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    केवल एफआईआर से नहीं रुकेगी पदोन्नति, सेना के एक अधिकारी की याचिका पर हाई कोर्ट का फैसला

    Updated: Tue, 16 Sep 2025 03:03 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने कहा कि एफआईआर दर्ज होने मात्र से यह साबित नहीं होता कि कर्मचारी के खिलाफ आपराधिक मामला लंबित है। पदोन्नति रोकने का आधार चार्जशीट दाखिल होने और न्यायालय द्वारा संज्ञान लेने पर ही बन सकता है। अदालत ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल के फैसले को रद करते हुए जसप्रीत सिंह को पदोन्नति और सेवा लाभ देने का आदेश दिया।

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    हाईकोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को जेसीओ पद पर पदोन्नत माना जाए और सभी सेवा लाभ व वेतन दिया जाए।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा है कि किसी कर्मचारी के खिलाफ केवल एफआईआर दर्ज होना इस बात का प्रमाण नहीं है कि उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही लंबित है। अदालत ने साफ किया कि पदोन्नति को रोकने का आधार तभी बन सकता है जब संबंधित व्यक्ति के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की जाए और न्यायालय उस पर संज्ञान ले या फिर आरोप तय कर दिए जाएं।

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    जस्टिस हरसिमरन सिंह सेठी और जस्टिस विकास सूरी पर आधारित डिवीजन बेंच ने यह आदेश जसप्रीत सिंह की याचिका पर जारी किया। जसप्रीत को 25 मई 2022 को जूनियर कमीशंड आफिसर (जेसीओ) पद पर पदोन्नति का आदेश मिला था। हालांकि विभाग ने यह कहते हुए पदोन्नति लागू नहीं की कि उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है और यह आपराधिक कार्यवाही लंबित मानी जाएगी। विभाग ने इस निर्णय के समर्थन में आर्मी आर्डर की क्लाज 3(ए) का हवाला दिया।

    इसके खिलाफ जसप्रीत सिंह ने आर्म्ड फोर्सेज ट्रिब्यूनल, चंडीगढ़ बेंच में अपील की, लेकिन ट्रिब्यूनल ने 14 दिसंबर 2023 को विभाग के पक्ष में फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट में जसप्रीत सिंह की ओर से यह दलील दी गई कि एफआईआर दर्ज होना "लंबित आपराधिक कार्यवाही" के दायरे में नहीं आता और विभाग ने गलत तरीके से उनकी पदोन्नति रोकी है।

    दूसरी ओर, सरकार की ओर से कहा गया कि एफआईआर दर्ज होना ही आपराधिक कार्यवाही लंबित होने के बराबर है, इसलिए ट्रिब्यूनल का फैसला सही है। हाईकोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद यह पाया कि याचिकाकर्ता की पदोन्नति का आदेश पहले ही जारी हो चुका था, लेकिन केवल एफआईआर को आधार बनाकर उसे लागू नहीं किया गया।

    अदालत ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया, जिसमें यह स्पष्ट किया गया था कि आपराधिक कार्यवाही तभी लंबित मानी जाएगी जब चार्जशीट दाखिल हो और अदालत संज्ञान ले। इसी तरह, अनुशासनात्मक कार्यवाही तभी लंबित कही जाएगी जब आरोप पत्र जारी किया जाए।

    हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि विभाग ने अपनी पत्र दिनांक 15 जनवरी 2024 में स्वयं स्वीकार किया था कि इस मामले में न तो अदालत ने कोई संज्ञान लिया है और न ही कोई आरोप तय हुए हैं। ऐसे में एफआईआर दर्ज होने मात्र को आपराधिक कार्यवाही मानना और पदोन्नति रोकना कानून के अनुरूप नहीं है।

    कोर्ट ने ट्रिब्यूनल का 14 दिसंबर 2023 का आदेश असंगत करार देते हुए रद कर दिया। साथ ही आदेश दिया कि जसप्रीत सिंह को 25 मई 2022 से जेसीओ पद पर पदोन्नत माना जाए और उन्हें सभी सेवा लाभ व वेतन सहित अन्य अधिकार दिए जाएं।