Punjab Haryana HC: 'डिवोर्स के बाद छह महीने साथ रहना जरूरी नहीं' सहमति से तलाक पर पंजाब-हरियाणा HC का बड़ा फैसला
Punjab Haryana HC पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि सहमति से तलाक मामलों में ट्रायल की तरह जांच जरूरी नहीं है। अदालत अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए इस अवधि को लेकर छूट दे सकती है। याचिका दाखिल करते हुए जोड़े ने हाईकोर्ट को बताया कि उनका विवाह 2018 में हुआ था और 2020 से वे अलग रह रहे हैं...
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। सहमति से तलाक के मामले में अनिवार्य 6 माह साथ रहने की शर्त पर अहम फैसला सुनाते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि ऐसे मामलों में ट्रायल की तरह जांच जरूरी नहीं है। अदालत अपने विवेक का इस्तेमाल करते हुए इस अवधि को लेकर छूट दे सकती है।
साथ ना रहने को लेकर की थी मांग
याचिका दाखिल करते हुए जोड़े ने हाईकोर्ट को बताया कि उनका विवाह 2018 में हुआ था और 2020 से वे अलग रह रहे हैं। दोनों के बीच रिश्ते को बचाने की कोई संभावना नहीं है और ऐसे में उन्होंने पटियाला की अदालत में तलाक के लिए केस दाखिल किया था। इस केस में दोनों ने 6 माह साथ रहने की अनिवार्य शर्त से मांगी थी जिससे अदालत ने इनकार कर दिया था।
फैसला अदालत के विवेक पर करता है निर्भर
इसी आदेश को दोनों ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने कहा कि सहमति से तलाक के मामलों में यदि अदालत इस बात से संतुष्ट है कि बिना किसी धोखे के अर्जी दाखिल की गई है तो कूलिंग ऑफ पीरियड को माफ किया जा सकता है। ऐसे मामलों में ट्रायल की तरह जांच की जरूरत नहींं होती है और यह पूरी तरह से अदालत के विवेक पर निर्भर करता है कि यह अवधि माफ की जानी चाहिए या नहीं।
इस मामले में दोनों पढ़े लिखे हैं और जीवन में आगे बढऩा चाहते हैं। ऐसे में इस 6 माह की अवधि को माफ किया जाना चाहिए। इन टिप्पणियों के साथ ही हाईकोर्ट ने पटियाला की अदालत के फैसले को रद्द करते हुए तलाक को लेकर आगे सुनवाई कर निर्णय लेने का आदेश दिया है।
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