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    शिक्षा के क्षेत्र में बेटियों का उत्कृष्ठ प्रदर्शन, PU के दीक्षा समारोह में बिखेरी सोने की चमक, 350 स्वर्ण पदकों में से 226 किए हासिल

    By Sohan Lal Edited By: Sohan Lal
    Updated: Sat, 13 Dec 2025 02:40 PM (IST)

    पंजाब यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में बेटियों ने उत्कृष्ट प्रदर्शन किया, जहां 350 स्वर्ण पदकों में से 226 महिला शोधार्थियों ने हासिल किए। राज्यपाल गु ...और पढ़ें

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    पंजाब यूनिवर्सिटी का 73वां दीक्षा समारोह।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। शिक्षा के क्षेत्र में बेटियां निरंतर उत्कृष्ठ प्रदर्शन कर रही हैं। इसका उदाहरण पंजाब यूनिवर्सिटी के दीक्षा समारोह में देखने को मिला। इस दौरान 350 स्वर्ण पदक प्रदान किए गए, जिनमें से 226 पदक पीएचडी की महिला शोधार्थियों को मिले।

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    शेष स्वर्ण पदक पुरुष शोधार्थियों को प्रदान किए गए। इसके अलावा कुल 1080 विद्यार्थियों को डिग्रियां प्रदान की गईं, जो विश्वविद्यालय की शैक्षणिक उपलब्धियों को दर्शाता है।

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    समारोह में प्रो. केएन पाठक, विजय पी भाटकर और पूर्व न्यायाधीश जस्टिस आदर्श कुमार गोयल को मानद उपाधि (आनोरिस काजा) से सम्मानित किया गया। प्रो. प्रदीप थलप्पिल को पीयू विज्ञान रत्न, सरबजोत सिंह को खेल रत्न और अमरजीत ग्रेवाल को साहित्य रत्न सम्मान से नवाजा गया।

    73वें दीक्षा समारोह में मुख्यातिथि के तौर पर पहुंचे पंजाब के राज्यपाल एवं विश्वविद्यालय के प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि स्वर्ण पदक प्राप्त करने वालों में बेटियों का प्रतिशत लगभग 60 प्रतिशत रहना यह दर्शाता है कि वे आज हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं।

    उन्होंने कहा कि आज डिग्री प्राप्त करने वाले विद्यार्थी अत्यंत सौभाग्यशाली हैं, जिनकी डिग्री पर पंजाब यूनिवर्सिटी का नाम अंकित होगा। पीयू ने हमेशा देश को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है और 73वां दीक्षा समारोह आयोजित करना बहुत कम विश्वविद्यालयों को नसीब होता है।

    राज्यपाल ने विद्यार्थियों से आह्वान किया कि केवल पहचान और डिग्री प्राप्त करना ही लक्ष्य न बनाएं, बल्कि देश की सेवा को अपना मुख्य उद्देश्य बनाएं। उन्होंने कहा कि दीक्षा समारोह के तीन प्रमुख स्तंभ होते हैं—पहला छात्र, जिन्होंने कड़ी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया। दूसरा अभिभावक, जिन्होंने हर परिस्थिति और कठिनाइयों को सहते हुए अपने बच्चों को देश सेवा के लिए तैयार किया।

    तीसरा शिक्षण संस्थान की फैकल्टी, जो गुरु-शिष्य परंपरा को आगे बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि गुरु की भूमिका जीवन के अंत तक रहती है और इतिहास बदलने की शक्ति शिक्षकों में होती है। देश का भविष्य गढ़ने की जिम्मेदारी शिक्षकों और फैकल्टी सदस्यों के कंधों पर है।