पंजाब के फतेहगढ़ साहिब अदालत परिसर में 50 साल पुराने पेड़ काटे, हाई कोर्ट ने मांगा जवाब
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फतेहगढ़ साहिब में 50 साल पुराने पेड़ों की अवैध कटाई पर राज्य सरकार को नोटिस भेजा है। याचिकाकर्ता हर्षप्रीत सिंह ने आरोप लगाया है कि बिना अनुमति के पेड़ों को काटा जा रहा है जिससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। याचिका में कहा गया है कि पेड़ों की कटाई से प्राकृतिक आपदाएं बढ़ सकती हैं।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फतेहगढ़ साहिब जिला न्यायिक परिसर में 50 से अधिक वर्षों पुराने हरे-भरे पेड़ों की अवैध कटाई के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी किया है।
मुख्य न्यायाधीश शील नागू और न्यायमूर्ति संजीव बेरी की खंडपीठ ने राज्य से जवाब दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई 29 सितम्बर को होगी।
फतेहगढ़ साहिब निवासी हर्षप्रीत सिंह ने दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया है कि परिसर में लगभग 50 हरे पेड़ मौजूद हैं, जिनमें से कुछ 50 वर्ष से भी अधिक पुराने हैं।
अब तक 10 से ज्यादा पेड़ काटे जा चुके हैं और शेष की कटाई भी जारी है। याचिका के अनुसार, यह कार्रवाई बिना किसी कानूनी मंजूरी, पर्यावरणीय अनुमति और पंजाब सरकार की वृक्ष संरक्षण नीति-2024 का पालन किए बिना की जा रही है।
याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि ये पेड़ न केवल प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं, बल्कि पक्षियों की कई प्रजातियों का स्थायी आवास भी हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि बार-बार अपील करने के बावजूद जिम्मेदार विभागों ने कटाई रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।
प्राकृतिक चक्र पर असर की आशंका
याचिका में चेतावनी दी गई है कि बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई से पारिस्थितिक संतुलन और प्राकृतिक चक्र गंभीर रूप से प्रभावित होंगे।
जाब पहले ही बाढ़ जैसी आपदाओं का सामना कर रहा है और इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना कार्रवाई से भूस्खलन, बादल फटना और बाढ़ जैसी आपदाएं और बढ़ सकती हैं।
पर्यावरणीय संस्थाओं से नहीं ली गई अनुमति
याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण जैसी पर्यावरणीय संस्थाओं से अनुमति नहीं ली गई और न ही क्षतिपूर्ति वृक्षारोपण की कोई योजना तैयार की गई।
उन्होंने अदालत से मांग की है कि पेड़ों की आगे की कटाई तुरंत रोकी जाए, पहले से काटे गए पेड़ों का मुआवजा दिलाया जाए और पर्यावरण मानकों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। मामला अब 29 सितम्बर को पुनः सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।
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