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हरियाणा के गांवों में महंगा हुआ भूमि हस्तांतरण, पंचायतों को ही मिलेगी बढ़ी हुई आमदनी

हरियाणा के गांवों में भूमि हस्तांकरण महंगा हो गया है। प्रदेश सरकार ने मौजूदा स्टांप ड्यूटी पर दो प्रतिशत की दर से सरचार्ज लगाया है। सरचार्ज के रूप में वसूल राशि जिला परिषद व ग्राम पंचायतों को दी जाएगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Sun, 13 Dec 2020 03:54 PM (IST)Updated: Sun, 13 Dec 2020 03:54 PM (IST)
हरियाणा के गांवों में महंगा हुआ भूमि हस्तांतरण, पंचायतों को ही मिलेगी बढ़ी हुई आमदनी
हरियाणा में भूमि हस्तांतरण हुआ महंगा। सांकेतिक फोटो

जेएनएन, चंडीगढ़। हरियाणा में गांवों की भूमि का हस्तांतरण महंगा हो गया है। ऐसा इसलिए हुआ, क्योंकि प्रदेश की मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार ने स्टांप ड्यूटी पर दो प्रतिशत की दर से सरचार्ज लगा दिया है। पंचायत चुनाव से ठीक पहले इस फैसले को लेकर गांवों में चर्चा चल पड़ी है।

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हरियाणा सरकार हालांकि पहले ही यह फैसला ले चुकी थी, लेकिन इसकी अधिसूचना विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव के नाते सुधीर राजपाल ने हाल ही में जारी की है। सरचार्ज से इकट्ठा होने वाले पैसे को जिला परिषदों व ग्राम पंचायतों को विकास कार्यों के लिए दिया जाएगा। हरियाणा में अगले साल फरवरी के पहले पखवाड़े में छठे आम पंचायत चुनाव संभव हैंं। इसकी अधिसूचना जनवरी में जारी हो सकती है।

पंचायत चुनाव कराने के लिए हरियाणा सरकार ने राज्य चुनाव आयोग को पत्र भेज दिया है। चुनाव आयोग इसकी तैयारियों में भी जुट गया है। तीन नगर निगमों समेत आधा दर्जन शहरी निकायों के चुनाव के बाद पंचायत चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। स्टांप ड्यूटी पर दो प्रतिशत सरचार्ज को लेकर गांवों में बहस छिड़ पड़ी है।

हरियाणा के गांवों में अचल संपत्ति (भूमि व मकान) की बिक्री, उपहार, बंधक एवं अन्य प्रकार से ट्रांसफर (हस्तांतरण) संबंधी दस्तावेजों पर भारतीय स्टांप कानून 1899 के अंतर्गत जो ड्यूटी (शुल्क ) निर्धारित किया गया है, उस पर दो प्रतिशत के दर से सरचार्ज (अधिभार ) लगाने से सरकार के खजाने में राजस्व बढ़ने की उम्मीद है। कोविड की वजह से सरकार के राजस्व में इस बार भारी कमी आई है, जिसकी धीरे-धीरे भरपाई हो रही है।

विकास एवं पंचायत विभाग के प्रधान सचिव सुधीर राजपाल द्वारा शासकीय गजट में अधिसूचित इस आदेश में यह भी उल्लेख है कि उक्त शुल्क राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा ही इक्ट्ठा किया जाएगा, जिसे बाद में समान अनुपात में ग्राम पंचायत और जिला परिषद को लौटा दिया जाएगा। इस पैसे से ग्राम पंचायतें व जिला परिषदें अपने क्षेत्रों में विकास कार्यों को अंजाम दे सकती हैं।

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार राज्य सरकार के आदेश के मुताबिक शासकीय अधिसूचना जारी होने की तिथि से 15 दिनों की अवधि के भीतर प्रत्येक ग्राम पंचायत द्वारा इसे अपने ग्राम सभा क्षेत्र में लागू किया जाएगा। यह दो प्रतिशत शुल्क लगाने संबंधी प्रावधान हरियाणा पंचायती राज कानून 1994 की धारा 41(1) (बी) में ही है, जिसे बीते 26 वर्षों में आज तक नहीं लगाया गया था।

इस कानून में उल्लेख है कि राज्य सरकार द्वारा अधिकृत करने के पश्चात ग्राम पंचायत ऐसा शुल्क लगा सकती है। उन्होंने बताया कि इस धारा में आगे यह भी उल्लेख है कि अगर राज्य सरकार के आदेश के बावजूद ग्राम पंचायत द्वारा ऐसा नहीं किया जाता है, तो सरकार इस संबंध में आवश्यक कदम उठा सकती है ताकि ऐसा शुल्क वसूल किया जा सके और ऐसी परिस्थिति में सरकार द्वारा एकत्र शुल्क को ग्राम पंचायत द्वारा ही वसूला माना जाएगा।


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