Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Punjab News: सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद 'करोड़ों की प्रॉपर्टी डील्स' बीच में फंसी, कारोबार हुआ ठप

    By Jagran NewsEdited By: Swati Singh
    Updated: Sun, 19 Feb 2023 10:06 AM (IST)

    सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को शहर में प्रॉपर्टी को अपार्टमेंट वाइज खरीद-फरोख्त पर पूरी तरह रोक लगा दी थी। कोर्ट के इस आदेश के बाद पूरे शहर में परिवार से बाहर शेयर वाइज रजिस्ट्री बंद होने से प्रॉपर्टी बाजार पूरी तरह ठप हो गया है।

    Hero Image
    सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद 'करोड़ों की प्रॉपर्टी डील्स' बीच में फंसी, कारोबार हुआ ठप

    चंडीगढ़, जागरण डिजिटल डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशन बनाम यूटी चंडीगढ़ प्रशासन के अपार्टमेंटलाइजेशन मामले में सुनवाई करते हुए शहर में प्रॉपर्टी को अपार्टमेंट वाइज खरीद-फरोख्त पर पूरी तरह रोक लगा दी थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने एक से लेकर 30 सेक्टर तक हेरिटेज एरिया घोषित किया था। इन सेक्टर की किसी भी रेजिडेंशियल प्रॉपर्टी के पुराने अस्तित्व या बिल्डिंग प्लान को बदलने पर रोक लगाई थी। इस आदेश पर स्थानीय प्रशासन ने अपार्टमेंट के साथ-साथ शेयर वाइज रजिस्ट्री पर भी रोक लगा दी है। पूरे शहर में परिवार से बाहर शेयर वाइज रजिस्ट्री बंद होने से प्रॉपर्टी बाजार पूरी तरह ठप हो गया है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    वहीं, प्रशासन ने नौ फरवरी को प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त को लेकर जो स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर (एसओपी) जारी किया था, उसमें प्रॉपर्टी का शत-प्रतिशत किसी अन्य परिवार के सभी सदस्यों या फिर किसी एक व्यक्ति विशेष को पूरी प्रॉपर्टी बेचने का नियम लागू किया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जनवरी को जारी आदेश में शेयर वाइज रजिस्ट्री पर रोक लगाने को लेकर कोई दिशानिर्देश जारी नहीं हैं। ऐसे में प्रॉपर्टी को परिवार से बाहर या अलग-अलग लोगों के नाम पर शेयर वाइज रजिस्ट्री बंद कर प्रशासन ने शहर के प्रॉपर्टी बाजार को पूरी तरह ठप कर दिया है।

    पड़ोसी शहरों को हो रहा फायदा

    परिवार से बाहर शहर में शेयर वाइज रजिस्ट्री बंद होने से इसका फायदा पड़ोसी शहर की प्रॉपर्टी को हो रहा है। मोहाली, जीरकपुर, न्यू चंडीगढ़, मुल्लांपुर में अब प्रॉपर्टी के खरीदार और निवेशक बढ़ गए हैं। इसका कारण है कि अभी लोग एक से डेढ़ करोड़ रुपये में शहर के अच्छे सेक्टरों में एक फ्लोर को खरीदकर उसे अपने नाम पर शेयर वाइज रजिस्ट्री करा लेते थे, लेकिन अब परिवार से बाहर शेयर वाइज रजिस्ट्री बंद होने से अब या तो एक ही व्यक्ति को पूरी प्रॉपर्टी खरीदनी होगी या फिर एक प्रॉपर्टी को एक परिवार मिलकर शेयर वाइज खरीद सकता है, परिवार के अलावा कोई बाहरी व्यक्ति प्रॉपर्टी में हिस्सेदार नहीं बन सकता।

    कोर्ट के फैसले से प्रॉपर्टी बाजार को नुकसान

    10 जनवरी से पहले मार्केट में शहर की प्रॉपर्टी को लेकर जो खरीद-फरोख्त को लेकर सौदे हुए हैं, वह सब अटक गए हैं, कई प्रॉपर्टी के ब्याने से लेकर 70 से 80 फीसद तक पेमेंट तक हो चुकी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अपार्टमेंटलाइजेशन पर फैसला आने और प्रशासन के शेयर वाइज प्रॉपर्टी को लेकर रोक लगाने के कारण लोगों के करोड़ों फंसे हुए हैं। इससे न केवल शहर की प्रापर्टी बाजार को नुकसान पहुंच रहा है, बल्कि प्रशासन को प्रॉपर्टी की रजिस्ट्री और अन्य कागजी कार्रवाई के जरिए राजस्व आता था, वह भी ठप हो रहा है।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहीं भी शेयर वाइज रजिस्ट्री पर रोक लगाने को लेकर टिप्पणी नहीं की गई है। हमने प्रशासन के समक्ष भी यह मुद्दा उठाया है, प्रशासन के इस फैसले की वजह से शहर की आम जनता को नुकसान हो रहा है। जो लोग शहर में अपने परिवार के लिए प्रॉपर्टी खरीदना चाहते थे, वह सब अब पड़ोसी शहरों में प्रॉपर्टी तलाश कर रहे हैं, जिससे शहर के प्रॉपर्टी बाजार को नुकसान हो रहा है और करोड़ों रुपये का राजस्व अब पड़ोसी राज्य सरकारों को जाएगा। -सुभाष शर्मा, चीफ लीगल एडवाइजर, प्रॉपर्टी कंसल्टेंट एसोसिएशन चंडीगढ़।