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    पंजाब में जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों पर लगेगा चार गुना जुर्माना, पंचायतों को मिलेगा सीधा फायदा

    Updated: Sun, 28 Sep 2025 02:36 PM (IST)

    पंजाब सरकार ने पंजाब ग्राम सांझी भूमि नियम 1964 में संशोधन किया है जिससे गांवों की सांझी ज़मीन पर अवैध कब्ज़े करने वालों पर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने की आधी राशि पंचायत को मिलेगी जिससे गांवों का विकास होगा। कॉलोनाइज़र को ग्रामीणों के लिए वैकल्पिक रास्ते और नहरें भी बनानी होंगी। यह फैसला गांवों के अधिकारों और पंचायतों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा।

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    सांझी जमीन पर कब्ज़ा करने वालों की अब खैर नहीं

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब के गांवों को सिर्फ़ उनकी मिट्टी, खेत और नहरों से ही नहीं पहचाना जाता, बल्कि उनकी सांझी ज़मीन (शमलात ज़मीन) से भी पहचाना जाता है। यह ज़मीन गांव के सब लोगों की साझा संपत्ति होती है और पीढ़ी-दर-पीढ़ी उनके अधिकार में रहती है। पर पिछले कई सालों में कुछ ताकतवर बिल्डर और कॉलोनी बनाने वाले लोग इन ज़मीनों पर ग़लत तरीके से कब्ज़ा कर लेते थे। गांव के कच्चे रास्ते (पगडंडियां) ग़ायब हो जाते थे, नहरें और पानी के रास्ते बंद कर दिए जाते थे, और गांव के लोगों के आने-जाने के रास्ते रोक दिए जाते थे। इस वजह से, गांववालों का अधिकार छीना गया और गांव की पंचायतें भी पैसे के मामले में कमज़ोर हो गईं।

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    अब पंजाब सरकार ने इस हालात को बदलने का एक बड़ा और बहुत ज़रूरी फ़ैसला लिया है। सरकार की कैबिनेट ने 'पंजाब ग्राम सांझी भूमि नियम, 1964' में ज़रूरी बदलाव को मंज़ूरी दी है। इस बदलाव के बाद, अब कोई भी कॉलोनाइज़र ग़लत तरीके से कब्ज़ा की गई सांझी ज़मीन पर आसानी से कब्ज़ा नहीं कर सकेगा। नए नियमों के हिसाब से, अगर कोई कॉलोनाइज़र गांव की सांझी ज़मीन, पुराने रास्तों या नहरों पर कब्ज़ा करता है, तो उसे उस ज़मीन की सरकारी कीमत (कलेक्टर रेट) से चार गुना ज़्यादा कीमत देनी होगी। यह एक तरह का भारी जुर्माना होगा। इस जुर्माने की कीमत का आधा हिस्सा (50%) सीधे पंचायत के खाते में और बाक़ी आधा हिस्सा (50%) राज्य सरकार के पास जमा किया जाएगा। इससे पंचायतें पैसों के मामले में मज़बूत होंगी और गांव का विकास तेज़ी से होगा।

    पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने बताया कि नए नियमों के अनुसार, कॉलोनाइज़र को यह भी ज़रूरी कर दिया गया है कि वह गांववालों के लिए दूसरा रास्ता और नहर भी बनाए। इसका पूरा ख़र्च कॉलोनाइज़र को ही उठाना होगा, और इन नए रास्तों और नहरों का सीधा फ़ायदा पंचायत को मिलेगा। यह बात पक्की करती है कि अब कोई भी गांववालों का हक़ दबा नहीं सकेगा। पहले इस तरह की ज़मीन बेचने से जो पैसा मिलता था, वह पंचायत के पास सिर्फ़ फिक्स्ड डिपॉज़िट में रहता था और उसका इस्तेमाल सीमित था। अब नए नियमों से गांव को सिर्फ़ पैसे का फ़ायदा ही नहीं होगा, बल्कि उन्हें नए रास्ते और नहरें जैसे ज़रूरी चीज़ें भी मिलेंगी। सरकार इस बात को पक्का कर रही है कि ये सभी चीज़ें पूरी तरह से गांव के लोगों के लिए सुरक्षित रहें।

    पंचायत विभाग के 2022 के सर्वे में पता चला था कि पंजाब में 100 एकड़ से भी ज़्यादा सांझी ज़मीन पर कॉलोनाइज़रों ने ग़लत तरीके से कब्ज़ा कर रखा था। 85 प्राइवेट कॉलोनियों ने नहरों और पानी के रास्तों को भी बदल दिया था। यह नया बदलाव पक्का करता है कि ऐसे कब्ज़े गांववालों और पंचायत के फ़ायदे के लिए ही सही किए जाएं। आज जब गांवों में ग़लत कब्ज़े की तस्वीरें हैं, यह नया नियम गांववालों के लिए नई हिम्मत, नया अधिकार और पैसे की नई उम्मीद लेकर आया है। पंजाब सरकार का यह कदम साफ़ दिखाता है कि गांववालों के हक़ और पंचायतों की आर्थिक मज़बूती उसकी सबसे पहली प्राथमिकता है।