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    पंजाब में दोबारा बाढ़ न आए, रावी और सतलुज नदियों के तल से निकाला जाएगा गाद; 87 साइटें चुनी गईं

    By INDERPREET SINGHEdited By: Prince Sharma
    Updated: Sun, 12 Oct 2025 08:43 AM (IST)

    पंजाब में बाढ़ की समस्या से निपटने के लिए माइनिंग विभाग रावी और सतलुज नदियों से गाद निकालेगा। इसके लिए 87 साइटों की पहचान की गई है। हाई कोर्ट ने डीसिल्टिंग की अनुमति दे दी है, क्योंकि एनजीटी ने पहले इस पर रोक लगा रखी थी। मुख्य सचिव के नेतृत्व में जल्द ही टेंडर जारी किए जाएंगे। अवैध खनन भी गाद जमा होने का एक कारण है।

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    रावी और सतलुज नदियों के तल से निकाला जाएगा गाद (File Photo)


    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब ने जिस प्रकार की भीषण बाढ़ इस वर्ष देखी, ऐसी अगले वर्षों में न आए, इसके लिए विभागों ने अभी से कार्रवाई शुरू कर दी है। विशेष रूप से उन विभागों ने, जिनके पास काम करने का समय सीमित होता है। माइनिंग विभाग ने राज्य की दो नदियों रावी व सतलुज की डीसिल्टिंग (तल से गाद निकालने) की तैयारी कर ली है और इसके लिए 87 साइटों की पहचान की गई है।

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    डीसिल्टिंग न होने से नदियों के बेड (प्रवाह मार्ग) सिकुड़ते जा रहे हैं जिस कारण नदियों की पानी को ले जाने की क्षमता बहुत कम रह गई है और बहाव भी धीमा हो गया है। पंजाब में बाढ़ को देखते हुए पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पिछले महीने नदियों की डीसिल्टिंग करने की अनुमति दे दी थी।

    चीफ जस्टिस शील नागू व जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने कहा कि राज्य डीसिल्टिंग का काम नियमों में रहकर शुरू कर सकता है। एडवोकेट जनरल ने खंडपीठ को बताया कि काफी समय से एनजीटी ने डीसिल्टिंग पर रोक लगा रखी है। यदि आगे भी यही स्थिति रही तो हालात भयावह हो सकते हैं।

    मौजूदा स्थिति को देखते हुए नदियों में डीसिल्टिंग जरूरी है। हाई कोर्ट के आदेश के बाद माइनिंग विभाग ने सतलुज व रावी की 87 साइटों की पहचान की है। इन्हें फाइनल करने के लिए मुख्य सचिव केएपी सिन्हा ने सोमवार को बैठक बुलाई है। इन साइटों के लिए टेंडर लगाए जा रहे हैं। ब्यास के लिए अभी कोई साइट फाइनल नहीं की गई है क्योंकि यह फारेस्ट साइट घोषित है।

    नदियों की डीसिल्टिंग न होने का एक कारण अवैध खनन भी है जिसके चलते कभी हाई कोर्ट तो कभी एनजीटी और कभी सुप्रीम कोर्ट इन पर रोक लगाती रहती हैं जिस कारण नदियों में सही ढंग से डीसिल्टिंग नहीं हो पाती। मानसून में जब भी पहाड़ों से नदियों में पानी आता है तो साथ सिल्ट भी आती है जो पानी के आगे बहने पर पीछे रह जाती है। धीरे-धीरे सिल्ट नदियों का बेड संकुचित करती जाती है।