Punjab and Haryana HC: चंडीगढ़ प्रशासन पर हाई कोर्ट हुआ सख्त, बोले- इमारत के लिए 18 एकड़ भूमि को लेकर योजना सौंपे
पिछली सुनवाई पर प्रशासन ने बताया था कि सारंगपुर में हाई कोर्ट के लिए अतिरिक्त इमारत को तैयार किया जाएगा। निर्माण होने और रिकार्ड के ट्रांसफर होने के बाद हाई कोर्ट की इस इमारत से काफी हद तक बोझ कम हो सकेगा। पिछली सुनवाई पर चंडीगढ़ के सचिव पेश हुए थे और जब कोर्ट ने भूमि के बारे में पूछा तो प्रशासन ने अपनी मजबूरियां गिनवानी आरंभ कर दी थी।

राज्य ब्यूरों, चंडीगढ़। हाई कोर्ट की इमारत पर बढ़ते स्टाफ व दस्तावेजों के बोझ को आपातकाल जैसी स्थिति बताते हुए की गई टिप्पणी के बाद प्रशासन अतिरिक्त भवन के लिए सारंगपुर में 18 एकड़ भूमि देने को तैयार है। हाई कोर्ट ने सोमवार को प्रशासन को आदेश दिया कि इमारत के निर्माण से जुड़ी योजना के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाए क्योंकि हमें आज की नहीं बल्कि पांच दशक बाद की स्थिति को लेकर योजना बनानी होगी।
पिछली सुनवाई पर प्रशासन ने बताया था कि सारंगपुर में हाई कोर्ट के लिए अतिरिक्त इमारत को तैयार किया जाएगा। निर्माण होने और रिकार्ड के ट्रांसफर होने के बाद हाई कोर्ट की इस इमारत से काफी हद तक बोझ कम हो सकेगा। पिछली सुनवाई पर चंडीगढ़ के गृह सचिव पेश हुए थे और जब हाई कोर्ट ने भूमि के बारे में पूछा तो प्रशासन ने अपनी मजबूरियां गिनवानी आरंभ कर दी थी।
इस पर हाई कोर्ट ने कहा कि यह हाईकोर्ट आज जो इस पर बोझ है उसके लिए तैयार नहीं है। अब यदि अब अतिरिक्त इमारत मांग रहे हैं तो यह आज की जरूरत के अनुसार नहीं बल्कि पांच दशक बाद को देखते हुए है।
हाई कोर्ट ने इस पर सुनवाई को दोपहर बाद रखने का फैसला लिया था और गृह सचिव को ठोस जवाब के साथ हाजिर रहने को कहा था। दोपहर बाद प्रशासन की ओर से हाई कोर्ट को बताया गया कि हाई कोर्ट की इमारत के लिए छह एकड़ के तीन प्लाट उपलब्ध करवाए जाएंगे।
इनमें विभिन्न ब्रांचों को भेजा जा सकेगा। सोमवार को सुनवाई आरंभ होते ही प्रशासन की ओर से कहा गया कि उन्हें योजना के संबंध में जवाब के लिए कुछ समय दिया जाए। हाई कोर्ट ने इस पर समय देने से इन्कार करते हुए मंगलवार को जवाब दाखिल करने का आदेश जारी कर दिया।
ब्रांच भेजने से इमारत पर घटेगा बोझ
कोर्ट का सहयोग कर रहे सीनियर एडवोकेट रुपिंदर खोसला ने कहा कि सारंगपुर में भवन निर्माण से हाई कोर्ट की इमारत पर तो बोझ कम होगा ही, साथ ही पार्किंग व चेंबरों की समस्या का भी काफी हद तक हल निकाला जा सकेगा। इसके साथ ही अतिरिक्त कोर्ट रूम की व्यवस्था भी की जा सकेगी।
यह था मामला
पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट कर्मचारी संघ के सचिव विनोद धातरवाल व अन्य ने याचिका में बताया था कि रोज करीब 10000 वकील, 3300 कर्मचारी, वकीलों के 3000 क्लर्क हरियाणा और पंजाब के एजी कार्यालय के कर्मचारियों, सुरक्षा कर्मियों, याचिकाकर्ताओं व अन्य लोगों का बोझ हाई कोर्ट परिसर पर होता है।
10000 कार और हजारों दुपहिया वाहनों के बोझ को हाईकोर्ट का मौजूदा परिसर सहन करने में सक्षम नहीं है।
हाई कोर्ट में लंबित पांच लाख से अधिक याचिकाओं को समायोजित करने के लिए शायद ही कोई जगह है। सुरक्षा और आपातकाल की नजर से देखें तो एक छोटी सी घटना के कारण भगदड़ मच सकती है जिसके अकल्पनीय नुकसान हो सकते हैं।
2012 में हाई कोर्ट की इमारत का विस्तार हुआ था लेकिन समय के साथ बोझ बढ़ता जा रहा है और परिसर विस्तार समय की जरूरत हो गया है।
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