Punjab News: 'किसानों की सभी मांगें जायज', शंभू बॉर्डर खोलने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का AAP ने किया स्वागत
Punjab News शंभू बॉर्डर खोलने को लेकर आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। आप ने कहा कि किसानों की सभी मांगें जायज हैं। सरकार क ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। आम आदमी पार्टी (आप) ने पंजाब-हरियाणा की सीमा शंभू बॉर्डर खोलने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है। आप के वरिष्ठ नेता नील गर्ग ने कहा कि किसानों की सभी मांगें जायज हैं, इसलिए केंद्र सरकार को उन्हें बॉर्डर पर रोकने के बजाए उनकी मांगों को पूरा करने के लिए गहनता से विचार-विमर्श करना चाहिए।
गर्ग ने कहा कि 2013 में प्रधानमंत्री बनने से पहले नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि केंद्र में सरकार बनते ही हम किसानों का पूरा कर्ज माफ करेंगे। स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के अनुसार एमएसपी पर कानून बनाएंगे, परंतु प्रधानमंत्री मोदी अपने वादे से पलट गए। इसलिए किसानों को दिल्ली की ओर जाने पर मजबूर होना पड़ा है।
750 से अधिक किसानों को मौत
गर्ग ने कहा कि प्रधानमंत्री ने देश के किसानों के साथ धोखा किया है। उन्होंने किसानों से संबंधित अपना एक भी वादे पूरा नहीं किया, बल्कि किसानों की जमीनों को अपने कार्पोरेट दोस्तों को सौंपने के लिए काले कृषि कानून किसानों पर थोप दिए। सरकार के इस फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 750 से अधिक किसानों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
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सुप्रीम कोर्ट का फैसला अहम
नील गर्ग ने कहा कि किसान आंदोलन से डर कर जब प्रधानमंत्री मोदी ने काले कृषि कानून वापस लेने की घोषणा की थी, उस समय भी उन्होंने एमएसपी पर एक कमेटी बनाने की बात कही थी, लेकिन आज तक उन्होंने इसे पूरा नहीं किया।
नील गर्ग ने सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद करते कहा कि इस मामले में अगर सुप्रीम कोर्ट हस्तक्षेप न करता तो हाईवे अनिश्चित काल के लिए बंद रहता।
अपनी बात रखने का मिले मौका
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री को किसानों से मिलकर उनको अपनी बात रखने का मौका देना चाहिए। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक स्वतंत्र कमेटी बनाने के फ़ैसले का समर्थन करती है। उन्होंने विश्वास जताया कि कमेटी किसानों और अन्य संगठनों से बात कर किसानों की मांगों को सरकार तक पहुंचाएगी।
उन्होंने केंद्र सरकार एवं हरियाणा सरकार से भी निवेदन करते कहा कि वह अपनी जिद्द छोड़कर किसानों की बात सुने और उनके हक में फैसला लें।
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