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पंजाब के किसान सुरजीत सिंह ने किए खेती में अद्भुत प्रयोग, बिजाई से पहले ही फसल की बुकिंग

पंजाब पुलिस में नौकरी के बाद खेतीबाड़ी के काम ने किसान सुरजीत सिंह की किस्मत चमका दी। उन्होंने इसमें ऐसे प्रयोग किए कि उनकी फसल की बुकिंग बिजाई से पहले ही हो जाती है। सुरजीत सिंह पूरी तरह से जैविक खेती करते हैं।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 14 Dec 2020 04:29 PM (IST)Updated: Tue, 15 Dec 2020 10:10 AM (IST)
पंजाब के किसान सुरजीत सिंह ने किए खेती में अद्भुत प्रयोग, बिजाई से पहले ही फसल की बुकिंग
प्रगतिशील किसान सुरजीत सिंह अपने खेतों के बीच। जागरण

मोहाली [रोहित कुमार]। ये हैं मोहाली जिले के गांव तंगोरी के प्रगतिशील किसान सुरजीत सिंह। पंजाब पुुुुुलिस में नौकरी के बाद सुरजीत सिंह नेशनल आर्गेनिक फार्मिंग गाजिय़ाबाद से जुड़े और फिर जैविक खेती (Organic farming) को अपना मिशन बना डाला। उन्होंने Organic farming के लिए ऐसे प्रयोग किए, जिससे वह दूसरों के लिए भी प्रेरणास्रोत बन गए हैं। आज पर्यावरण प्रेमी किसान के रूप में उनकी पहचान है।

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किसान सुरजीत सिंह ने जैविक खेती के लिए मिट्टी के बर्तनों में लस्सी रखनी शुरू की। बाद में इसका प्रयोग उन्होंने खाद के रूप में फसलों में किया, जिसके चौकाने वाले नतीजे सामने आए। इसके प्रयोग से फसलों को रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ी। यही नहीं, फसलों में कोई बीमारी भी नहीं लगी। बकौल सुरजीत सिंह  जैविक खेती के कारण उनकी फसल की कीमत बढ़ गई। फसल केे दो से ढाई गुणा भाव मिलने लगे। अब तो लोग फसल की शुरुआत में ही अग्रिम बुकिंग कर लेते हैं।

पानी के लिए खेत में किया गड्ढा व सिंचाई के लिए लगाई मोटर। जागरण

सुरजीत ने 5 एकड़ में गेहूं व 2.5 एकड़ में गन्ने की खेती की। जैविक खेती होने के कारण गेहूं के उन्हें अच्छे दाम मिल रहे हैं। लोग बिजाई के दौरान ही इसकी बुकिंग कर लेते हैं। वहीं, गन्ने की खेती वह फगवाड़ा तकनीक के साथ ट्रेंच विधि से कर रहे हैं। गन्ने से सीधा गुड़ तैयार किया जाता है। गुड़ तैयार करने में वह साफ सफाई का पूरा ध्यान रखते हैं। उनका गुड़ खेत में ही 100 रुपये प्रति किलो तक बिक जाता है।

सुरजीत सिंह जैविक खेती के बारे में बताते हुए। जागरण

वातावरण के लिए कुछ हटकर सोचा

सुरजीत ने शुद्ध वातावरण के लिए कुछ हटकर सोचा। सुरजीत ने अपने खेतों की कुदरती ढलान को ध्यान में रखते हुए पानी के लिए एक गड्ढा तैयार किया। सूखे के समय वह यहीं से अपनी खेतोंं में इंजन के माध्यम से सिंचाई करते हैं। इस गड्ढेे में उन्होंने छोटी मछलियां भी पाली हैं। इससे पानी में कैल्शियम की मात्रा भरपूर हो जाती है, जो फसलों के लिए लाभकारी है।

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जैविक खाद के बारे में जानकारी देते सुरजीत सिंह। जागरण 

इंटरनेट से सीखा जैविक खाद बनाने का तरीका

सुरजीत सिंह का कहना है कि वह जैविक खेती की नई जानकारी हासिल करने के लिए इंटरनेट का भरपूर प्रयोग करते हैं। यूट्यूब पर उन्होंने जैविक खेती के लिए खाद तैयार करने की जानकारी हासिल की। साथ ही धतूरा, भांग, नीम अदि से बायो पेेस्टीसाइड और नाइट्रोजन बायो फर्टीलाइजऱ तैयार करने की विधि सीखी। इनका प्रयोग उसने खेती मेंं किया और अच्छी स्वस्थ फसल तैयार की। 

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किसानों को कर रहा प्रेरित

सुरजीत सिंह अन्य किसानों को भी जैविक खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वह किसानों को खाद के रूप में प्रयोग करने के लिए पुरानी लस्सी मुफ्त मुहैया करा रहे हैं।  उनका कहना है कि लस्सी जितनी पुरानी होगी उसकी खाद उतनी ही बेहतर और फसलों के लिए अच्छी होगी। 

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