MBBS और BDS छात्रों को पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट से राहत, संपत्ति-आधारित साल्वेंसी सर्टिफिकेट की अनिवार्यता खत्म
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने MBBS और BDS छात्रों को अनिवार्य सेवा बांड में राहत दी है। अदालत ने राज्य सरकार से कहा है कि बांड के साथ संपत्ति-आधारित साल्वेंसी सर्टिफिकेट जमा करने की शर्त लागू न की जाए। यह आदेश जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और जस्टिस रोहित कपूर की खंडपीठ ने दिया। याचिकाकर्ताओं ने सरकारी सेवा को अनिवार्य करने वाले संशोधन को चुनौती दी थी।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने एमबीबीएस और बीडीएस छात्रों को अनिवार्य सेवा बांड के संबंध में बड़ी राहत दी है। अदालत ने राज्य सरकार को अंतरिम आदेश में कहा है कि बांड के साथ संपत्ति-आधारित साल्वेंसी सर्टिफिकेट (100 स्टांप पेपर पर) जमा कराने की शर्त लागू न की जाए।
यह आदेश जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र और जस्टिस रोहित कपूर की खंडपीठ ने पारित किया था। याचिकाकर्ताओं ने 13 जून 2025 के उस संशोधन को चुनौती दी थी जिसमें मेडिकल शिक्षा एवं अनुसंधान विभाग, पंजाब ने सभी एमबीबीएस व बीडीएस विद्यार्थियों के लिए सरकारी सेवा को अनिवार्य किया था।
इसके तहत अखिल भारतीय कोटे के छात्रों को एक वर्ष और राज्य कोटे के छात्रों को दो वर्ष सरकारी सेवा करनी होगी, अन्यथा 20 लाख का भुगतान करना होगा। यह प्रावधान 15 जुलाई को जारी 2025-26 सत्र की प्रवेश पुस्तिका में भी शामिल किया गया था।
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