Punjab News: NPA बंद नहीं करेगी पंजाब सरकार, चलाएगी पे-क्लीनिक; स्वास्थ्य मंत्री डॉ बलबीर सिंह के साथ खास बातचीत
पूर्व कैप्टन सरकार के दौरान डॉक्टर्स को नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद करके सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को ड्यूटी के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने की इजाजत देने की कवायद शुरू की थी लेकिन इसे सिरे नहीं चढ़ाया जा सका। अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने इस पर भारी रोष जताया। अब भगवंत मान सरकार बीच का रास्ता तलाशने की कवायद में है।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पूर्व कैप्टन सरकार के दौरान डॉक्टर्स को नॉन प्रैक्टिस अलाउंस बंद (Non practice allowance to doctors stopped) करके सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों को ड्यूटी के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करने की इजाजत देने की कवायद शुरू की थी, लेकिन इसे सिरे नहीं चढ़ाया जा सका। अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों के डॉक्टरों ने इस पर भारी रोष जताया।
अब भगवंत मान सरकार बीच का रास्ता तलाशने की कवायद में है। यह क्या होगा? और इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग में क्या कुछ नया किया जा रहा है इसको लेकर स्वास्थ्य मंत्री डॉ बलबीर सिंह (Health Minister Balbeer Singh) से लंबी बातचीत की गई।
पेश है उसके कुछ अंश:-
नैरोबी में हुई ग्लोबल हेल्थ सप्लाई चेन सम्मेलन में पंजाब के मोहल्ला क्लीनिक मॉडल को पहला इनाम मिला है। आखिर यह किस लिए मिला है?
ग्लोबल हेल्थ मिशन सम्मेलन में हमने यह प्रस्तुतिकरण दिया कि किस तरह प्राइमरी हेल्थ सेंटर में आने वाले मरीजों को हर तरह की स्वास्थ्य सुविधा दी जा रही है। इसका रिकार्ड डिजिटलाइज किया जा रहा है ताकि हमें यह पता चल सके कि पंजाब में किस जगह पर कौन सी बीमारी का ट्रेंड है । उसके आधार पर हम अपनी नीतियां बना सकें। मोहल्ला क्लीनिक मॉडल दिल्ली का है जिसे हमने और इंप्रूव किया है। इसमें मरीजों के टेस्ट, दवाएं आदि सब निशुल्क हैं। सारा स्टाफ हमने इम्पेनल किया हुआ है जिन्हें प्रति मरीज के हिसाब से पैसे मिलने हैं। इसे काफी पसंद किया गया । जहां हमें पहला इनाम मिला , वहीं सम्मेलन में शामिल हुए 85 देशों में से 40 देशों ने इस माडल का स्टडी करने की इच्छा व्यक्त की जो जल्द ही पंजाब आएंगे।
पंजाब में तो गांव स्तर पर पहले ही डिस्पेंसरी का माडल था, तो यह उससे कैसे अलग है?
पंजाब में डिस्पेंसरी या प्राइमरी हेल्थ सेंटर थे लेकिन उनकी इमारतें खस्ता हाल थीं, डॉक्टर नहीं थे। दवाएं नहीं मिल रही थीं। मोहल्ला क्लीनिक में जहां उसे दूर किया गया है, वहीं हर तरह के टेस्ट और दवाएं निशुल्क हैं। साथ ही सारा रिकार्ड डिजिटलाइज किया जा रहा है। इससे हमें पता चल रहा है कि पंजाब के किस इलाके में कौन सी बीमारी ज्यादा है और वहां किस तरह की दवाएं भेजने की जरूरत है।
आपको क्या लग रहा है कि पंजाब में किस तरह की बीमारी के ट्रेंड बढ़े हैं
मोहल्ला क्लीनिकों में 78 लाख मरीजों का इलाज हो चुका है और मरीजों की बीमारियों को देखकर लग रहा है कि लोगों में गुर्दे फेल होने की बीमारी तेजी से बढ़ रही है। इसका कारण हाइपरटेंशन, शूगर और बीपी हो सकता है। ये लाइफ स्टाइल से संबंधित बीमारियां हैं। डॉक्टर मरीजों को आचार और व्यवहार बदलने की भी सलाह दे रहे हैं।
मोहल्ला क्लीनिक माडल का पहला इनाम मिला लेकिन इसकी भारत में पहचान नहीं बन रही। केंद्र ने इस माडल के कारण पैसा रोका हुआ है?
केंद्र सरकार के ऐतराज बहुत छोटे छोटे हैं। पहले हमने उसे दूर करने का प्रयास किया लेकिन वह नहीं माने। हमारा 621 करोड़ रुपया रोक लिया। लेकिन अब हमने इस योजना को प्रांतीय योजना बना लिया है और केंद्र की वेलनेस सेंटर स्कीम से इसे अलग कर दिया। कुछ दिन पहले ही हमने इसकी जानकारी केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को दे दी है। मुझे लगता है कि अब उन्हें पैसे रिलीज करने में देरी नहीं करनी चाहिए।
पूर्व कैप्टन सरकार के दौरान डॉक्टरों को एनपीए बंद करके सरकारी अस्पतालों में ड्यूटी के बाद प्रेक्टिस की मंजूरी देने की योजना तैयार की थी, क्या आप इससे सहमत नहीं हैं?
नहीं, एनपीए देकर भी हम सरकारी डॉक्टरों को प्राइवेट के मुकाबले वेतन नहीं दे पा रहे। इस योजना को बंद नहीं किया जाएगा। लेकिन मैंने एक पे-क्लीनिक नाम से योजना तैयार की है जो सुपर स्पेशलिटी अस्पतालों से शुरू की जा रही है। पायलट के तौर पर हम इसे पटियाला में शुरू कर रहे हैं। सरकारी डॉक्टर 9 बजे से 3 बजे तक अपनी नियमित ड्यूटी करेंगे। उसके बाद वह शाम को उसी विभाग में प्राइवेट प्रेक्टिस कर सकेंगे। इसके लिए सरकार फीस निर्धारित करेगी जिसका 40 फीसदी संबंधित डॉक्टर, 20 फीसदी अटेंडेंट और 40 फीसदी अस्पताल को मिलेगा।
सबरत बीमा योजना को सरकारी अस्पतालों को लाभ क्यों नहीं हो रहा
पंजाब में 1.60 करोड़ लोग आयुष्मान कार्ड बनाने के योग्य हैं लेकिन अभी 90 लाख और कार्ड बन सकते हैं। फरीदकोट के सीएमओ ने इस पर बहुत अच्छा काम किया है। उनके 70 फीसदी मरीजों ने आयुष्मान का फायदा उठाया है। इस माडल को हम पूरे प्रदेश में लागू करवाएंगे।
जेलों में कैदियों को लग रही गंभीर बीमारियों पर सवाल उठ रहे हैं?
स्वास्थ्य विभाग ने विशेष अभियान के तहत जेलों में बंद करीब 31 हजार कैदियों का स्वास्थ्य परीक्षण किया है। अधिकांश कैदी एचआईवी (एड्स), हेपेटाइटिस बी, सी, मधुमेह, रक्तचाप जैसी बीमारियों से पीड़ित पाए गए। कोई भी व्यक्ति जेल में कैसा भी हो, जब वह घर लौटे तो उसे एक अच्छा इंसान बनना चाहिए। जेलों में योग और ध्यान तो करवाया ही जा रहा है साथ ही उनकी स्किल डेवलपमेंट भी करवाई जा रही है।
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