पंजाब सबसे अधिक कर्ज लेने वाला राज्य, CAG की रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा
पंजाब की आर्थिक स्थिति गंभीर बनी हुई है। CAG की रिपोर्ट के अनुसार राज्य सरकार ने अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) से ज़्यादा उधार लिया है जो वित्तीय संकट का संकेत है। शिक्षा पर पूंजीगत व्यय में भी गिरावट आई है। पेंशन और वेतन का बोझ बढ़ रहा है जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति और भी चिंताजनक हो गई है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब की आर्थिक स्थिति लंबे समय से खराब चल रही है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि राज्य सरकार ने अपने सकल राज्य घरेलू उत्पाद (GSDP) से अधिक उधार लिया है।
CAG ने इसे राज्य की गंभीर वित्तीय स्थिति का संकेत बताया है। 2022-23 के लिए CAG की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि इस अवधि में राज्य का कर्ज ₹2.76 लाख करोड़ था, हालांकि चालू वित्त वर्ष में यह आंकड़ा ₹4 लाख करोड़ से ऊपर जाने की उम्मीद है। CAG ने यह भी खुलासा किया है कि शिक्षा पर पूंजीगत व्यय में भी गिरावट आई है।
एक दिलचस्प पहलू यह है कि पंजाब में पेंशन का बोझ लगातार बढ़ रहा है। 2022-23 में, पेंशन व्यय ₹15,146 करोड़ था, जो बजट का 10 प्रतिशत है। वहीं, वेतन पर सरकारी खर्च ₹31,172 करोड़ था, जो बजट का 20 प्रतिशत है।
चालू वित्त वर्ष में सरकार का पेंशन बोझ ₹20,750 करोड़ तक पहुँचने का अनुमान है, जबकि वेतन का बोझ ₹36,428 करोड़ होगा। 2022-23 की तुलना में वेतन में जहाँ 2.10 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, वहीं पेंशन में 2.59 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
कैग रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि वित्त वर्ष 2019-20 से 2022-23 तक शिक्षा, खेल और कला एवं संस्कृति पर पंजाब सरकार के पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में लगातार गिरावट देखी गई है। गौरतलब है कि इस दौरान राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। कैप्टन अमरिंदर सिंह लगभग सवा साल तक मुख्यमंत्री रहे, उसके बाद चरणजीत सिंह चन्नी रहे।
"राज्य वित्त 2022-23, दशकीय विश्लेषण" शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षा, खेल और संस्कृति क्षेत्रों में पूंजीगत व्यय 2019-20 में ₹227 करोड़ से लगातार घटकर 2022-23 में ₹183 करोड़ रह गया है। यह 2020-21 में ₹200 करोड़ और 2021-22 में ₹196 करोड़ था।
एक दशक में, सबसे अधिक पूंजीगत व्यय ₹357 करोड़ वित्तीय वर्ष 2013-14 के दौरान हुआ था। गौरतलब है कि पूर्व खेल मंत्री और भारतीय हॉकी टीम के कप्तान पद्मश्री परगट सिंह ने कहा था कि खेल विभाग के पास खिलाड़ियों के लिए हाफ पैंट खरीदने के लिए भी पैसे नहीं हैं।
पूंजीगत व्यय से तात्पर्य उस धन से है जो सरकार दीर्घकालिक भौतिक संपत्तियों के अधिग्रहण या निर्माण पर या भविष्य में लाभ प्रदान करने वाली परियोजनाओं, जैसे आर्थिक विकास या ऋण चुकौती, में निवेश करने पर खर्च करती है।
शिक्षा, खेल और कला एवं संस्कृति पर पूंजीगत व्यय में नए स्कूल, पुस्तकालय, खेल परिसर, संग्रहालय बनाने, शैक्षिक उपकरण खरीदने और कलात्मक प्रयासों के लिए अनुसंधान सुविधाओं या महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे में निवेश जैसी अचल संपत्तियों पर खर्च शामिल है।
सीएजी रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि 2022-23 में पंजाब का कर्ज उसके सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) का 40.35 प्रतिशत था, जो देश में सबसे अधिक है। यह दर 15वें वित्त आयोग की सांकेतिक सीमा से अधिक है।
मार्च 2023 तक, पंजाब का कर्ज उसके जीएसडीपी का 40.35 प्रतिशत था, जो सभी राज्यों में सबसे अधिक है। इसका जीएसडीपी ₹6.85 लाख करोड़ था, जबकि इसका कर्ज ₹2.76 लाख करोड़ था।
सीएजी रिपोर्ट में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि राज्य की कुल देनदारियाँ उसके जीएसडीपी का 45.86 प्रतिशत थीं, जो सभी राज्यों की संयुक्त देनदारियों, जो 28 प्रतिशत थीं, से कहीं अधिक है। उच्च ऋण अनुपात कृषि प्रधान राज्य की अनिश्चित वित्तीय स्थिति को दर्शाता है।
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