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    पंजाब में राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी की विदाई तय

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Sun, 23 Aug 2020 04:47 PM (IST)

    पंजाब कांग्रेस प्रभारी आशा कुमार की विदाई तय मानी जा रही है। आशा कुमारी खुद भी यहां अब नहीं रहना चाहती। वह अपना फोकस हिमाचल पर केंद्रित करना चाहती हैं।

    पंजाब में राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी की विदाई तय

    चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। पंजाब में राजनीतिक उठापटक के बीच कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी की विदाई तय मानी जा रही है। हालांकि कांग्रेस हाईकमान में बदलाव की जंग के बीच यह तय नहीं हो पा रहा है कि अगला प्रभारी कौन होगा। बताया जाता है कि आशा कुमारी भी खुद पंजाब में काम नहीं करना चाहती है। दरअसल, वह हिमाचल प्रदेश से छह बार की कांग्रेस विधायक हैंं। पंजाब और हिमाचल प्रदेश के चुनाव आगे पीछे ही होते हैंं। वह अब अपना फोकस हिमाचल प्रदेश पर केंद्रित करना चाहती है।

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    आशा कुमारी की विदाई ऐसे समय में होने जा रही है जब पंजाब में राजनीतिक रूप से सबसे ज्यादा उठापटक चल रही है। जहरीली शराब को लेकर कांग्रेस के ही राज्यसभा सदस्यों प्रताप सिंह बाजवा और शमशेर सिंह दूलो ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। वहीं, यूथ कांग्रेस के नेताओं ने भी राज्य सभा सदस्यों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया है।

    कांग्रेस के प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़ ने दोनों ही राज्य सभा सदस्यों को पार्टी के बर्खास्त करने की मांग पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी से की हुई है। आशा कुमारी के प्रताप सिंह बाजवा से अच्छे संबंध रहे हैंं। इस बात खुद आशा कुमारी स्वीकार भी करती रही हैंं। अलबत्ता वह शमशेर सिंह दूलो के खिलाफ जरूर हैंं, क्योंकि लोकसभा चुनाव के दौरान जब दूलो के बेटे आम आदमी पार्टी के टिकट पर फतेहगढ़ साहिब से चुनाव लड़ रहे थे तब आशा कुमारी के कई बार बुलाने के बावजूद दूलो कांग्रेस प्रत्याशी के चुनाव प्रचार यहां तक कि राहुल गांधी की खन्ना रैली में भी शामिल नहीं हुए थे।

    चार साल पहले हुई थी नियुक्ति

    आशा कुमारी को जून 2016 में शकील अहमद की जगह प्रदेश प्रभारी बनाया गया था। उस समय प्रदेश में आम आदमी पार्टी की लहर चल रही थी, क्योंकि चुनाव 2017 में होने थे। चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटे जीतकर इतिहास बनाया। इससे पहले कांग्रेस कभी भी इतनी सीटें जीतने में कामयाब नहीं रही थी। इस जीत का सेहरा भले ही कैप्टन अमरिंदर सिंह के सर सजा हो, लेकिन चुनाव में आशा कुमारी ने भी भरपूर मेहनत की। यही कारण है कि आशा कुमारी और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के रिश्ते हमेशा ही अच्छे रहे। इसी प्रकार 2019 के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस ने पंजाब में लोक सभा की 8 सीटों को जीता। पूरे देश में कांग्रेस की यह सबसे बड़ी जीत थी। क्योंकि अकेले दम पर कांग्रेस पार्टी पूरे देश में कही पर भी इतनी सीटें नहीं जीत सकी। इस जीत का सेहरा भी मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ही सर सजा था।

    हिमाचल प्रदेश में चेहरा बनने की कवायद

    माना जा रहा है कि आशा कुमारी हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का चेहरा बनना चाहती है, क्योंकि हिमाचल प्रदेश सरकार में पूर्व शिक्षा मंत्री रही आशा कुमारी पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र के बाद वरिष्ठ नेताओं में शामिल हैंं। चूंकि पंजाब और हिमाचल प्रदेश के चुनाव में हमेशा ही पांच से छह महीने का अंतर रहता है। ऐसे में आशा कुमारी अब अपने गृह राज्य पर ज्यादा फोकस करना चाहती हैंं। आशा कुमारी कहती हैंं, चार साल से पंजाब में प्रभारी की जिम्मेदारी देख रही हैंं। मेरे प्रभारी के कार्यकाल में विधानसभा और लोकसभा में कांग्रेस को शानदार जीत मिली। पंजाब की कमान कुशल मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के हाथ में है। मेरे ख्याल से एक प्रभारी के लिए इतना समय काफी होता है। बाकी पार्टी हाईकमान को देखना है।