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    चंडीगढ़ में पीयू इलेक्शन, भाषण व लोकप्रियता के दम पर चुनाव लड़ने वालों ने क्यों चुना अपराध का रास्ता

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 02:43 PM (IST)

    चंडीगढ़ में छात्र राजनीति से अपराध की दुनिया में कई युवा उतरे हैं जैसे कि लारेंस बिश्नोई और गोल्डी बराड़। छात्र संघ चुनाव जीतने के बाद इनमें से कुछ ने हत्या लूट और नशा तस्करी जैसे अपराधों में शामिल हो गए। पुलिस के अनुसार छात्र राजनीति से अपराध की ओर बढ़ना चिंताजनक है क्योंकि गैंग्सटरों का नेटवर्क कैंपस कनेक्शन से मजबूत होता है।

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    तस्वीर अभी के चुनाव की है, लेकिन अपराध की दुनिया में जा चुके युवकों को याद दिलाने को काफी है।

     जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। लारेंस बिश्नोई, गोल्डी बराड़, संपत नेहरा, हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा जैसे कई नाम हैं जो चंडीगढ़ में छात्र राजनीति में उतरे, लेकिन बाद में अपराध की दुनिया का रास्ता चुन लिया। कभी भाषण कला, संगठन क्षमता और लोकप्रियता के दम पर चुनाव जीतने वाले ये छात्र नेता अब हथियारों, गैंगवार और धमकियों के सहारे अपनी मौजूदगी दर्ज करा रहे हैं। सवाल यह उठता है कि छात्र नेता रहे इन युवकों ने अपराध का रास्ता क्यों चुना। देशभक्ति और देशप्रेम की बात करने वाले देश को अब अपराध की दलदल में क्यों?

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    कई मामलों में इनका नाम हत्या, लूट, नशा तस्करी और रंगदारी तक में जुड़ चुका है। भले ही ये गैंग्सटर या आतंकी घोषित किए जा चुके हैं, लेकिन छात्र राजनीति में इनका दखल बरकरार है। एक बार फिर पंजाब यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव का माहौल है और इनकी किसी न किसी तरीके से मौजूदगी देखने को मिल रही है।

    पुलिस अधिकारियों का कहना है कि छात्र राजनीति से अपराध की ओर बढ़ने का यह ट्रेंड चिंताजनक है। कई मामलों में गैंग्सटरों का नेटवर्क इन्हीं कैंपस कनेक्शन से मजबूत हुआ है। विशेषज्ञ मानते हैं कि युवाओं को राजनीति के नाम पर हथियार और धन के खेल में झोंकने से उनकी राह बदलती है और वे अपराध जगत में फंस जाते हैं। खास बात यह है कि इनकी यात्रा का शुरुआती बिंदु छात्र राजनीति रही, लेकिन मंजिल बनी अपराध की दुनिया।

    लारेंस बिश्नोई: छात्र संघ चुनाव हारने पर अपराध का रास्ता चुना

    इसमें सबसे पहला नाम आता है फाजिल्का में जन्मे लारेंस बिश्नोई का। लारेंस चंडीगढ़ से पढ़ाई के जरिए छात्र राजनीति में उतरा। गोल्डी से उसकी मुलाकात भी यहीं हुई। छात्र संघ चुनाव हारने के बाद उसने अपराध का रास्ता चुना और आज वह गैंग का मुखिया है।

    लारेंस बिश्नोई पर पहला मामला 2010 में हत्या के प्रयास का दर्ज हुआ था। इसके बाद घर में घुसपैठ, हमला, मोबाइल फोन लूट, हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी और हथियार अधिनियम जैसे मामलों में एक के बाद एक केस दर्ज होते गए। सिद्धू मूसेवाला की हत्या में भी वह उसका नाम शामिल है।

    संपत नेहरा : एथलीट से बना गैंग्सटर

    कभी राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतने वाला एथलीट संपत नेहरा चंडीगढ़ की छात्र राजनीति से अपराध की दुनिया में पहुंचा। कैंपस में उसकी मुलाकात लारेंस बिश्नोई से हुई और धीरे-धीरे वह उसके गिरोह का अहम हिस्सा बन गया। संपत पर 20 से अधिक आपराधिक केस दर्ज हैं, जिनमें हत्या, रंगदारी, लूट और हथियारों का इस्तेमाल शामिल है।

    वह बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान की हत्या की साजिश में भी नामजद रहा। 2017 में वह पुलिस कस्टडी से फरार हो गया था, लेकिन 2018 में हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया गया। फिलहाल वह जेल में बंद है और उसके खिलाफ पंजाब, हरियाणा व राजस्थान में कई मामलों की सुनवाई जारी है।

    गोल्डी विदेश में रहकर करवाता हत्याएं

    छात्र राजनीति में छोटे-छोटे विवादों से शुरुआत करने वाला गोल्डी बराड़ आज विदेश में बैठकर पंजाब और हरियाणा में गैंग्सटरों का नेटवर्क चला रहा है। स्टडी वीजा पर कनाडा जाने के बाद उसने वहीं से अपराध की साजिशें रचनी शुरू कर दीं।

    सिद्धू मूसेवाला की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाले गोल्डी ने भाई गुरलाल की मौत के बाद अपराध की राह और तेज़ी से पकड़ी। पुलिस सूत्रों के अनुसार, वह कनाडा या किसी अन्य देश में छिपा हुआ है, लेकिन उसका लोकेशन अब तक साफ नहीं हो सका। फिलहाल, वह वहीं से सोशल मीडिया और नेटवर्क के ज़रिए गैंगवार और हत्याओं को अंजाम दिलवा रहा है।

    गैंगवार में गुरलाल की हत्या

    11 नवंबर 2020 को चंडीगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया में छात्र नेता गुरलाल बराड़ की गोली मारकर हत्या कर दी गई। हमलावरों ने उस पर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। यह वारदात प्रतिद्वंद्वी गिरोह के बीच गैंगवार का नतीजा मानी गई।

    गुरलाल कभी पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र राजनीति में सक्रिय रहा और सोपू संगठन का हिस्सा भी रहा था। पुलिस जांच में सामने आया कि उसकी हत्या की जिम्मेदारी विरोधी गैंग ने ली थी। इस घटना ने कैंपस राजनीति और अपराध जगत के बीच गहरे रिश्ते को उजागर कर दिया।

    विक्की की हत्या ने कैंपस से जुड़े गैंगवार की कड़ी को मजबूत किया

    7 अगस्त 2021 को मोहाली में विक्की की हत्या कर दी गई थी। वह पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति में सक्रिय था, उसकी गोली मारकर हत्या की गई थी। हमलावरों ने उस पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं और मौके से फरार हो गए। विक्की भी छात्र राजनीति से निकलकर अपराध जगत से जुड़ चुका था और कई विवादों में उसका नाम सामने आता रहा। उसकी हत्या ने कैंपस से जुड़े गैंगवार की कड़ी को और मजबूत कर दिया।

    लक्की ग्रुप का नया सरगना

    दविंदर के एनकाउंटर के बाद यह गैंग लक्की पटियाल के हाथों में आ गया। कभी पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से जुड़ा लक्की पटियाल, आज विदेश में बैठकर गैंग का संचालन कर रहा है।

    पुलिस रिकार्ड के मुताबिक़, लक्की पटियाल अब अपने विरोधियों की हत्या करवाने और रंगदारी वसूलने के लिए कुख्यात हो चुका है। छात्र राजनीति से अपराध की ओर उसका यह सफर इस बात का उदाहरण है कि कैंपस की प्रतिस्पर्धा और टकराव किस तरह से युवाओं को गैंगस्टर बना रही है।

    छात्र राजनीति से बना आतंकी रिंदा

    चंडीगढ़ की छात्र राजनीति से जुड़े हरविंदर सिंह उर्फ रिंदा ने अपराध की राह पकड़ने के बाद आतंक की दुनिया में कदम रख दिया। 2016 में पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ चुनाव के दौरान प्रतिद्वंद्वी संगठन साेइ के अध्यक्ष पर गोली चलाने की घटना के बाद उसका नाम सुर्ख़ियों में आया।

    इसके बाद उसने चंडीगढ़ पुलिस के इंस्पेक्टर नरेंद्र पटियाल की हत्या की साजिश भी रची थी। रिंदा पर कई हत्याओं और हमलों का आरोप है। वर्ष 2017 से वह फरार है और माना जाता है कि वह पाकिस्तान में रहकर आईएसआई के इशारे पर आतंकी गतिविधियों को अंजाम दे रहा है। छात्र राजनीति से आतंकवाद तक उसका यह सफर सुरक्षा एजेंसियों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है।

    बलजीत चौधरी : छात्र राजनीति से अपराध तक

    बलजीत चौधरी भी पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति में सक्रिय रहा। वह एक छात्र संगठन से जुड़ा और कैंपस की राजनीति में छोटे-मोटे झगड़ों और विवादों के बीच उसका झुकाव अपराध की ओर हुआ।

    धीरे-धीरे उसने आपराधिक गिरोहों से हाथ मिला लिया और उसके खिलाफ कई मामले दर्ज हुए। बलजीत पर एक माडल ने दुष्कर्म का भी आरोप लगाया था। बाद में पंजाब पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

    अंकित नरवाल : 18 साल की उम्र में बना गैंग्सटर

    सोनीपत के गांव का रहने वाला अंकित नरवाल चंडीगढ़ में पढ़ाई करने आया और बीए में दाखिला लिया। वह एनएसयूआई से जुड़ा छात्र नेता था। लेकिन 18 साल की उम्र में ही उसने अपराध का रास्ता चुन लिया। डीएवी कॉलेज के हिंदुस्तान स्टूडेंट एसोसिएशन से जुड़े दो छात्रों अजय और विनीत की सेक्टर-15 स्थित घर में घुसकर 27 गोलियां मारकर हत्या कर दी।

    इतनी कम उम्र में किए गए इस डबल मर्डर के बाद उसका नाम तेजी से अपराध जगत में फैल गया। उसके खिलाफ रंगदारी, हत्या और हथियारों के कई मामले दर्ज हैं। अंकित नरवाल कुख्यात गैंगस्टर संपत नेहरा का रिश्तेदार भी है और आज वह बिश्नोई-नेहरा गैंग से जुड़ा माना जाता है।

    इंदरजीत सिंह पेरी : लारेंस का करीबी

    इंदरजीत सिंह उर्फ़ पेरी, लारेंस बिश्नोई का करीबी रहा है। वह भी पंजाब यूनिवर्सिटी की छात्र राजनीति से जुड़ा और धीरे-धीरे अपराध की दुनिया का हिस्सा बन गया। उसके खिलाफ हत्या, रंगदारी और हथियार रखने जैसे कई मामले दर्ज हैं। 2024 में पुलिस ने उसके पास से विदेशी हथियार बरामद किए। फिलहाल वह जेल में बंद है।