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    Punjab Flood: पंजाब में बाढ़ ने खोली सड़कों की पोल, 346 स्थानों पर खामियों ने खोला बर्बादी का रास्ता

    By Jagran NewsEdited By: Nidhi Vinodiya
    Updated: Tue, 29 Aug 2023 08:58 AM (IST)

    Punjab Flood हिमाचल में सतलुज ब्यास आदि नदियों के कैचमेंट एरिया में भारी वर्षा हुई है लेकिन इसका सीधा असर पंजाब में देखने को मिल रहा है। बांधों से इन नदियों में छोड़े गए पानी को निकलने में जिस प्रकार से हाईवे और उन पर बने पुल बाधा बने हैं उससे इनकी डिजाइनिंग की खामियां भी सामने आ गई हैं।

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    पंजाब में आई बाढ़ के बाद कई स्थानों पर दिखी प्रसासन की कमियां

    चंडीगढ़, राज्य ब्यूरो। Punjab Flood: पंजाब में आई बाढ़ ने विकास कार्यों की पोल खोलकर रख दी है। हिमाचल में सतलुज, ब्यास आदि नदियों के कैचमेंट एरिया में भारी वर्षा हुई है, लेकिन इसका सीधा असर पंजाब में देखने को मिल रहा है। बांधों से इन नदियों में छोड़े गए पानी को निकलने में जिस प्रकार से हाईवे और उन पर बने पुल बाधा बने हैं, उससे इनकी डिजाइनिंग की खामियां भी सामने आ गई हैं।

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    भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) की तरफ से ड्रोन से करवाए गए सर्वे में राष्ट्रीय राजमार्गों, राज्य के राजमार्गों और संपर्क मार्गों पर 346 स्थानों पर खामियां सामने आई हैं।

    बाढ़ की मार झेल रहे लोग

    इसके अलावा नदियों पर बनाए गए पुलों के डिजाइन में भी खामियां हैं। यही खामियां नदियों का पानी निकलने में बाधा बनीं और बाढ़ कहर ढा गई। राज्य में बनी सड़कों और पुलों के निर्माण काम में पंजाब लोक निर्माण विभाग ने भी हाथ बंटाया है। उदाहरण के तौर पर गुरदासपुर क्षेत्र में कभी भी बाढ़ नहीं आती थी, लेकिन इस बार मुकेरियां-पठानकोट हाईवे पर बने पुल की खामियों के चलते पानी नहीं निकल पाया और बाढ़ की मार झेलनी पड़ी।

    पानी निकलने केवल 650 मीटर चौड़ा स्थान बचा

    विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि ब्यास नदी पर जहां से पानी के बहाव का रास्ता है, वहां पर पुल बनाया गया है। पैसा बचाने के लिए शेष को दीवारनुमा कर दिया गया है, जिससे बहाव का रास्ता संकरा हो गया है। यही नहीं, नदी के बाकी हिस्से को पुलों जितनी ऊंची संपर्क सड़कें बनाकर अवरुद्ध कर दिया गया है। पानी निकलने के लिए केवल 650 मीटर चौड़ा स्थान ही रह गया।

    जब बांध से इन नदियों में पानी छोड़ा गया तो इन दीवारों ने रास्ता रोक लिया। नतीजतन, बैक मारते हुए नदी के तटबंधों को लांघता हुआ पानी गुरदासपुर जिले में दाखिल हो गया। इससे न सिर्फ इस क्षेत्र में पानी भर गया, बल्कि सड़कों को भी करोड़ों का नुकसान हुआ।

    पानी से हुआ बारी नुकसान 

    ऐसा केवल यहीं नहीं हुआ है, अंबाला से पंजाब में घुसते ही लालड़ू के पास टिवाना तटबंध के पास बने काजवे ने भी घग्गर के प्रवाह को अवरुद्ध कर दिया है। इससे नदी टूट गई और अपने लिए एक नया मार्ग बना लिया। अब यहां से दो समानांतर घग्घर नदियां बन गईं हैं। राज्य के कई अन्य स्थानों पर भी सड़कों के नीचे से पानी निकाली के लिए बनाए गए नालों को भी छोटा कर दिया गया है। इससे पानी को निकलने में जहां काफी समय लगा, वहीं पानी ने दूसरे क्षेत्रों में प्रवेश करके भारी नुकसान पहुंचाया।

    NHAI करेगा पड़ताल

    अब एनएचएआइ ने पड़ताल के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया गया है। यह कमेटी जल स्रोत और एनएचएआइ के साथ मिलकर इन खामियों को ठीक करवाएंगी। एनएचएआइ भी इसे ठीक करने के लिए राजी हो गया है।