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    लाइसेंसी पिस्तौल के साथ बस में सोया यात्री, गलती से चंडीगढ़ में घुसा; कोर्ट ने 3 साल की सजा को किया निलंबित

    Updated: Thu, 18 Sep 2025 08:57 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एक व्यक्ति को बरी कर दिया जिसके पास पंजाब में अनुमति वाली लाइसेंसी बंदूक थी। कोर्ट ने कहा कि वह व्यक्ति बस में सो गया और अनजाने में चंडीगढ़ में प्रवेश कर गया था। हाईकोर्ट ने कहा कि उसने शस्त्र अधिनियम का जानबूझकर उल्लंघन नहीं किया।

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    गलती से चंडीगढ़ में बंदूक लेकर घुसे शख्स की 3 साल की सजा निलंबित (प्रतीकात्मक फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक व्यक्ति को बरी कर दिया, जिसके पास केवल पंजाब में अनुमति वाली लाइसेंसी बंदूक पाई गई थी। कोर्ट ने कहा कि वह व्यक्ति बस में चढ़ गया था और सो गया था। अनजाने में चंडीगढ़ में प्रवेश कर गया था।

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    कोर्ट ने यह भी कहा कि शस्त्र अधिनियम का कोई जानबूझकर उल्लंघन नहीं किया गया था। यह देखते हुए कि उसने चंडीगढ़ के क्षेत्र में 100 गज से अधिक की यात्रा की थी, जस्टिस संजय वशिष्ठ ने कहा कि इसमें शामिल कम दूरी और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि याचिकाकर्ता यात्रा के दौरान सो रहा था, यह निष्कर्ष निकालना उचित नहीं है कि उसने बिना अपेक्षित अनुमति के अनधिकृत क्षेत्र में हथियार ले जाकर जानबूझकर अपराध किया।

    अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत मौखिक और दस्तावेजी साक्ष्य की संपूर्णता से, ऐसा कुछ भी सामने नहीं आया है जो यह प्रदर्शित करे कि याचिकाकर्ता ने किसी गैरकानूनी इरादे या उद्देश्य से प्वाइंट 32 बोर की पिस्तौल और 16 कारतूस रखे थे। कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के इस तर्क को खारिज कर दिया कि अपराध के बारे में वायरलेस नियंत्रण कक्ष से पूर्व सूचना मिल गई थी।

    हाई कोर्ट अमृतपाल सिंह की पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें उन्होंने दोषसिद्धि के फैसले को चुनौती दी थी, साथ ही उस सजा के आदेश को भी चुनौती दी थी जिसके तहत उन्हें तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई थी। रिकार्ड की जांच करने के बाद, कोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष के गवाह के कथन से यह बात सामने आई है कि याचिकाकर्ता ने जालंधर से फेज-6, मोहाली तक का टिकट खरीदा था।

    दोनों ही स्थान पंजाब क्षेत्र में हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि यात्रा शुरू करते समय याचिकाकर्ता की ओर से कोई गलत कार्य करने का इरादा या तत्व नहीं था। इसमें कहा गया है बस चंडीगढ़ परिवहन उपक्रम की थी और उसे चंडीगढ़ क्षेत्र में प्रवेश करना था। इसके बावजूद टिकट केवल पंजाब राज्य के भीतर आने वाले गंतव्य के लिए खरीदा गया था, जिसके लिए याचिकाकर्ता के पास शस्त्र लाइसेंसिंग प्राधिकरण द्वारा जारी वैध लाइसेंस था।

    अदालत ने कहा कि गवाहों के बयानों से पता चला है कि याचिकाकर्ता को सिरदर्द हो रहा था और उसने कंडक्टर से दवा मांगी थी। दवा उपलब्ध न होने के कारण याचिकाकर्ता सो गया। जब वह चंडीगढ़ में आया तो पुलिस ने नाके पर चेकिंग के दौरान उसे पकड़ लिया। सेक्टर-39 थाने में दर्ज मामले में उसे चंडीगढ़ जिला अदालत ने सजा सुनाई थी।