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    गैंगस्टरों से खतरे की शिकायत पर कितनी FIR हुई दर्ज? हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से मांगा ब्योरा

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को गैंगस्टरों से खतरे की आशंका जताने वाले व्यक्तियों की शिकायतों पर दर्ज एफआईआर की संख्या और गैंगस्टरों से निपटने के लिए विशेष टास्क फोर्स के गठन के बारे में जानकारी देने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने पंजाब कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट की वर्तमान स्थिति और संगठित अपराध से निपटने के लिए अलग कानून बनाने पर भी जवाब मांगा है।

    By Dayanand Sharma Edited By: Prince Sharma Updated: Thu, 27 Mar 2025 06:54 PM (IST)
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    गैंगस्टरों को लेकर पंजाब सरकार ने मांगा ब्योरा (जागरण फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार को निर्देश दिया है कि वह राज्यभर में उन एफआईआर की संख्या का विवरण पेश करे, जो उन व्यक्तियों की शिकायतों के आधार पर दर्ज की गई हैं, जिन्होंने 'गैंगस्टरों' से खतरे की आशंका जताई है। इसके अलावा, राज्य को यह भी जानकारी देने को कहा गया है कि क्या गैंगस्टरों से निपटने के लिए कोई विशेष टास्क फोर्स गठित की गई है या नहीं।

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    जस्टिस हरकेश मनूजा ने यह निर्देश एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया,  जो सिमरजीत सिंह ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) सुधांशु एस. श्रीवास्तव के खिलाफ दायर की थी।

    सुनवाई के दौरान जस्टिस हरकेश मनूजा ने इस सम्बंध में एक हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया, जिससे इन सभी बिंदुओं का विवरण हो। कोर्ट ने यह भी पूछा कि पंजाब कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट की वर्तमान स्थिति क्या है और इस कानून के तहत दर्ज मामलों की जांच में तेजी लाने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं।

    अब तीन अप्रैल को होगी सुनवाई

    इसके अलावा अदालत ने सरकार को यह स्पष्ट करने के लिए भी समय दिया कि क्या पंजाब में संगठित अपराध से निपटने के लिए कोई अलग कानून बनाया गया है। कोर्ट ने कहा कि सरकारी वकील ने इस विषय में जानकारी देने के लिए समय मांगा है, इसलिए अगली सुनवाई की तारीख 3 अप्रैल तय की गई है।

    इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस हरकेश मनूजा ने स्पष्ट किया कि अगर अगली सुनवाई से पहले हलफनामा या अनुपालन रिपोर्ट दाखिल नहीं की जाती या फिर अदालत के आदेश का पालन नहीं किया जाता, तो संबंधित अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से मुकदमेबाजी का 50 हजार रुपये का खर्च वहन करना होगा।

    पंजाब डीजीपी को दिया था निर्देश

    यह मामला सुरक्षा कवच बहाल करने से जुड़ा है, जिसमें याचिकाकर्ता ने पहले दिए गए अदालती आदेशों की अनुपालन न होने का आरोप लगाया है। अदालत को बताया कि नवंबर में दायर याचिका का निपटारा करते हुए अदालत ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (सुरक्षा) को याचिकाकर्ता की खतरे की आशंका पर विचार करने का निर्देश दिया था।

    अगर यह पाया जाता कि याचिकाकर्ता की जान को गैंगस्टर या किसी अन्य प्रभावशाली व्यक्ति से वास्तविक खतरा है, तो कानून के तहत उचित कार्रवाई की जाए और राज्य सरकार द्वारा बनाए गए नियमों के अनुसार आवश्यक सुरक्षा प्रदान की जाए। यह पूरी प्रक्रिया अदालत के आदेश प्राप्त होने के तीन सप्ताह के भीतर पूरी की जानी थी।लेकिन अदालत के आदेश के पालना नहीं की गई।

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