प्रकाश सिंह बादल एकमात्र ऐसे नेता जो संयुक्त पंजाब में भी थे विधायक और आज भी
प्रकाश सिंह बादल एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैैं जो संयुक्त सदन के भी हिस्सा रहे हैं और विभाजन के बाद आज भी पंजाब विधानसभा के सदस्य हैं।
चंडीगढ़ [कैलाश नाथ]। भले ही 1966 में संयुक्त पंजाब से टूटकर हरियाणा अलग राज्य बन गया और उसकी अपनी विधानसभा हो गई, लेकिन कल बुधवार को पंजाब और हरियाणा के विधायक एक बार फिर एक साथ पंजाब विधानसभा में बैठे नजर आएंगे। 53 वर्ष बाद ऐसा दिन होगा जब इतिहास अपने आप को दोहराएगा।पंजाब और हरियाणा के राजनीतिक इतिहास में प्रकाश सिंह बादल एकमात्र ऐसे व्यक्ति हैैं जो संयुक्त सदन के भी हिस्सा रहे हैं और विभाजन के बाद आज भी पंजाब विधानसभा के सदस्य हैं। यह अलग बात है कि 1962 से 1966 के दौरान वे विधानसभा के सदस्य नहीं थे।
श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाश पर्व के उपलक्ष्य में विधानसभा का विशेष सत्र आयोजित किया जा रहा है जिसमें सिर्फ गुरु जी के जीवन दर्शन पर चर्चा होगी। इतिहास के पन्नों को टटोलें तो 1962 से 1966 तक इस सदन में कई विधायक ऐसे थे जो बाद में अपने-अपने राज्यों में मुख्यमंत्री व उप मुख्यमंत्री बने। ताऊ देवी लाल कभी इसी सदन में बैठा करते थे जोकि बाद में हरियाणा के मुख्यमंत्री व देश के पहले उपप्रधानमंत्री बने।
1962 से 1966 के बीच इसी सदन में ज्ञानी जैल सिंह, हरचरण सिंह बराड़, दरबारा सिंह और राम किशन बैठा करते थे। ये सभी बाद में मुख्यमंत्री बने। ज्ञानी जैल सिंह देश के पहले सिख राष्ट्रपति भी बने। इसी सदन में शन्नो देवी भी थीं जो कि हरियाणा विधानसभा की पहली स्पीकर बनीं। इसी तरह हरबंस लाल बंटवारे के बाद पंजाब विधानसभा के पहले स्पीकर बने। इसी काल में भगत दयाल और चांद राम भी रहे जोकि हरियाणा के डिप्टी सीएम बने। बलरामजी दास टंडन भी इसी सदन के हिस्सा थे जोकि बाद में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बने।
अब पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल ही ऐसे व्यक्ति रह हैं जो कि संयुक्त पंजाब और विभाजित पंजाब में विधायक रहे। बादल पहली बार 1957 में विधायक चुने गए। तब उन्होंने संयुक्त पंजाब के विधानसभा में शिरकत की। दूसरी बार वह 1969 में विभाजित पंजाब के विधायक बने। 11 बार विधायक व पांच बार मुख्यमंत्री बनने वाले प्रकाश सिंह बादल पूरे देश में नजीर हैं। आठ दिसंबर को 92 वर्ष की उम्र पूरी करने जा रहे बादल अब भी सक्रिय राजनीति का हिस्सा हैं।
सदन में सीएम ने बताया था बंटवारे के बाद अधिकारियों की स्थिति
बलरामजी दास टंडन ने पंजाब और हरियाणा के बंटवारे के बाद आइएएस व पीसीएस अधिकारियों की संख्या पूछी थी। जिस पर मुख्यमंत्री ने बताया था कि पंजाब के पास आइपीएस और आएएएस अधिकारियों की संख्या 84, हरियाणा में 70, हिमाचल प्रदेश में 12 होगी। पंजाब को 42 आइपीएस और हरियाणा में 33 आइपीएस अधिकारी मिलेंगे।
सदन में शिक्षकों का मुद्दा भी उठा था
बंटवारे से पहले सदन में शिक्षकों का मुद्दा खासा गर्म था। कंवर राम पाल सिंह ने मुद्दा उठाया था कि चीफ सेक्रेटरी ने ऐसा कोई सर्कुलर जारी किया है कि कोई ट्रांसफर न किया जाए। इस पर अच्छी खासी बहस हुई थी। जिस पर तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने कहा था कि पंजाब व नए बने हरियाणा को लेकर अध्यापकों की कोई समस्या नहीं है क्योंकि अध्यापकों का तबादला सर्कल में ही होता है।
विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगा विशेष सत्र
विशेष सत्र विधानसभा की कार्यवाही का हिस्सा नहीं होगा। सदन में उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू होंगे तो देश के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पहली बार पंजाब विधानसभा में मौजूद रहेंगे। हरियाणा के मुख्यमंत्री और राज्यपाल भी पहली बार पंजाब विधानसभा में गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं को सुनते हुए नजर आएंगे।
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