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    पंजाब में बसों का चक्का जाम, रोडवेज डिपो सुबह चार बजे से ब्लॉक, क्या है मांग?

    Updated: Fri, 28 Nov 2025 09:30 AM (IST)

    पंजाब रोडवेज कॉन्ट्रैक्ट यूनियन ने बसों के निजीकरण के विरोध में सभी रोडवेज डिपो बंद कर दिए हैं, जिससे राज्य में बसों का चक्का जाम हो गया है। यूनियन नेताओं का आरोप है कि सरकार रोडवेज को निजी ऑपरेटरों के हवाले करने की तैयारी में है और किलोमीटर स्कीम के तहत बसों का निजीकरण किया जा रहा है। यूनियन नेताओं की गिरफ्तारी के बाद कर्मचारियों में रोष है।

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    पंजाब में बसों की हड़ताल जारी (फाइल फोटो)

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। पंजाब रोडवेज कॉन्ट्रैक्ट यूनियन ने किलोमीटर स्कीम के तहत बसों के प्राइवेटाइजेशन के विरोध में शुक्रवार तड़के 4:30 बजे से पंजाब के सभी रोडवेज डिपो बंद कर दिए। जिसके बाद राज्य में बसों का चक्का जाम हो गया है।

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    यूनियन नेताओं का कहना है कि पंजाब सरकार रोडवेज को निजी ऑपरेटरों के हवाले करने की तैयारी में है और इसी के तहत आज किलोमीटर स्कीम के तहत बसों का प्राइवेटाइजेशन किया जाना प्रस्तावित है।

    इस फैसले के विरोध में यूनियन ने पहले दोपहर 1 बजे प्रदर्शन का एलान किया था, लेकिन उससे पहले ही देर रात यूनियन के कई प्रमुख नेताओं को हिरासत में ले लिया गया, जिसके बाद यूनियन ने अचानक सुबह से ही डिपो बंद करने का फैसला कर दिया।

    सरकार को बोला बेईमान

    यूनियन नेता जुगराज सिंह के अनुसार, सरकार की किलोमीटर स्कीम से जहां विभाग को आर्थिक नुकसान हो रहा है, वहीं कॉन्ट्रैक्ट कर्मचारियों की नौकरी असुरक्षित होती जा रही है और भविष्य पूरी तरह निजी कंपनियों की मर्जी पर निर्भर हो जाएगा।

    उनका आरोप है कि सरकार नई सरकारी बसें खरीदकर बेड़े को मजबूत करने की बजाय निजी बस ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाने वाली नीतियां बना रही है।

    यूनियन का कहना है कि इससे न सिर्फ सरकारी रोजगार के अवसर कम होंगे, बल्कि आम जनता को मिलने वाली सस्ती और भरोसेमंद सरकारी बस सेवा भी धीरे-धीरे कमजोर हो जाएगी। अपने संदेश में जुगराज सिंह ने पंजाब सरकार को बेइमान सरकार कहा।

    गिरफ्तारी के बाद रोष में यूनियन

    यूनियन नेताओं की रात में हुई गिरफ्तारी से कर्मियों में गहरा रोष है और इसे श्रमिकों की आवाज दबाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। यूनियन पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि सरकार को आशंका थी कि दिन में होने वाले विरोध प्रदर्शन का असर बड़ा हो सकता है, इसलिए पहले ही दमनात्मक कार्रवाई की गई और नेताओं को हिरासत में लेकर लोकतांत्रिक विरोध के अधिकार को कुचला गया।

    इसके जवाब में यूनियन ने अचानक चक्का जाम जैसा कदम उठाकर सुबह से ही डिपो बंद कर दिए, जिससे राज्यभर में रोडवेज की बसें नहीं चल पा रहीं और हजारों यात्री फंसे हुए हैं।