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    4.19 लाख रुपये लौटाए निजी अस्पताल, उपभोक्ता आयोग ने सुनाया आदेश, कहा-कोविड इलाज में मनमाना पैसा वसूला

    Updated: Thu, 23 Oct 2025 09:10 PM (IST)

    उपभोक्ता आयोग ने एक निजी अस्पताल को कोविड-19 के इलाज के दौरान मनमाना पैसा वसूलने के आरोप में 4.19 लाख रुपये लौटाने का आदेश दिया है। आयोग ने माना कि अस्पताल ने अनुचित तरीके से बिलिंग की और मरीज से अधिक शुल्क लिया। आयोग ने निजी अस्पतालों को संकट के समय में मुनाफाखोरी न करने की चेतावनी दी है।

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    अस्पताल और उसके निदेशकों को संयुक्त रूप से 4,19,592 रुपये की राशि लौटाने का आदेश दिया।

    जागरण संवाददाता, मोहाली। जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग ने कोविड-19 इलाज के दौरान मनमानी वसूली करने पर एक निजी अस्पताल को 4,19,592 की राशि लौटाने का आदेश दिया है। यह आदेश मोहाली निवासी समरजीत कौर की शिकायत पर दिया गया, जिन्होंने अपने पति मनप्रीत सिंह के इलाज के दौरान अस्पताल द्वारा तय दरों से अधिक शुल्क वसूलने का आरोप लगाया था।

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    समरजीत कौर ने बताया कि उनके पति मनप्रीत सिंह (उम्र 59 वर्ष) को 8 मई 2021 को सेक्टर 69 स्थित मायो हेल्थकेयर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें कोविड पाॅजिटिव पाए जाने पर आइसोलेशन वार्ड में रखा गया, लेकिन 19 मई को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई। इसके बाद अस्पताल ने 8,43,500 का बिल जारी किया, जिसे शिकायतकर्ता ने जमा भी कर दिया। बिल की जांच करने पर पता चला कि अस्पताल ने सरकार द्वारा तय दरों से अधिक शुल्क वसूला है।

    शिकायत पर सुनवाई के दौरान अस्पताल की ओर से कोई प्रतिनिधि उपस्थित नहीं हुआ, जबकि तीन निदेशकों ने जवाब में कहा कि उनका इलाज और बिलिंग से कोई लेना-देना नहीं है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि सरकारी दरें केवल उन मरीजों पर लागू होती हैं जिन्हें स्वास्थ्य विभाग द्वारा रेफर किया गया हो, जबकि मनप्रीत सिंह स्वयं अस्पताल पहुंचे थे। आयोग के अध्यक्ष और सदस्य की पीठ ने माना कि भले ही मरीज को सरकार द्वारा रेफर नहीं किया गया था, लेकिन कोविड मरीजों से तय दरों से अधिक शुल्क नहीं लिया जा सकता।

    आयोग ने आंशिक रूप से शिकायत को स्वीकार करते हुए अस्पताल और उसके निदेशकों को संयुक्त रूप से 4,19,592 रु की राशि लौटाने का आदेश दिया। साथ ही 15,000 की एकमुश्त राशि मुआवजे और मुकदमेबाजी खर्च के रूप में भी अदा करने को कहा गया। गौरतलब है कि शिकायत के लंबित रहने के दौरान अस्पताल ने 3,00,908 की राशि पहले ही शिकायतकर्ता को लौटा दी थी, जिसे आयोग ने समायोजित करने का निर्देश दिया।