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    चंडीगढ़ में 'नसबंदी अभियान' के बावजूद कैसे बढ़ा अवारा कुत्तों का आतंक? प्रशासन पर उठे सवाल, SC पहुंचा मामला

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 01:49 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों के काटने के मामलों पर सुनवाई करते हुए अवमानना याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट भेजने का फैसला किया है। जस्टिस विकास बहल ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों का पालन करने का निर्देश दिया है। आरोप है कि प्रशासन ने निर्देशों का पालन नहीं किया जिससे कुत्तों की संख्या बढ़ गई।

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    चंडीगढ़ में आवारा कुत्तों के काटने से जुड़ी अवमानना याचिकाएं अब सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाएंगी

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आवारा कुत्तों के काटने से जुड़े मामलों पर फैसला सुनाते हुए कहा कि इस संबंध में दायर अवमानना याचिकाएं अब सुप्रीम कोर्ट को भेजी जाएंगी। कोर्ट ने यह आदेश सुप्रीम कोर्ट के हालिया निर्देशों के मद्देनजर दिया है।

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    जस्टिस विकास बहल ने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को आदेश पारित करते हुए सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और स्थानीय निकायों को ‘एनिमल बर्थ कंट्रोल नियमों’ के पालन के लिए पक्षकार बनाया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस विषय से जुड़े सभी मामले, जो वर्तमान में अलग-अलग हाई कोर्ट में लंबित हैं, उन्हें एक साथ सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित किया जाए ताकि एकरूपता से विचार किया जा सके।

    सवालों के घेरे में कुत्तों की नसबंदी का कार्यक्रम

    हाई कोर्ट ने वर्ष 2015 में चंडीगढ़ प्रशासन और नगर निगम को निर्देश दिया था कि 2013 में तैयार की गई ‘आवारा कुत्तों के प्रबंधन की व्यापक योजना’ को प्रभावी रूप से लागू किया जाए। इस आदेश की अवहेलना का आरोप लगाते हुए कई अवमानना याचिकाएं दायर की गई थीं। यह मामला सबसे पहले याचिकाकर्ता गुरमुख सिंह द्वारा उठाया गया था।

    उन्होंने चंडीगढ़ प्रशासन के खिलाफ याचिका दाखिल कर रोज गार्डन क्षेत्र में आवारा कुत्तों के बढ़ते आतंक की ओर ध्यान दिलाया। उनका कहना था कि सुबह टहलते समय आवारा कुत्तों ने उनका पीछा किया और इलाके में कुत्तों के काटने की कई घटनाएं दर्ज हुई हैं। चंडीगढ़ में चलाया गया कुत्तों की नसबंदी का कार्यक्रम भी सवालों के घेरे में आ गया था।

    बाद में दाखिल याचिकाओं में कहा गया कि 2015 के आदेश के बावजूद प्रशासन ने जानबूझकर दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया। हाई कोर्ट ने सुनवाई के दौरान यह भी टिप्पणी की थी कि कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण का कार्यक्रम विफल रहा है, क्योंकि आवारा कुत्तों की संख्या पहले से कई गुना बढ़ गई है।

    नगर निगम/परिषद बताए कितने कुत्तों की नसबंदी हुई: हाईकोर्ट

    हाई कोर्ट ने मामले की व्यापकता को देखते हुए पंजाब और हरियाणा की स्थानीय निकायों से भी रिपोर्ट मांगी थी। अदालत ने आदेश दिया था कि दोनों राज्यों के हर जिले में एक समिति गठित की जाए और वहां की नगर परिषद/नगर निगम शपथ पत्र दाखिल कर यह बताएं कि कितने कुत्तों के काटने की घटनाएं दर्ज हुईं और कितने आवारा कुत्तों की नसबंदी व टीकाकरण हुआ।