पंजाब विधानसभा में बाढ़ राहत के लिए 20 हजार करोड़ की मांग, केंद्र पर लगाया गया उदासीन रवैये का आरोप
पंजाब विधानसभा में बाढ़ राहत पैकेज को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया। प्रस्ताव में केंद्र सरकार द्वारा दिए गए 1600 करोड़ रुपये के पैकेज की आलोचना की गई और 20 हजार करोड़ रुपये के वित्तीय पैकेज की मांग की गई। जल स्रोत विभाग के मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने बीबीएमबी को पंजाब में बाढ़ के लिए जिम्मेदार ठहराया और प्रबंधन पंजाब को देने की मांग की।

इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़। पंजाब विधानसभा के विशेष सत्र में आज राज्य में आई बाढ़ के बाद प्रधानमंत्री का मात्र 1600 करोड़ रुपये देने और मुख्यमंत्री भगवंत मान को मिलने के लिए समय तक नहीं देने की आलोचना करते हुए प्रस्ताव पेश किया और बीस हजार करोड़ रुपये का वित्तीय पैकेज देने की मांग की।
जल स्रोत विभाग के मंत्री बरिंदर कुमार गोयल ने यह प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री को देश में संघवाद का ख्याल रखना चाहिए और सभी राज्यों के साथ एक जैसा व्यवहार करना चाहिए। मंत्री ने पंजाब में बाढ़ के लिए भाखड़ा ब्यास मैनेजमेंट बोर्ड को जिम्मेवार ठहराते हुए कहा कि बीबीएमबी का प्रबंध पंजाब को देने की मांग की।
उन्होंने आरोप लगाया कि जब भी अधिक पानी को देखते हुए बीबीएमबी से अधिक पानी छोड़ने की मांग करते तो चेयरमैन सभी राज्यों की मीटिंग बुलाने की बात कहकर इसे टाल देते। हमने बीबीएमबी से भाखड़ा से पानी तब छोड़ने को कहा जब डैम का स्तर 1660 फुट था लेकिन इन्होंने कहा कि 1965 फुट पर छोड़ेंगे।
मंत्री ने कहा कि बीबीएमबी की मीटिंगें न होने के कारण कई फैसले नहीं हुए। मंत्री ने यह भी आराेप लगाया कि ब्यास दरिया के रामसर साइड को वाइल्ड लाइफ घेषित कर दिया, इसकी जरूरत क्या थी यह तो पिछली सरकारें ही बता सकती हैं। ब्यास से एक चम्मच रेत निकालने के लिए केंद्र से मंजूरी लेनी पड़ती है। हम न तो डी-सिल्टिंग कर सकते हैं न माइनिंग, यह हमारे अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
मंत्री ने आगे कहा कि इसी तरह घग्गर दरिया जिसमें हर साल बाढ़ आती है लेकिन 2023 के बाद इस पर काम करने के चलते हमने हजारों गांव को बचाया है। उन्होंने बताया कि इसी दरिया पर बनी हांसी बुटाणा के कारण 40 गांव हमारे घग्गर की मार के नीचे आ जाते हैं। उस पर स्टे हुआ है इसलिए बचाव हो गया ।
बरिंदर कुमार गोयल ने कहा कि हमें उम्मीद थी कि इस मुसीबत के समय पर केंद्र सरकार हमारी मदद करती लेकिन 26 अगस्त को बाढ़ आने के बावजूद 9 सितंबर तक पीएम ने सहानुभूति का एक संदेश तक नहीं भेजा। जब आए तो मात्र 1600 करोड़ रुपये की घोषणा करके गए। उन्होंने पूछा कि क्या जिस मरीज को 20 हजार करोड़ की जरूरत हो उसे 1600 करोड़ पकड़ा दें तो क्या वह बच पाएगा? मंत्री ने कहा कि केंद्र के पास आज गलतियां सुधारने का मौका है।
पहले इन दरियाओं के पानी को नान राइपेयरियन स्टेट्स को दिया गया। कम से कम ऐसा करने के समझौतों में यह तो डाल देते कि अगर बाढ़ के कारण नदियों का नुकसान होगा तो ये भी हिस्सा देंगे। उन्होंने कहा कि ये सब बातें रखने के लिए जब पंजाब के मुख्यमंत्री ने इनसे मिलने का समय मांगा तो अभी तक प्रधानमंत्री ने मिलने का समय तक नहीं दिया। उन्होंने कहा कि जो पंजाब देश के हर संकट में खड़ा होता है आज उसको जब भारी बाढ़ का सामना करना पड़ा है तो उससे दूर भागना, उसके साथ अन्याय होगा।
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