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    पंजाब में पटवारियों और तहसीलदारों की मनमानी पर लगी लगाम, घर बैठे मिल रही जमीन-जायदाद से जुड़ी सेवाएं

    Updated: Thu, 16 Oct 2025 04:48 PM (IST)

    पंजाब सरकार ने राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार मुक्त शासन के लिए 'ईजी रजिस्ट्री' और 'ईजी जमाबंदी' जैसी डिजिटल पहलें शुरू की हैं। ईजी रजिस्ट्री से संपत्ति का ऑनलाइन पंजीकरण 48 घंटे में होता है, जबकि ईजी जमाबंदी से भूमि रिकॉर्ड व्हाट्सएप या पोर्टल पर आसानी से मिलते हैं। इन सेवाओं ने पारदर्शिता बढ़ाई है, देरी और रिश्वतखोरी खत्म की है, जिससे नागरिकों को समय और धन की बचत हो रही है। अब 99% गांवों के भूमि रिकॉर्ड डिजिटाइज्ड हो चुके हैं, जिससे पंजाब पारदर्शी शासन का मॉडल बन रहा है।  

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    पंजाब में ई-गवर्नेंस की नई पहचान

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान के नेतृत्व में पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार मुक्त शासन के वादे को साकार करते हुए राजस्व विभाग में ऐतिहासिक बदलाव किया है। सरकार की दो प्रमुख पहलें ईजी रजिस्ट्री और ईजी जमाबंदी अब पारदर्शिता, सरलता और डिजिटल सुविधा का प्रतीक बन चुकी हैं।

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    मई 2025 में मोहाली से शुरू हुई ईजी रजिस्ट्री अगस्त तक पूरे पंजाब में लागू हो गई। इसके माध्यम से अब कोई भी नागरिक ऑनलाइन संपत्ति पंजीकरण कर सकता है। स्टैंप ड्यूटी और फीस का भुगतान भी ऑनलाइन गेटवे से किया जाता है, और पूरी प्रक्रिया 48 घंटे के भीतर पूरी हो जाती है। इच्छुक नागरिक 1076 हेल्पलाइन पर कॉल कर घर से दस्तावेज संग्रह सेवा भी प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ ही, किसी भी जिले के सब-रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकरण संभव है, जिससे क्षेत्रीय पाबंदियां समाप्त हो गई हैं।

    इसी तरह, जून 2025 में लॉन्च की गई ईजी जमाबंदी सेवा ने किसानों और आम लोगों के लिए भूमि रिकॉर्ड से जुड़ी प्रक्रिया को बेहद आसान बना दिया है। अब लोग व्हाट्सएप या easyjamabandi.punjab.gov.in पोर्टल के माध्यम से डिजिटल साइन और क्यूआर कोड युक्त फ्री जमाबंदी कॉपी प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही, इंतक़ाल (म्यूटेशन) अब 30 दिनों में पूरा हो जाता है।

    इन पहलों से भ्रष्टाचार और देरी की पुरानी समस्या समाप्त हो गई है। अब तक 99% गाँवों के भूमि रिकॉर्ड डिजिटाइज्ड हो चुके हैं, और लोगों को समय, धन व रिश्वत तीनों से राहत मिली है। विशेष रूप से एनआरआई, बुजुर्गों और छोटे किसानों के लिए ये सेवाएँ वरदान साबित हो रही हैं।

    राज्य सरकार का दावा है कि इन डिजिटल पहलों से जनता को हर साल 100 करोड़ रुपये से अधिक की बचत हो रही है और पंजाब अब पारदर्शी शासन का मॉडल राज्य बनकर उभर रहा है।