पंजाब में महिला फायरमैन भर्ती में सख्त शारीरिक मापदंडों के कारण सभी पद खाली, हाईकोर्ट ने फिर भी क्यों ठुकराई छूट की मांग?
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने फायरमैन भर्ती में महिला उम्मीदवारों के लिए शारीरिक मापदंडों में छूट देने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ताओं ने नियमों को भेदभावपूर्ण बताया था लेकिन अदालत ने कहा कि उन्होंने बिना चुनौती दिए प्रक्रिया में भाग लिया। अदालत ने माना कि शारीरिक मापदंड आवश्यक हैं लेकिन पंजाब सरकार को खाली पदों के मामले में छूट पर विचार करने की सलाह दी।

दयानंद शर्मा, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट फायरमैन के पद के लिए महिला उम्मीदवारों के लिए शारीरिक मापदंडों में छूट देने की मांग की याचिकाओं पर आदेश जारी करने से इंकार कर दिया है। इन याचिकाओं में महिला उम्मीदवारों के लिए शारीरिक मापदंडों में छूट देने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ताओं ने मुख्य रूप से चंडीगढ़ व पंजाब में फायरमैन के पद के लिए महिला उम्मीदवारों के लिए तय किए गए शारीरिक मापदंडों को चुनौती दी थी। उनका तर्क था कि महिला उम्मीदवारों को इन मापदंडों में छूट मिलनी चाहिए, और ऐसी छूट न देना उनके साथ भेदभाव है।
यह बात याचिका में स्वीकार की गई थी कि फायरमैन के पद पर नियुक्ति चंडीगढ़ के लिए नगर निगम सेवा विनियमन, और पंजाब के लिए पंजाब नगर फायर ब्रिगेड नियम, 1977 जैसे वैधानिक नियमों द्वारा नियंत्रित होती है। इन नियमों में शारीरिक मापदंड निर्धारित हैं, जैसे कि चंडीगढ़ के लिए फायरमैन की ऊंचाई 5''-7'' और सीने का माप 33.5" से 35.5" है।
पंजाब में, एक व्यक्ति को 60 किलोग्राम वजन के साथ 100 गज की दूरी एक मिनट में तय करनी होती है। याचिकाकर्ताओं ने यह भी बताया कि पंजाब राज्य में महिला उम्मीदवारों के लिए एक तिहाई पद आरक्षित हैं, लेकिन कोई भी महिला उम्मीदवार इन कड़े शारीरिक मापदंडों को पूरा नहीं कर पाई।
इसलिए, उन्होंने तर्क दिया कि इन मानदंडों में छूट दी जानी चाहिए ताकि आरक्षण का उद्देश्य पूरा हो सके। हाई कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तर्कों को स्वीकार नहीं किया। पीठ ने कहा कि यह निर्विवाद है कि याचिकाकर्ताओं ने भर्ती नियमों या विज्ञापन को चुनौती दिए बिना ही आवेदन किया था और भर्ती प्रक्रिया में भाग लिया था।
चूंकि उन्होंने असफल होने के बाद ही नियमों को चुनौती दी है, इसलिए वे ऐसा करने के हकदार नहीं हैं। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि जो उम्मीदवार बिना किसी आपत्ति के चयन प्रक्रिया में भाग लेते हैं, वे बाद में असफल होने पर इसे चुनौती नहीं दे सकते। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि भर्ती के नियमों में छूट का दावा करना किसी भी उम्मीदवार का निहित अधिकार नहीं है।
चंडीगढ़ के मामले में, सभी पद पहले ही भर चुके हैं। पंजाब के संबंध में, राज्य ने बताया कि महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित पद खाली हैं क्योंकि कोई भी उम्मीदवार शारीरिक मानकों को पूरा नहीं कर पाई है।
कोर्ट ने माना कि फायरमैन का काम प्रकृति से काफी कठिन होता है, और यह सुनिश्चित करने के लिए शारीरिक मापदंडों का निर्धारण आवश्यक हो सकता है कि उम्मीदवार नौकरी की आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। हालांकि, कोर्ट ने इस मुद्दे पर गहराई से विचार करने से इनकार कर दिया, क्योंकि चुनौती बहुत देरी से दी गई थी।
कोर्ट ने कोई राहत न देते हुए यह बात पंजाब राज्य पर छोड़ दी कि यदि महिलाओं के लिए आरक्षित सभी पद खाली रह गए हैं तो वे मानदंडों में छूट देने के मुद्दे पर विचार कर सकते हैं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यह केवल एक विचार करने का सुझाव है, न कि कोई निर्देश।
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