बलिदान की खबर मिलते ही लोग उनके घर के बाहर एकत्र होने लगे।

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    जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से मुठभेड़ में मोहाली के कर्नल मनप्रीत सिंह हुए बलिदानी (फाइल फोटो)

    चंडीगढ़,कुलदीप शुक्ला। मोहाली के मुल्लांपुर स्थित गांव भारंजियां में बुधवार शाम से सन्नाटा पसरा है। गांव के सभी लोग एक घर के बाहर जमा हैं। यह घर है यहां रहने वाले कर्नल मनप्रीत सिंह का, जो जम्मू एवं कश्मीर के अनंतनाग में बुधवार शाम आतंकियों से मुठभेड़ में बलिदान हो गए।

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    शाम को कर्नल के बलिदान की खबर मिलते ही लोग उनके घर के बाहर एकत्र होने लगे। उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि उनके गांव का नाम रोशन करने वाले मनप्रीत सिंह ने देश की सेवा में अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। इस घर में उनकी मां मनजीत कौर, पत्नी जगमीत कौर, सात वर्षीय बेटा कबीर सिंह और ढाई साल की बेटी वाणी और भाई संदीप सिंह परिवार के साथ रहते हैं।

    वहीं, घर में मौजूद मनप्रीत सिंह की मां को अब तक उनके बेटे के बलिदान की सूचना नहीं दी गई है। स्वजनों के अनुसार सेना की ओर से बलिदानी कर्नल मनप्रीत सिंह का पार्थिव शरीर वीरवार को उनके घर पहुंचने की सूचना दी गई है।

    मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह ने बताया कि उनके परिवार का आर्मी बैकग्राउंड रहा है। उनके दादा, पिता और चाचा भी सेना में रहे हैं। साल 2003 में सीडीएस की परीक्षा पास कर ट्रेनिंग के बाद भाई 2005 में लेफ्टिनेंट बने थे। मनप्रीत सिंह ने ट्रेनिंग पर जाते समय कहा था कि, उन्हें नहीं मालूम कि डर क्या होता है, मौत को पीछे छोड़कर भारत माता की सेवा करने के लिए सेना में शामिल हो रहा हूं। मार्च 2021 में कर्नल मनप्रीत सिंह को उनके अदम्य साहस के लिए गैलेंट्री सेना मेडल से नवाजा गया था।

    उनके छोटे भाई संदीप सिंह ने कहा कि मनप्रीत बचपन से ही सेना में अफसर बनने की चाहत रखता था। किसी के पूछने पर उनका एक ही जवाब होता था कि जैसे पिता सेना में बतौर सिपाही अफसरों को सैल्यूट करते हैं, एक दिन वह अफसर बनेगा और अपने पिता के साथ खड़ा होगा तो वहीं अफसर उसे भी सैल्यूट करेंगे। मनप्रीत के पिता लखमीर सिंह 12 सिख लाइट इन्फेंट्री से बतौर हवलदार रिटायर्ड हुए थे।

    केवी में प्राइमरी पढ़ाई, एसडी कालेज में टापर, सीए भी किया  

    बलिदानी मनप्रीत सिंह के छोटे भाई संदीप सिंह ने दैनिक जागरण से बातचीत में कहा कि, मनप्रीत बचपन से पढ़ाई में अव्वल था। केंद्रीय विद्याालय, मुल्लांपुर से प्राइमरी की पढ़ाई करने के बाद सेक्टर-32 एसडी कालेज से बीकाम की पढ़ाई पूरी की। इस दौरान चार्टेंट अकाउंटेंट की परीक्षा भी पास की। इस दौरान सीडीएस की परीक्षा पास कर सेना में उनका चयन हो गया। पहली कक्षा से लेकर बीकाम तक की पढ़ाई तक मनप्रीत कभी सेकेंड नंबर पर नहीं आया था।

    2016 में पंचकूला की जगमीत से हुई शादी

    संदीप सिंह ने बताया कि उनके बड़े भाई मनप्रीत सिंह की साल 2016 में पंचकूला निवासी जगमीत कौर से शादी हुई थी। उनका एक सात साल का बेटा कबीर सिंह और ढाई साल की बेटी वाणी है। उनकी पत्नी जगमीत पंचकूला के मोरनी में अध्यापक है। 15 दिन पहले पत्नी जगमीत कश्मीर के अनंतनाग में मनप्रीत के पास से होकर आई है। सबकुछ ठीक चल रहा था, सब खुश थे कि अचानक दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

    दादा और उनके दो भाई, पिता-चाचा सेना से रिटायर्ड

    संदीप सिंह ने बताया कि तीन भाई-बहनों में मनप्रीत सबसे बड़े थे, दूसरे नंबर पर उनकी बहन संदीप कौर और तीसरे नंबर पर वह खुद हैं। उनके दादा स्वर्गीय शीतल सिंह, उनके भाई साधु सिंह और त्रिलोक सिंह तीनों सेना से रिटायर्ड थे। वहीं उनके पिता लखमीर सिंह सेना में बतौर सिपाही भर्ती होकर हवलदार के पद पर रिटायर हुए थे। चाचा भी सेना में रहे हैं। इसके बाद पिता पंजाब यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी ब्रांच में तैनात थे। साल 2014 में पिता की ब्रेन हैम्रेज से मौत होने के बाद उनकी जगह अनुकंपा पर उन्हें असिस्टेंट क्लर्क की नौकरी मिली है। उनके पूरे परिवार ने सेना में रहकर देश की सेवा की है।