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    पंजाब कांग्रेस में अब सीएम चेहरे को लेकर खींचतान, विधायक ने कहा- चुनाव में कैप्‍टन की जगह सिद्धू हों 'फेस'

    By Sunil Kumar JhaEdited By:
    Updated: Mon, 13 Sep 2021 10:21 AM (IST)

    Punjab Congress Dispute पंजाब कांग्रेस में खींचतान और बगावत के सुर खत्‍म नहीं हो रहे हैं। पार्टी में अब चुनाव में सीएम चेहरा को लेकर विवाद बढ़ गया है। नवजोत सिद्धू समर्थक विधायक सुरजीत धीमान ने कैप्‍टन अमरिंदर सिंह की जगह सिद्धू को सीएम फेस बनाने की मांग की है।

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    पंजाब कांग्रेस में सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के गुट के बीच खींचतान जारी है। (फाइल फोटो)

    चंडीगढ़, जेएनएन। Punjab Congress Dispute: पंजाब कांग्रेस में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले जारी खींचतान खत्‍म होता नहीं दिख रहा है। पार्टी में अब चुनाव में सीएम चेहरा (CM Face) को लेकर विवाद और दांव पेंच शुरू हो गया है। पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजाेत सिंह सिद्धू के खेमे ने पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022)  सीएम कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के नेतृत्‍व लड़ने का‍ विरोध शुरू कर दिया है। नवजोत सिद्धू का खेमे ने विधानसभा चुनाव में कैप्‍टन अमरिंदर की जगह सिद्धू को पार्टी का चेहरा बनाने की मांग कर दी है। सिद्धू समर्थक विधायक सुरजीत धीमान ने तो कैप्‍टन के नेतृत्‍व में चुनाव लड़ने से मना कर दिया है।

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    बता दें कि पंजाब कांग्रेस के महासचिव और सिद्धू समर्थक कांग्रेस विधायक परगट सिंह ने भी पिछले दिनों कैपटप अमरिंदर सिंह के नेतृत्‍व में कांग्रेस के अगला विधानसभा चुनाव लड़ने की घोषणा का विरोध किया था। परगअ ने तो इस मुद्दे को लेकर पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत पर भी निशाना साधा था।

    परगट सिंह ने कहा था कि रावत को इस तरह की घोषणा करने का अधिकार किसने दे दिया कि विधानसभा चुनाव में कौन नेतृत्‍व करेगा और कौन चेहरा होगा। इसके बाद रावत को सफाई देनी पड़ी थी और उन्‍होंंने कहा कि चुनाव पार्टी अध्‍यक्ष सोनिया गांधी , राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के नेतृत्‍व में लड़ा जाएगा।

    पंजाब कांग्रेस में घमासान को शांत करने के लिए पिछले दिनों हरीश रावत को चंडीगढ़ आना पड़ा था। वह तीन दिनों तक चंडीगढ़ में रहे और पार्टी के नेताओं से बात की। इसके बाद पार्टी में कलह कुछ शांत होती दिखी, लेकिन अब सुरजीत धीमान के बगावती तेवर से इसके फिर तेज होने की संभावना है।

    इसके बाद पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के समर्थक एक विधायक सुरजीत धीमान ने मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ खुली बगावत की है। धीमान ने कहा कि वह कैप्‍टन के नेतृत्‍व में पंजाब विधानसभा चुनाव 2022 (Punjab Assembly Election 2022) नहीं लड़ेंगे। इसके साथ ही उन्‍हाेंने अगले चुनाव के लिए नवजोत सिंह सिद्धू को कांग्रेस का सीएम चेहरा बनाने की मांग भी कर डाली

    विधायक सुरजीत धीमान ने कहा- प्रदेश अध्यक्ष नवजाेत सिंह सिद्धू को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाया जाए

    बता दें कि पंजाब के चार मंत्रियों और करीब दो दर्जन विधायकों ने पिछले दिनों मुख्‍यमंत्री कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के खिलाफ बगावत कर दी थी। चारों बागी कैबिनेट मंत्रियों तृप्‍त राजिंदर सिंह बाजवा, सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुखबिंदर सिंह सरकारिया और चरणजीत सिंह चन्‍नी ने करीब दो दर्जन विधायकों के संग बैठक कर कैप्‍टन अमरिंदर सिंह के प्रति अविश्‍वास जताया था। इन लोगों ने सीएम बदलने की मांग भी की थी। बागी मंत्रियाें के साथ सिद्धू के करीबी परगट सिंह भी इसको लेकर सक्रिय रहे और हरीश रावत से मिलने के साथ इन नेताओं ने आलाकमान से मिलने के लिए कई दिनों तक दिल्‍ली में भी डेरा जमाया।

    अमरगढ़ के विधायक सुरजीत धीमान की  कैप्‍टन के खिलाफ खुली बगावत ने पंजाब कांग्रेस में हलचल पैदा कर दी है। माना जा रहा है कि अभी कई और सिद्धू समर्थक विधायक खुलकर सामने आ सकते हैं और कैप्‍टन अमरिंदर को पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का नेतृत्‍व देने का विरोध कर सकते हैं।

    धीमान ने कहा कि पार्टी ने कैप्‍टन अमरिंदर के नेतृत्‍व में विधानसभा चुनाव लड़ा तो वह इसमें नहीं उतरेंगे। उन्‍होंने साफ कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू को 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का सीएम चेहरा बनाया जाए। धीमान इससे पहले भी सिद्धू के समर्थन में खड़े होते रहे हैं।

    धीमान कहा कि कैप्‍टन हमारे सीएम हैं, लेकिन मैं 2022 का विधानसभा चुनाव उनके नेतृत्‍व में नहीं लडूंगा। यह मेरा व्‍यक्तिगत फैसला है। नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब के हितों के बारे में साेचते हैं और इसको लेकर आवाज उठाते हैं। इसलिए, मरी मांग है कि अगले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सिद्धू को अपना चेहरा बनाए। बता दें कि इससे पहले भी धीमान कई मौकों पर सीएम कैप्‍टन अमरिंदर पर सवाल उठाते रहे हैं। उन्‍होंने नशे के मुद्दे पर कैप्‍टन सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी थीं। उन्‍होंने कहा था कि अब भी अकालियों के शासन की तरह ही पंजाब में नशे का कारोबार चल रहा है। इस पर कैप्‍टन सरकार की काफी किरकिरी हुई थी।