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एमपी की बासमती को जीआइ टैगिंग देने का पंजाब के सीएम ने किया विराेध, PM को लिखा पत्र

पंजाब के मुख्‍यमंत्री कैप्‍ठटन अमरिंदर सिंह ने मध्‍य प्रदेश की बासमती को जीआइ टैगिंग देने का विरोध किया है। उन्‍होंने इस संबंध में पीएम नरेंद्र मोदी काे पत्र लिखा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 06:13 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 06:13 PM (IST)
एमपी की बासमती को जीआइ टैगिंग देने का पंजाब के सीएम ने किया विराेध, PM को लिखा पत्र
एमपी की बासमती को जीआइ टैगिंग देने का पंजाब के सीएम ने किया विराेध, PM को लिखा पत्र

चंडीगढ़, जेएनएन। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने मध्य प्रदेश के बासमती चावल की जीआइ (जियोग्राफिकल इंडीकेशन) टैगिंग देने पर नाराजगी जताई है। जीआइ टैगिंग से कृषि उत्पादों को उनकी भौगोलिक पहचान दी जाती है। कैप्‍टन अमरिंदर सिंह ने इस संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्‍होंने प्रधानमंत्री से इस पर रोक लगाने की मांग की है।

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कैप्‍टन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिख कर की हस्तक्षेप करने की मांग

प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने कहा है कि बासमती की जीआइ टैगिंग व्यवस्था में छेड़छाड़ से भारतीय बासमती के बाजार को नुकसान हो सकता है और इसका लाभ  पाकिस्तान को मिल सकता है। मुख्यमंत्री ने कहा है कि भारत से हर साल 33  हजार करोड़ की बासमती चावल का निर्यात होता है।

भारत में हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिमी उत्तर-प्रदेश और जम्मू और काश्मीर के कुछ क्षेत्र में पैदा होने वाली बासमती की ही जीआइ टैगिंग की जाती है। ऑल इंडिया राइस एक्सपोर्टर एसोसिएशन ने भी बासमती की जीआइ टैगिंग करवाने के मध्य प्रदेश के दावे का कड़ा विरोध किया है।

अमरिंदर ने कहा- बासमती के 33 हजार करोड़ का निर्यात बाजार हो सकता है प्रभावित

कैप्टन ने मोदी से कहा है कि भारत में बासमती की खेती करने वाले किसानों और निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए वे अधिकारियों को जीआई टैगिंग की व्यवस्था में छेड़छाड़ करने से रोकें। मुख्यमंत्री ने कहा है कि जियोग्राफिकल इंडीकेशन ऑफ गुड्स (रजिस्ट्रेशन एंड प्रोटेक्शन) एक्ट, 1999 के तहत जीआई टैग उन कृषि उत्पादों को दिया जाता है जो किसी क्षेत्र विशेष में विशेष गुणवत्ता और विशेषताओं के साथ उत्पन्न होती है।

उन्‍होंने कहा कि इन विशेषताओं के चलते ही ऐसे उत्पादों को उनके भौगोलिक उत्पत्ति के आधार पर जीआई टैगिंग दी जाती है। भारत में जाआइ टैगिंग वाले बासमती को उसकी गुणवत्ता, स्वाद और खुशबू के लिए दी जाती है। हिमालय की तलहटी में बसे क्षेत्रों में इंडो-गेंजेटिक क्षेत्र में पैदा होने वाली बासमती का स्वाद और खुशबू की पहचान सारे विश्व में विख्यात है। 

उन्‍होंंने कहा है कि मध्य प्रदेश, बासमती का उत्पादन करने वाले इस इस विशेष क्षेत्र में नहीं आता। इसीलिए इसे पहले ही बासमती की जीआई टैगिंग के लिए शामिल नहीं किया गया था। मध्य प्रदेश को जीआइ टैगिंग में शामिल करना ना सिर्फ जीआइ टैगिंग एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन होगा बल्कि यह जीआइ टैगिंग के उद्देश्य को ही बर्बाद कर देगा।

मुख्यमंत्री ने कहा है कि इससे पहले 2017-18 में भी मध्य प्रदेश ने जीआइ टैगिंग हासिल करने का प्रयास किया था लेकिन तब जीआइ टैगिंग के रजिस्ट्रार ने यह मांग खारिज कर दी थी। इस संबंध में मध्य प्रदेश के दावे को इंटेलैक्चुअल प्रॉपर्टी अपीलेट बोर्ड ने भी खारिज कर दिया था और मद्रास हाई कोर्ट से भी मध्य प्रदेश को राहत नहीं मिली थी। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि मध्य प्रदेश के इस दावे पर भारत सरकार द्वारा गठित की गई  कृषि विज्ञानियों की समिति ने भी इस दावे को खारिज कर दिया था।


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