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पंजाब कैबिनेट में अनुसूचित जातियों को मिला प्रमुख प्रतिनिधित्व, पहली बार 6 लोग बने मंत्री

पंजाब में अनुसूचित जाति की आबादी को ध्यान में रखते हुए भगवंत मान कैबिनेट में छह मंत्रियों को इस वर्ग से जगह दी गई है। यह पिछली सरकारों के दौरान दिए गए प्रतिनिधित्व से कहीं अधिक है। इन मंत्रियों के पास महत्वपूर्ण विभाग हैं और उनका राजनीतिक या पारिवारिक आधार भी मजबूत नहीं है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने अनुसूचित जातियों के सभी वर्गों को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व दिया है।

By Jagran News Edited By: Nitish Kumar Kushwaha Updated: Wed, 02 Oct 2024 04:28 PM (IST)
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भगवंत मान कैबिनेट में अनुसूचित जाति के छह मंत्री शामिल। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। देशभर में अनुसूचित जाति की सबसे अधिक जनसंख्या पंजाब में होने को ध्यान में रखते हुए भगवंत मान कैबिनेट में छह मंत्रियों को इस वर्ग से जगह दी है। हाल ही में हुए कैबिनेट फेरबदल के दौरान दो नए मंत्री इस वर्ग से शामिल किए गए हैं।

इस कैबिनेट में अब तक सबसे अधिक अनुपात में जगह दी गई है। 16 मंत्रियों में से छह अब अनुसूचित वर्ग से हैं, जबकि पिछली सरकारों के दौरान 18 में से तीन मंत्री इस वर्ग से लिए जाते रहे हैं। यही नहीं, इन मंत्रियों के पास मामूली विभाग और कम शक्ति वाले विभाग न होकर बड़े महकमे हैं।

मंत्रिमंडल में वित्त व आबकारी व कराधान विभाग हरपाल चीमा, खाद्य और नागरिक आपूर्ति विभाग लाल चंद कटारूचक्क, लोक निर्माण विभाग व बिजली विभाग हरभजन सिंह ईटीओ, सामाजिक न्याय विभाग डॉ. बलजीत कौर, स्थानीय निकाय विभाग डॉ. रवजोत और बागवानी विभाग मोहिंदर भगत के पास है, जो इस वर्ग से आते हैं।

दिलचस्प बात यह है कि इनमें से अधिकांश मंत्रियों का पिछले सरकारों की तुलना में कोई मजबूत राजनीतिक या पारिवारिक आधार नहीं है। कांग्रेस में चौधरी परिवार लगभग 100 साल तक सत्ता के लाभ लेता रहा, जबकि अकाली दल में धन्ना सिंह गुलशन, चरणजीत सिंह अटवाल, गुरदेव सिंह बादल और गुलजार सिंह रणीके जैसे नेताओं के परिवारों ने सत्ता सुख भोगा, लेकिन आम आदमी पार्टी सरकार के सारे मंत्री आम परिवारों से हैं।

वर्ष 2003 के 91वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम के बाद से, जिसमें कहा गया है कि मंत्रिपरिषद में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की कुल संख्या विधानसभा की कुल संख्या के 15 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए, कुल 18 में से केवल तीन मंत्री ही राज्य मंत्रिमंडल का हिस्सा बनते थे।

2002-2007 तक कैप्टन अमरिंदर सिंह के शासन में तीन अनुसूचित जाति के नेता चौधरी जगजीत सिंह, मोहिंदर सिंह केपी और सरदूल सिंह मंत्री थे। इसी तरह, अकाली दल के कार्यकाल में भी 2007 से 2017 तक तीन एससी नेता भगत चूनी लाल, गुलजार सिंह रणीके और सोहन सिंह ठंडल मंत्री रहे।

कैप्टन के वर्ष 2017 वाले कार्यकाल में अनुसूचित जातियों के नेता साधू सिंह धर्मसोत, अरुणा चौधरी और चरणजीत सिंह चन्नी मंत्री थे, जबकि चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाली सरकार में अरुणा चौधरी और राज कुमार वेरका मंत्री थे। राज्य में करीब 40 प्रतिशत वोट शेयर रखने वाला यह वर्ग हमेशा प्रभावित रहा क्योंकि सत्ता में उनकी भागीदारी केवल 10 प्रतिशत या उससे भी कम थी।

उनके मुद्दों को मत्रियों द्वारा हल किया जाना संभव नहीं था, क्योंकि उन्हें मामूली विभागों में सीमित कर दिया गया था। ऐसे समय में जब देश में आरक्षण के भीतर आरक्षण की चर्चा जोरों पर है, आम आदमी पार्टी की सरकार ने अनुसूचित जातियों के हर वर्ग को सम्मानजनक प्रतिनिधित्व दिया है।

राज्य के इतिहास में पहली बार आम आदमी पार्टी ने अनुसूचित जातियों के सभी महत्वपूर्ण हिस्सों को ध्यान से प्रतिनिधित्व दिया है। उदाहरण के तौर पर वाल्मीकि/महजबी सिख समुदाय से हरभजन सिंह ईटीओ और डॉ. बलजीत कौर को मंत्री बनाया गया है, जबकि हरपाल चीमा रामदासिया सिख समुदाय से हैं।

इसी तरह डॉ. रवजोत और लाल चंद कटारूचक्क रविदास समुदाय से हैं और मोहिंदर भगत कैबिनेट में भगत समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह पिछली सरकारों से बिल्कुल उलट है, जिन्होंने अनुसूचित जातियों के सभी वर्गों को संतुलित प्रतिनिधित्व देना मुश्किल से ही कायम रखा जाता था। भगत समुदाय, अनुसूचित जाति की आबादी का एक बड़ा हिस्सा होने के बावजूद सत्ता में हिस्सेदारी से वंचित रहा था।

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