वित्तीय संकट में पंजाब, सरकार ने बोर्ड और कॉर्पोरेशन से मांगे 1045 करोड़
पंजाब सरकार वित्तीय संकट से जूझ रही है। सरकार ने बोर्डों और निगमों को 1045 करोड़ रुपये का बकाया चुकाने का आदेश दिया है। वित्त विभाग के ऑडिट में यह साम ...और पढ़ें

इन्द्रप्रीत सिंह,चंडीगढ़। वित्तीय संकट की मार पंजाब पर बढ़ती जा रही है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब सरकर ने दस के करीब बोर्ड , कॉर्पोरेशन की ओर सरकार के लंबित 1045 करोड़ के बकाए को अदा करने के लिए आदेश जारी कर दिया है।
यह वित्त विभाग की ओर से करवाए गए ऑडिट में सामने आया है। वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि ये पैसा सरकार का है, जो फीसों या अन्य वित्तीय स्रोतों के रूप में बोर्ड और कॉर्पोरेशन की ओर से वसूला जाता है और इसे सरकार को देना होता है, लेकिन बोर्ड और कॉर्पोरेशन ऐसा नहीं कर रहे थे। इसलिए इन्हें ये पैसा देने के लिए पत्र जारी किया गया है।
वित्त विभाग के एक अधिकारी ने उदाहरण के तौर पर बताया कि वन विकास निगम की ओर 84 करोड़ का बकाया है। यह विभिन्न स्थानों से पेड़ काटकर बेचने के एवज में पैसा उनके पास आता है, जो उन्होंने अपने खर्च निकालकर सरकार को वापस देना होता है। देखने में आया है कि उनकी ओर 84 करोड़ रुपये खड़ा है।
उन्होंने कहा कि सरकार को अपने खर्चों को पूरा करने के लिए हर महीने करोड़ों रुपये का कर्ज लेना पड़ता है, जिसका ब्याज भी इसी अनुपात में जाता है जबकि सरकार का अपना पैसा बोर्ड और कॉर्पोरेशन की ओर बकाया पड़ा रहता है।
काबिले गौर है कि सात अगस्त को मुख्य सचिव केपीए सिन्हा ने सभी संबंधित विभागीय सचिवों के साथ एक बैठक की और उसमें उनकी ओर बकाया रकम को सरकार को वापस लौटाने के निर्देश दिए। इनमें सबसे ज्यादा 749 करोड़ रुपये उद्योग विभाग की ओर है।
उसकी पंजाब स्टेट एक्सपोर्ट कॉर्पोरेशन की ओर 540 करोड़ बकाया हैं, हालांकि कॉर्पोरेशन की कर्मचारी यूनियन का कहना है कि यह पैसा कॉर्पोरेशन का है, सरकार का इसमें कोई लेना देना नहीं है।
वन विकास निगम का 84 करोड़, शिक्षा विभाग की ओर 60 करोड़, आबकारी विभाग की ओर 60 करोड़, खाद्य एवं आपूर्ति विभाग की ओर 175 करोड़, बागबानी की ओर 20 करोड़, पर्यावरण विभाग की ओर 272 करोड़्र गृह विभाग की ओर 41 करोड़, सामाजिक सुरक्षा विभाग की 18 करोड़ और सेवा केंद्रों की ओर 60 करोड़ रुपये बकाया हैं।
दरअसल, इस साल की पहली तिमाही में केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाली ग्रांट में कमी आने और 15वें वित्तीय आयोग की ओर से राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए दी गई अतिरिक्त ग्रांट का कोई पैसा न मिलने के कारण सरकार पर वित्तीय संकट मंडरा रहा है, जिसे पूरा करने के लिए सरकार हर ओर पड़ी बकाया राशियों को जुटाकर इस संकट को टालने की फिराक में है।
केंद्र से सहायता अनुदान में इस कमी का मुख्य कारण यह है कि 15वें वित्त आयोग में राज्य को मिलने वाला राजस्व घाटा अनुदान समाप्त हो गया है। आयोग ने 2021-26 तक पंजाब को कुल 25,968 करोड़ रुपये का अनुदान दिया था, जिसमें से पंजाब को पहले दो वर्षों में अधिकतम अनुदान मिला, 2021-22 में 10,081 करोड़ रुपये और 2022-23 में 8,274 करोड़ रुपये, 2023-24 में पंजाब को 5,618 करोड़ रुपये और 2024-25 में 1,995 करोड़ रुपये मिले थे। इस वर्ष एक भी पैसा नहीं मिला है।
वित्तीय संकट का एक बड़ा कारण सब्सिडियां भी हैं, जिनमें बिजली सब्सिडी 22 हजार करोड़ और महिलाओं को मुफ्त यात्रा करवाने के लिए दी जाने वाली 500 करोड़ की सब्सिडी है।

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