Punjab Flood Relief: 'बिहार-गुजरात को पैसा, पंजाब को सिर्फ वादा...'; पंजाब सरकार ने केंद्र पर लगाया भेदभाव का आरोप
2025 में पंजाब में आई बाढ़ के बाद केंद्र सरकार ने 1600 करोड़ रुपये की सहायता का वादा किया था, लेकिन अभी तक एक भी रुपया नहीं मिला है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कई बार केंद्र सरकार से संपर्क किया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। पंजाब सरकार का आरोप है कि केंद्र सरकार पंजाब के साथ भेदभाव कर रही है, जबकि अन्य राज्यों को तुरंत सहायता मिल जाती है। पंजाब की जनता इस धोखे को याद रखेगी।
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पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार पर भेदभाव का आरोप लगाया है।
डिजिटलडेस्क, चंडीगढ़। पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार पर बाढ़ के दौरान की गई मदद के वादे से मुकरने का आरोप लगाया है। 2025 की इस भयानक बाढ़ आपदा में लाखों एकड़ फसल डूब गई, सैकड़ों गांव पानी में समा गए, हजारों परिवार बेघर हो गए। पंजाब सरकार ने कहा कि केंद्र सरकार ने बड़े-बड़े वादे किए और एलान किया कि सरकार पंजाब को बाढ़ राहत के लिए 1600 करोड़ रुपये की विशेष सहायता देगी। पंजाब के लोगों ने राहत की सांस ली थी कि अब कम से कम केंद्र सरकार तो साथ खड़ी है।
लेकिन आज कई महीने बीत जाने के बाद भी उस 1600 करोड़ में से एक रुपया भी पंजाब के खाते में नहीं आया। न एक पैसा। न केंद्र ने कोई आधिकारिक पत्र भेजा, न कोई किस्त जारी की। प्रधानमंत्री का वह भव्य ऐलान सिर्फ कैमरों और हेडलाइनों तक सीमित रह गया। पंजाब की जनता आज भी उसी बाढ़ के घाव चाट रही है और केंद्र सरकार मुंह फेरे बैठी है।
पंजाब सरकार ने बार-बार केंद्र को पत्र लिखे। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने खुद प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को चिट्ठियां लिखीं, मीटिंग मांगी, रिमाइंडर भेजे। हर बार जवाब मिला –'विचार किया जा रहा है, प्रक्रिया चल रही है'। लेकिन प्रक्रिया आज तक पूरी नहीं हुई। सैकड़ों मौतें हुईं, अरबों का नुकसान हुआ, फिर भी केंद्र सरकार की नींद नहीं टूटी।
दूसरी तरफ जब बिहार, असम या गुजरात में बाढ़ आती है तो केंद्र सरकार तुरंत पैकेज घोषित करती है, तुरंत पैसे ट्रांसफर कर देती है। वहां के मुख्यमंत्री अगर भाजपा के हैं तो राशि दोगुनी-तिगुनी हो जाती है। लेकिन पंजाब? पंजाब तो आम आदमी पार्टी की सरकार है, इसलिए यहां भेदभाव, उपेक्षा और सजा। भाजपा को लगता है कि पंजाब को सबक सिखाना है, भले इसके लिए लाखों किसान और मजदूर भुखमरी की कगार पर पहुंच जाएं।
केंद्र के मंत्री कभी 411 करोड़, कभी 480 करोड़, कभी 800 करोड़ दिए जाने का दावा करते हैं, लेकिन पंजाब के खजाने में एक भी रुपया नहींआया। ये झूठी प्रेस रिलीज सिर्फजनता को गुमराह करने के लिए हैं। सच तो आरटीआई और सरकारी रिकॉर्ड में दर्ज है – 1600 करोड़ का एक पैसा भी नहीं आया। यह सिर्फ धोखा नहीं, पंजाब के साथ विश्वासघात है।
पंजाब ने हमेशा देश को अनाज दिया, देश की सीमाओं की रक्षा की, सबसे ज्यादा सैनिक दिए। लेकिन जब पंजाब मुसीबत में है तो केंद्र सरकार उसकी पीठ पर छुरा घोंप रही है। यह राजनीतिक बदला है, क्षेत्रीय भेदभाव है, संवैधानिक अधिकारों का हनन है।
पंजाब की जनता यह सब देख रही है। 2027 के विधानसभा चुनाव दूर नहीं। जिस दिन पंजाब जवाब देगा, उस दिन दिल्ली की सत्ता के गलियारे कांप उठेंगे। क्योंकि पंजाब माफ नहीं करता, पंजाब याद रखता है।

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