पंजाब हरियाणा HC ने पंजाब की नदियों में डी-सिल्टिंग की अनुमति दी, सरकार ने याचिका दायर की थी मांग
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य में बाढ़ की स्थिति को देखते हुए नदियों में डी-सिल्टिंग की अनुमति दे दी है। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने यह फैसला सुनाया। सरकार ने याचिका दायर कर अनुमति मांगी थी जिसे कोर्ट ने कुछ शर्तों के साथ स्वीकार कर लिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि डी-सिल्टिंग का कार्य नियमों के अनुसार ही होगा।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने राज्य में बाढ़ की गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए नदियों में डी-सिल्टिंग करने की अनुमति प्रदान की है। यह अनुमति प्रदेश सरकार ने याचिका दायर कर मांगी थी। शुक्रवार को चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की।
खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि राज्य को डी-सिल्टिंग का कार्य नियमों के अनुसार ही आरंभ करना होगा। साथ ही, खंडपीठ ने यह भी बताया कि जल्द ही विस्तृत आदेश जारी किया जाएगा, जिसमें यह स्पष्ट किया जाएगा कि कितनी और किस स्तर तक नदियों में डी-सिल्टिंग की जा सकती है।
सुनवाई के दौरान पंजाब के एडवोकेट जनरल ने खंडपीठ को बताया कि राज्य में बाढ़ के कारण व्यापक नुकसान हुआ है। उन्होंने बताया कि एनजीटी ने पहले से ही डी-सिल्टिंग पर रोक लगा रखी है और यदि स्थिति में सुधार नहीं हुआ तो हालात और भी गंभीर हो सकते हैं।
एजी के अनुरोध पर चीफ जस्टिस ने कुछ पाबंदियों के साथ डी-सिल्टिंग की अनुमति दी है। इन पाबंदियों का विवरण हाईकोर्ट के विस्तृत आदेश के बाद ही स्पष्ट होगा।
अवैध खनन के चलते लगाई गई थी रोक पंजाब में विभिन्न स्थानों पर रावी व सतलुज दरिया में हो रही डी-सिल्टिंग को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी।
हाईकोर्ट ने पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पूछा था कि कहीं डी-सिल्टिंग के नाम पर अवैध खनन तो नहीं हो रहा है? याचिका पर हाईकोर्ट ने डी-सिल्टिंग के नाम पर हो रहे खनन पर रोक का आदेश जारी किया था।
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