'शराब पीते पकड़े गए...कोई रहम नहीं', ड्यूटी पर नशे में मिले पुलिसकर्मी पर हाईकोर्ट की सख्त टिप्पणी
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने ड्यूटी के दौरान नशे में पाए जाने वाले पुलिसकर्मी के प्रति सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि वर्दीधारी बलों में अनुशासन सर्वोपरि है और नशे में पाया जाना गंभीर कदाचार है। कोर्ट ने कांस्टेबल की याचिका खारिज करते हुए वेतन वृद्धि रोकने के फैसले को सही ठहराया क्योंकि उस पर नशे में दुर्व्यवहार करने का आरोप था।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट कर दिया है कि ड्यूटी के दौरान शराब के नशे में पाए गए पुलिसकर्मी को किसी भी प्रकार की नरमी नहीं दी जा सकती।
अदालत ने कहा कि वर्दीधारी बलों में अनुशासन सर्वोपरि है और ऐसा आचरण “गंभीर दुराचार” की श्रेणी में आता है, जो न केवल असंगत है बल्कि सार्वजनिक शांति और कानून व्यवस्था के लिए भी खतरा है।
जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी की खंडपीठ ने सात साल पुराने मामले में यह फैसला सुनाते हुए कहा कि संबंधित कॉन्स्टेबल पर दो वेतन वृद्धियों की रोक (संचयी प्रभाव सहित) की सजा न तो कठोर है और न ही अनुपातहीन।
पीठ ने टिप्पणी की, जब यह तथ्य स्वीकार है कि याचिकाकर्ता पुलिसकर्मी है, जिसकी जिम्मेदारी कानून-व्यवस्था बनाए रखना है, तब उस पर आरोप साबित होने के बाद दी गई सजा को अनुचित नहीं ठहराया जा सकता।
साल 2018 में दायर याचिका में कॉन्स्टेबल ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट), चंडीगढ़ द्वारा 4 अक्तूबर 2017 को दिए गए आदेश को चुनौती दी थी। कैट ने उसकी सजा संबंधी अपील खारिज कर दी थी।
याचिका वर्षों तक विभिन्न पीठों में लंबित रही, लेकिन अंतत एक ही सुनवाई में निपटा दी गई।चंडीगढ़ प्रशासन के वकील ने अदालत को बताया कि आरोप है कि कॉन्स्टेबल शराब के नशे में होटल मालिक और एक ग्राहक से अभद्र व्यवहार कर रहा था।
मेडिकल रिपोर्ट में भी उसके नशे में होने की पुष्टि हुई थी। याचिकाकर्ता ने यह भी दलील दी थी कि उसे जांच रिपोर्ट उपलब्ध नहीं करवाई गई थी। इस पर कोर्ट ने कहा कि यह आपत्ति उसने न तो अपीलीय और न ही पुनरीक्षण या अधिकरण के समक्ष उठाई थी। पहली बार हाई कोर्ट में यह दलील देना स्वीकार्य नहीं है।
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