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    MP-MLA के खिलाफ पेंडिंग क्रिमिनल मामलों की धीमी जांच पर हाई कोर्ट सख्त, सरकार से मांगा जवाब

    Updated: Fri, 18 Jul 2025 04:22 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सांसदों और विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामलों में देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने सरकारों से जांच में देरी का कारण बताने के लिए कहा है। हरियाणा में 2016 से लंबित मामले हैं जबकि पंजाब में कई मुकदमे वर्षों से लंबित हैं। कोर्ट ने चंडीगढ़ की रिपोर्ट पर संतोष जताया है।

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    सांसदों-विधायकों के विरुद्ध लंबित आपराधिक मामलों की धीमी जांच पर हाई कोर्ट गंभीर (File Photo)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्यों के वर्तमान और पूर्व सांसदों तथा विधायकों के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की जांच और सुनवाई में हो रही देरी पर कड़ा रुख अपनाया है। शुक्रवार को चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की पीठ ने कहा खंडपीठ ने सवाल खडे करते हुए कहा कि अभी भी कई मामलों की कई साल से जांच ही जारी है।

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    जिस पर पंजाब सरकार की तरफ से इस मामले में जवाब दायर करने के लिए समय देने की मांग की गई। पीठ ने सुनवाई करते हुए हरियाणा और पंजाब सरकार के गृह सचिवों को व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल कर जांच में की स्पष्ट वजह बताने का निर्देश दिया है।

    कोर्ट के समक्ष हरियाणा सरकार द्वारा दाखिल की गई स्थिति रिपोर्ट से पता चला कि वर्ष 2016, 2018 और 2023 में तत्कालीन या वर्तमान जनप्रतिनिधियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बावजूद अब तक जांच पूरी नहीं हुई है, जबकि इन मामलों में कोई कानूनी अड़चन नहीं थी।

    पंजाब में कुल 16 आपराधिक मुकदमे दर्ज

    इतना ही नहीं, राज्य में कुल 16 आपराधिक मुकदमे ऐसे हैं जो कई वर्षों से लंबित हैं, जिनमें से एक मामला तो वर्ष 2011 से ही लंबित चला आ रहा है।इस स्थिति को देखते हुए कोर्ट ने न केवल गृह सचिव से व्यक्तिगत जवाब मांगा है, बल्कि कई जिला एवं सत्र न्यायाधीशों से भी अपने-अपने क्षेत्राधिकार में चल रहे मामलों की स्थिति रिपोर्ट मांगी है।

    इन रिपोर्टों में अदालत ने विशेष रूप से लंबित मामलों में देरी के कारण स्पष्ट रूप से दर्ज करने को कहा है।वहीं पंजाब सरकार द्वारा दाखिल स्थिति रिपोर्ट से यह सामने आया कि राज्य में वर्तमान और पूर्व विधायकों व सांसदों के खिलाफ 28 आपराधिक मामले दर्ज हैं, जिनमें अधिकांश 2023 और 2024 में दर्ज हुए हैं।

    राज्य को दिए दोबारा जांच के आदेश 

    रिपोर्ट से यह भी स्पष्ट हुआ कि कई मामलों में राज्य सरकार ने जांच के बाद प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों को निराधार मानते हुए एफआईआर रद करने की रिपोर्ट दाखिल की थी, लेकिन अदालतों ने इन्हें स्वीकार नहीं किया और राज्य को दोबारा जांच करने के निर्देश दिए।

    इस पृष्ठभूमि में कोर्ट ने पंजाब सरकार के गृह सचिव को निर्देश दिया कि वे जांच में हो रही देरी और विशेष रूप से उन मामलों में जहां एफआईआर रद करने की रिपोर्ट खारिज की गई है, वहां दोबारा रिपोर्ट दाखिल करने में हो रही देरी का स्पष्टीकरण हलफनामे के माध्यम से प्रस्तुत करें।

    यूटी चंडीगढ़ की ओर से दाखिल रिपोर्ट पर अदालत ने संतोष जताया और कहा कि चंडीगढ़ में इस प्रकार के मामलों की जांच व सुनवाई में कोई अनावश्यक देरी नहीं हो रही है।

    हालांकि, अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि लंबित जांच वाले मामलों और चल रहे ट्रायल की स्थिति की रिपोर्ट अगली सुनवाई की तिथि से कम से कम तीन दिन पहले दाखिल की जाए, जिसकी प्रति कोर्ट मित्र को भी अग्रिम रूप से सौंपी जाए।