पीयू में शपथ पत्र को लेकर गरमाई राजनीति, प्रदर्शन के लिए अनुमति लेने के मामले ने पकड़ा तूल
पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रदर्शनों को लेकर शपथ पत्र भरवाने के मुद्दे ने राजनीतिक रंग ले लिया है। नए सत्र में पीयू प्रशासन द्वारा छात्रों से हलफनामा भरवाया जा रहा है कि वे बिना अनुमति प्रदर्शन नहीं करेंगे। इस नियम के तहत विश्वविद्यालय की अनुमति के बिना कैंपस में विरोध प्रदर्शन नहीं किया जा सकेगा। छात्र संगठनों ने इसे छात्रों की आवाज दबाने वाला कदम बताया है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन को लेकर शपथ पत्र भरवाने को लेकर राजनीति ने एक बार फिर तूल पकड़ ली है। जुलाई में शुरू हुए नए सत्र में पीयू प्रशासन की ओर से नए छात्रों से दाखिले के वक्त ऐसा हलफनामा भरवाया गया है, जिसने कैंपस में अभिव्यक्ति की आजादी को लेकर बहस छेड़ दी है। छात्रों से शपथ पत्र लिया गया है कि वह बिना अनुमति यूनिवर्सिटी में
प्रदर्शन नहीं करेंगे।
शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए लागू हुए इस नए नियम के मुताबिक, अब कोई भी छात्र विश्वविद्यालय की पूर्व अनुमति के बिना कैंपस में विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकेगा। यह प्रावधान 'हैंडबुक ऑफ इन्फार्मेशन 2025' में जोड़ा गया है, जिसमें साफ कहा गया है कि प्रदर्शन सिर्फ तय स्थान पर और प्रशासन की मंजूरी के बाद ही किए जा सकते हैं।
हलफनामे में यह भी शर्त रखी गई है कि नियम तोड़ने पर छात्र का दाखिला रद किया जा सकता है या परीक्षा से वंचित किया जा सकता है। छात्र संगठनों ने इस कदम को छात्रों की आवाज दबाने वाला और लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करार दिया है। पीयू प्रशासन का तर्क है कि यह फैसला कैंपस में अनुशासन बनाए रखने के लिए लिया गया है। पीयू छात्रसंघ चुनाव से पहले भी शपथपत्र को लेकर विवाद गहरा चुका है।
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