पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला, जन्मस्थान या प्रवास से ही नहीं मिलेगा आरक्षण का हक
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया कि पिछड़ा वर्ग (बीसी) कोटे का लाभ केवल मूल निवासी राज्य में ही मिलेगा। अदालत ने अमृतसर निवासी विनय सहोत्रा की याचिका पर यह फैसला सुनाया जिन्होंने पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) में बीसी कोटे के तहत आवेदन किया था।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने आरक्षण व्यवस्था से जुड़े महत्वपूर्ण मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। अदालत ने स्पष्ट किया कि पिछड़ा वर्ग (बीसी) कोटे का लाभ केवल उसी राज्य में मिलेगा, जहां व्यक्ति का मूल निवास है। केवल किसी अन्य राज्य में जन्म लेने या बाद में बस जाने से वहां की आरक्षण श्रेणी का लाभ नहीं उठाया जा सकता।
यह फैसला अमृतसर निवासी इंजीनियर विनय सहोत्रा की याचिका पर सुनाया गया। सहोत्रा ने पंजाब स्टेट पावर कारपोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) में असिस्टेंट इंजीनियर भर्ती में बीसी कोटे के तहत आवेदन किया था। उनका कहना था कि वे झीणवर समुदाय से हैं, जिसे पंजाब सरकार ने 1955 की अधिसूचना में पिछड़ा वर्ग घोषित किया था। हालांकि जांच में सामने आया कि सहोत्रा का परिवार मूल रूप से ऊना जिले का है।
1966 में राज्यों के पुनर्गठन के बाद यह क्षेत्र पंजाब से अलग होकर हिमाचल प्रदेश में शामिल हो गया था। सहोत्रा के पिता 1991 में नौकरी के सिलसिले में अमृतसर आकर बस गए और वर्ष 2000 में सहोत्रा का जन्म वहीं हुआ।
गेट परीक्षा में सहोत्रा ने 100 में से 30 अंक हासिल किए थे, जबकि बीसी श्रेणी के लिए कटऑफ 22.5 अंक था। दस्तावेज सत्यापन के दौरान उनकी बीसी श्रेणी पर आपत्ति उठी, जिसके बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ की एकल पीठ ने कहा कि पिछड़ा वर्ग का निर्धारण भौगोलिक क्षेत्र और उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि से जुड़ा होता है। पीठ ने टिप्पणी की यदि कोई परिवार बाद में किसी अन्य राज्य में जाकर बस भी जाए, तो भी वे वहां के आरक्षण के हकदार नहीं होंगे।
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