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    11 दिन में परिवार खत्म: चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संदीप की मां ने भी तोड़ा दम, पत्नी-बेटी समेत कुल पांच की मौत

    Updated: Sat, 16 Nov 2024 01:46 PM (IST)

    चंडीगढ़-अंबाला हाईवे पर हुए दर्दनाक हादसे में चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. संदीप का पूरा परिवार खत्म हो गया। हादसे में प्रोफेसर उनकी पत्नी और दो बेटियों की मौत हो गई। प्रोफेसर की मां की भी इलाज के दौरान मौत हो गई। यह हादसा तब हुआ जब परिवार दिवाली मनाकर चंडीगढ़ लौट रहा था। कार में आग लगने से पूरा परिवार समाप्त हो गया।

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    चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर संदीप की मां ने भी तोड़ा दम।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। तीन नवंबर की रात चंडीगढ़-अंबाला हाईवे पर दर्दनाक हादसे में अब चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉ. संदीप की मां ने भी दम तोड़ दिया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। हादसे के 11 दिन बाद प्रोफेसर का पूरा परिवार खत्म हो गया। उनकी मां की बुधवार 14 नवंबर को मौत हो गई।

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    इससे तीन दिन पहले प्रोफेसर संदीप की पत्नी की मौत हो गई थी। वहीं, तीन नवंबर को हुए दर्दनाक हादसे में प्रोफेसर और उनकी दो बेटियों की मौत हो गई थी। इस हादसे में प्रोफेसर का पूरा परिवार खत्म हो गया। पहले बेटियों के साथ उन्होंने खुद दम तोड़ दिया। इसके बाद इलाज के दौरान उनकी पत्नी की मौत हो गई। आज उनकी मां ने दम तोड़ दिया। 

    दीवाली मनाकर चंडीगढ़ लौट रहा था परिवार

    बता दें कि सेक्टर-7 के रहने वाले डॉ.संदीप अपने परिवार के साथ दीवाली मनाकर चंडीगढ़ लौट रहे थे। शाहबाद के पास अचानक उनकी कार में आग लग गई और पूरा परिवार कार के अंदर ही फंस गया। हादसा इतना भयानक था कि इसमें डॉ. संदीप के साथ-साथ उनकी छह साल की बेटी परी और 10 साल की बेटी खुशी की मौत हो गई। मां सुदेश और पत्नी लक्ष्मी गंभीर रूप से घायल हो गई थीं। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था।

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    सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे संदीप

    रविवार को डॉ.संदीप और उनकी बेटियों की प्रार्थना सभा रखी गई थी, लेकिन लक्ष्मी की मौत होने की वजह से इस कार्यक्रम को रद्द कर दिया गया था। डॉ. संदीप चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में सिविल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर थे। हादसे से दो हफ्ते पहले ही उन्होंने पीएचडी की डिग्री हासिल की थी। वे चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी के चांसलर व राज्यसभा सांसद सतनाम सिंह संधू के काफी करीबी थे।

    प्रोफेसर संदीप व उसकी बेटियां कार में पीछे बैठे थीं, जिससे उनकी मौत हुई। सतीश कुमार गाड़ी चला रहा था। जिसने कार को खोलने के लिए भरसक प्रयास किए, मगर वह सफल नहीं हो पाया। जब तक कार के दरवाजे खुले उसके परिवार के सदस्य पूरी तरह से आग की चपेट में आ चुके थे।

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