पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, PSPCL को पेंशन कट ऑफ डेट तय करने का अधिकार
पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कहा कि PSPCL को यह तय करने का अधिकार है कि वेतन आयोग की सिफारिशें कब से लागू हों क्योंकि यह एक स्वायत्त निकाय है। अदालत ने PSPCL के उस फैसले को सही ठहराया जिसमें पांचवें वेतन आयोग के तहत पेंशन संशोधन को 1 दिसंबर 2011 से लागू किया गया था।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि पंजाब स्टेट पॉवर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (पीएसपीसीएल) एक स्वायत्त निकाय होने के नाते अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए यह तय करने का अधिकार रखता है कि कर्मचारियों को वेतन आयोग की सिफारिशें किस तिथि से लागू करनी हैं।
अदालत ने कहा कि वित्तीय सीमाएं कट ऑफ डेट तय करने का वैध आधार हैं और इसे मनमाना नहीं कहा जा सकता। जस्टिस हरप्रीत सिंह बराड़ ने 30 से अधिक याचिकाओं पर साझा फैसला सुनाते हुए पीएसपीसीएल के उस निर्णय को सही ठहराया, जिसके तहत पांचवें वेतन आयोग के तहत पेंशन संशोधन को एक दिसंबर 2011 से लागू किया गया था।
राज्य सरकार ने अपने कर्मचारियों के लिए यह लाभ एक जनवरी 2006 से लागू किया था। याचिकाकर्ता, जो अधिकतर पूर्व बिजली बोर्ड कर्मचारी थे, ने दलील दी थी कि उन्होंने 25 साल से अधिक सेवा दी है और उन्हें भी 2006 से ही संशोधित पेंशन लाभ मिलना चाहिए। लेकिन अदालत ने माना कि पीएसपीसीएल ने वित्तीय स्थिति का हवाला देते हुए यह निर्णय लिया था और यह तर्कसंगत है।
हाई कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों को अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार कर्मचारी सुविधाओं और राजस्व भार के बीच संतुलन बनाना होता है। पीएसपीसीएल को निर्बाध बिजली आपूर्ति और ढांचागत जरूरतें पूरी करने के लिए वित्तीय अनुशासन बनाए रखना जरूरी है।
इस प्रकार अदालत ने याचिकाओं को निस्तारित करते हुए पीएसपीसीएल के निर्णय को बरकरार रखा और कहा कि पेंशन संशोधन का लाभ केवल एक दिसंबर 2011 या उसके बाद सेवानिवृत्त कर्मचारियों को ही मिलेगा।

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