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    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने फीस वसूली के मामले में बार काउंसिल जारी किया नोटिस

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Sat, 07 Nov 2020 12:14 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने बार काउंसिल को दोबारा नोटिस जारी किया है। यह नोटिस निर्धारित से अधिक फीस वसूली के मामले में किया गया है। इस संबंध में ए ...और पढ़ें

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    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की फाइल फोटो।

    जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने बार काउंसिल (Bar Council) को एक बार फिर नए सिरे से नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। हाई कोर्ट का नोटिस सर्व न होने के कारण कोर्ट ने यह नोटिस जारी किया।

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    वकीलों की सर्वोच्च संस्था बार काउंसिल के खिलाफ पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट के अधिवक्ता प्रद्युम्न गर्ग ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है। याचिका में कहा गया है कि वकीलों को लाइसेंस देने के लिए तय प्रावधानों के तहत निर्धारित 750 रुपये फीस है, लेकिन बार काउंसिल आफ पंजाब एवं हरियाणा एक वकील से इसके लिए 16 हजार 400 रुपये वसूलती है।

    हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस रवि शंकर झा की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया व बार काउंसिल ऑफ पंजाब एवं हरियाणा को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। याची ने हाई कोर्ट को बताया कि एडवोकेट एक्ट के अनुसार लाइसेंस के लिए राज्य बार काउंसिल को 600 तथा बार काउंसिल आफ इंडिया को 150 रूपये फीस देने का प्रविधान है। यदि लाइसेंस के लिए आवेदन करने वाला अनुसूचित जाति से हो तो राज्य बार काउंसिल को 100 रुपये तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया को 25 रुपये फीस जाती है।

    याची का कहना है कि बार काउंसिल आफ पंजाब एंड हरियाणा अतिरिक्त फीस के रूप में 8600 रूपये एनरोलमेंट्स फीस तथा 1050 रूपये बार काउंसिल ऑफ इंडिया के लिए 1000 रुपये बिल्डिंग फंड तथा 5000 रुपये वेलफेयर व इंश्योरेंस फंड के रूप में वसूल रही है। इस कारण वकालत के लिए लाइसेंस पाने वाले आवेदक को लगभग 16400 रुपये का भुगतान करना पड़ता है। इसके साथ ही यदि किसी वकील को आवेदन के दिन ही लाइसेंस चाहिए तो तो बार काउंसिल ऑफ पंजाब हरियाणा, सर्कुलर शुल्क के रूप में 5000 रूपये की अतिरिक्त राशि वसूलते है। यह एडवोकेट्स एक्ट, 1961 के प्रविधानों के खिलाफ है। याची ने हाई कोर्ट से आग्रह किया कि इस अवैध वसूली पर रोक लगाई जाए।