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    पंजाब उपचुनाव में गेम चेंजर साबित हो सकता है अकाली दल, बीजेपी या AAP किसके खाते में जाएगा SAD का वोट बैंक?

    Updated: Fri, 15 Nov 2024 07:46 PM (IST)

    पंजाब उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल (SAD) का वोट बैंक अहम भूमिका निभा सकता है। SAD के चुनाव मैदान से हटने से उसका वोट किस पार्टी को मिलेगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं है। कुछ जानकारों का मानना है कि SAD का वोट बैंक आप या भाजपा को मिल सकता है जबकि कुछ का कहना है कि यह कांग्रेस को नहीं मिलेगा।

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    बीजेपी प्रदेश प्रधान सुनील जाखड़, शिअद के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बाद और पंजाब के सीएम भगवंत मान

    कैलाश नाथ, चंडीगढ़। चार विधानसभा क्षेत्रों में हो रहे उपचुनाव के लिए 20 नवंबर को मतदान होगा। मतदान में अब मात्र 5 दिन का समय शेष है।

    सभी पार्टियों की नजर शिरोमणि अकाली दल के वोट बैंक पर टिकी है कि शिअद के चुनाव मैदान से हट जाने से उसका वोट किस पार्टी की झोली में जाएगा। शिअद भले ही चुनाव मैदान में नहीं हो लेकिन उसकी पार्टी से संबंध रखने वाले चार प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं।

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    शिअद का वोट बैंक निभा सकता है अहम भूमिका

    चब्बेवाल से पूर्व मंत्री सोहन सिंह ठंडल, डेरा बाबा नानक से रवि करण काहलों, गिद्दड़बाहा से मनप्रीत बादल (तीनों भाजपा प्रत्याशी) जबकि गिद्दड़बाहा से आप प्रत्याशी हरदीप सिंह डिंपी ढिल्लों भी शिअद से ही आए हैं। शिअद का वोट बैंक इन चुनावों में अहम भूमिका निभा सकता है।

    जानकारी के अनुसार शिरोमणि अकाली दल ने खुलकर किसी भी पार्टी के प्रत्याशी का समर्थन नहीं किया है। साथ ही किसी को समर्थन देने से रोका भी नहीं है।

    यही कारण है कि शिअद के नेता गिद्दड़बाहा में जहां डिम्पी ढिल्लों के साथ दिखाई दे रहे हैं तो वहीं मनप्रीत बादल के साथ भी। कमोबेश यही स्थिति चब्बेवाल और डेरा बाबा नानक में भी दिखाई दे रही है।

    मनप्रीत बादल गिद्दड़बाहा से रहे विधायक

    मनप्रीत बादल चार बार शिअद के टिकट पर गिद्दड़बाहा से विधायक रहे हैं। पार्टी छोड़ने के बाद मनप्रीत व सुखबीर बादल के बीच दूरियां काफी बढ़ गई थीं।

    पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के निधन के बाद दोनों में दूरियां कम भी हुईं। राजनीतिक जानकारों का कहना हैं कि शिअद का पंथक वोट कांग्रेस को शिफ्ट नहीं होगा। पंथ वोट आप या भाजपा को जा सकता है।

    चूंकि भाजपा ने तीन अकाली नेताओं को टिकट दिया है इसलिए उन्हें व्यक्तिगत रूप से लाभ मिल सकता है लेकिन पार्टी खुलकर किसी भी समर्थन नहीं करेगी। यही स्थिति डेरा बाबा नानक की है।

    पूर्व स्पीकर निर्मल सिंह काहलों को पुत्र रवि करण काहलों भी टकसाली अकाली परिवार से हैं। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने भाजपा ज्वाइन की थी। रवि करण 2022 में कांग्रेस के सुखजिंदर रंधावा से 466 वोटों से हार गए थे।

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    सोहन ठंडल चार बार रहे हैं विधायक

    चब्बेवाल से सोहन सिंह ठंडल भी टकसाली अकाली रहे हैं। वह चार बार विधायक रहे। भाजपा प्रत्याशियों को शिअद वोट बैंक पर भरोसा है क्योंकि दोनों पार्टी का 25 वर्षों तक गठबंधन रहा है।

    वहीं, कांग्रेस को यह पता हैं कि शिअद के वोट बैंक से उसे कोई लाभ नहीं होने वाला। यही कारण है कि उसका फोकस सत्ता विरोधी और अपने वोट बैंक पर है।

    शिअद का वोट बैंक आम आदमी पार्टी के खाते में भी जा सकता हैं क्योंकि आप सत्ता में तो है ही, साथ ही सरकार के पास 2 वर्ष से अधिक समय का कार्यकाल भी है।

    जानकारों का कहना है कि शिअद को इस बात की चिंता है कि यदि चारों सीटें अकाली वोटों के बल पर भाजपा जीत लेती है तो भविष्य में उसके साथ होने वाले गठबंधन में भाजपा इन चारों सीटों पर अपना दावा करेगी।

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