पंजाब ने ग्रीन एनर्जी को बनाया आर्थिक मजबूती और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की कुंजी, राष्ट्रपति ने किया सम्मानित
पंजाब सरकार ने ग्रीन एनर्जी को आर्थिक मजबूती और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की रणनीति के रूप में अपनाया है। राज्य को राष्ट्रीय ऊर्जा संरक्षण पुरस्कार-2025 में ...और पढ़ें

पंजाब ने ग्रीन एनर्जी को बनाया आर्थिक मजबूती और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की कुंजी।
कैलाश नाथ, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने ग्रीन एनर्जी (हरित ऊर्जा) को केवल पर्यावरण संरक्षण तक सीमित न रखते हुए उसे आर्थिक मजबूती और ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ठोस रणनीति के रूप में अपनाया है। अपनी दीर्घकालीन योजना, स्पष्ट नीति और जमीनी स्तर पर प्रभावी क्रियान्वयन के चलते राज्य ने ऊर्जा संरक्षण के क्षेत्र में बड़ी छलांग लगाई है।
इसी का परिणाम है कि पंजाब को राष्ट्रीय उर्जा संरक्षण पुरस्कार-2025 में स्टेट परफारमेंस कैटेगरी में दूसरा पुरस्कार देकर राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया गया है। यह सम्मान 14 दिसंबर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने प्रदान किया।

बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेस में लगे सौर पैनल।
राज्य सरकार ने सबसे पहले अपने सरकारी ढांचे से ग्रीन एनर्जी की शुरुआत की। इसके तहत पंजाब में अब तक 35 मेगावाट क्षमता वाले सरकारी भवनों को सोलर ऊर्जा से जोड़ा जा चुका है, जिससे बिजली बिलों में बड़ी बचत हो रही है। साथ ही 25 मेगावाट के नए सोलर प्रोजेक्ट्स पर काम तेजी से जारी है। सरकार का मानना है कि सरकारी इमारतों में सोलर ऊर्जा के उपयोग से न केवल खर्च कम होता है, बल्कि समाज के लिए एक उदाहरण भी स्थापित होता है।
कृषि क्षेत्र राज्य के बजट पर सबसे बड़ा बिजली भार डालता है, वहां भी सरकार ने चरणबद्ध और व्यावहारिक रास्ता अपनाया है। किसानों को दी जाने वाली मुफ्त बिजली से सरकार पर वर्तमान में 20,200 करोड़ रुपये का आर्थिक बोझ आता है। इसे देखते हुए सरकार ने सीधे कटौती के बजाय सोलर ऊर्जा के जरिए वैकल्पिक समाधान चुना।
इसी के तहत अब तक 18,000 सोलर पंप लगाए जा चुके हैं, जिससे किसानों को सिंचाई के लिए टिकाऊ और भरोसेमंद ऊर्जा मिल रही है। इससे जहां किसानों को दिन के समय निर्बाध बिजली उपलब्ध हो रही है, वहीं राज्य की बिजली खपत और सब्सिडी बोझ में भी कमी आ रही है। इन सभी पहले से अभी तक 12,000 मिलियन यूनिट बिजली की बचत की जा चुकी है।
औद्योगिक एवं वाणिज्यिक क्षेत्रों में भी हो रहा प्रयास
सरकार की रणनीति केवल सोलर पंप या रूफटाप प्रोजेक्ट्स तक सीमित नहीं है। औद्योगिक और वाणिज्यिक क्षेत्रों में भी ऊर्जा दक्षता बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। एमएसएमई सेक्टर और वेरका प्लांट्स सहित कई संस्थानों में 185 ऊर्जा दक्ष मोटरें लगाने से बिजली की खपत में उल्लेखनीय कमी आई है।
अमृतसर में नगर निगम की इमारत पर लगे सौर पैनल।
वाणिज्यिक भवनों में ऊर्जा की बचत के लिए ऊर्जा संरक्षण भवन कोड को प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है। इसके तहत ऊर्जा दक्ष डिजाइन, आधुनिक निर्माण सामग्री और ऊर्जा बचत तकनीकों को अपनाया जा रहा है।
मंत्री ने अधिकारियों को दिया सफलता का श्रेय
दिल्ली में सम्मानित हुए कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा ने कहा कि भवन क्षेत्र में ऊर्जा दक्षता को बढ़ावा देना सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल है। साथ ही उन्होंने पंजाब एनर्जी डेवलपमेंट अथारिटी (पेडा) के अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रयासों की सराहना की।

दिल्ली में समारोह के दौरान पंजाब के कैबिनेट मंत्री अमन अरोड़ा को सम्मानित करतीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु।
इस दौरान उनके साथ प्रोजेक्ट पर काम करने वाले अधिकारी पेडा की सीईओ नीलिमा, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग के प्रशासनिक सचिव डा. बसंत गर्ग, अतिरिक्त निदेशक जसपाल सिंह और प्रोजेक्ट इंजीनियर शरद शर्मा भी मौजूद रहे। उन्होंने कहा कि यह सभी प्रोजेक्ट इनके सहयोग से ही पूरे हुए हैं।

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